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महिला दिवस विशेष: रेणु की कोशिशों ने शवों को दिलाया सम्मान

रेणु के अभियान के बाद मुंबई के मुर्दाघर में शवों को ‘सीमेंट की बोरियों की तरह रखा जाना’ बंद हुआ

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भारत
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मुंबई में रहने वाली 64 साल की रेणु कपूर समाज के लिए एक मिसाल हैं. सम्मान एक जीवित व्यक्ति से लेकर लाश तक को मिलना चाहिए ये एक बुनियादी अधिकार है मगर मुंबई के सेंट जॉर्ज हॉस्पिटल के मुर्दाघर में ऐसा नहीं हो रहा था. रेणु के ड्राइवर की अचानक मौत हो जाती है ऐसे में उन्हें अस्पताल के मुर्दाघर जाना पड़ता है जहां वो देखती हैं कि कैसे वहां शवों को बेहद अपमानजनक स्थिति में रखा जाता है. उन्होंने देखा कि एक सफाईकर्मी फटे, खून से सने बनियान में एक टूटे हुए शेड के अंदर शव का परीक्षण कर रहा था.

मुहिम से दिलाया शवों को सम्मान

सेंट जॉर्ज अस्पताल के मुर्दाघर की हालत देखकर रेणु परेशान हो गयीं. अस्पताल से घर लौटकर रेणु कपूर ने अपने ड्राइवर मनोज के लिए Change.org प्लेटफॉर्म पर एक पेटिशन शुरू की. वो चाहती थीं कि परिवारों को किसी अपने को खोने के दुख के साथ-साथ उनके शव के साथ अपमान को ना सहना पड़े. खुद रेणु के शब्दों में कहें तो रेणु ने एक मुहिम छेड़ दी ताकी ‘शवों को सीमेंटी की बोरियों की तरह रखा जाना बंद हो’

अपनी पेटिशन में उन्होंने लिखा

उनकी दो बेटियां थीं जिन्हें छोड़कर वो इस दुनिया से चले गए. एक पिता की लाश के साथ ऐसा व्यवहार देखकर मेरा कलेजा मुंह को आ गया.
रेणु कपूर

4 साल की कड़ी मेहनत से आया बदलाव

रेणु ने change.org पर यह पेटिशन साल 2018 में #DignityInDeath नाम से शुरू की. रेणु की इस पेटिशन को लगभग 98000 लोगों ने साइन किया .रेणु की पेटिशन को लगभग 4 साल बाद 2021 में सफलता मिली जब सरकार ने उनकी अनगिनत कोशिशों का संज्ञान लिया. सरकार के संज्ञान में इसे लाने के लिए रेणु कपूर ने 50 लोगों से व्यक्तिगत रूप से बातचीत की, 1000 से अधिक फोन कॉल किए.

सोशल मिडिया का लिया सहारा

रेणु ने अपने अभियान #DignityInDeath को आगे बढ़ाने के लिए सोशल मिडिया का सहारा लिया. इसी क्रम में उन्होंने वॉट्सऐप पर एक ग्रुप भी बनाया और इस मुद्दे को लगातार उठाती रहीं. उन्होंने मुर्दाघर की मरम्मत के लिए कई अधिकारियों से मुलाक़ात की और सालों तमाम विभागों के चक्कर काटने में बिता दिए.

महिला दिवस के अवसर पर रेणु इस बात को बेहद मज़बूती से दोहराती हैं कि कैसे डिजिटल मीडियम जैसे कि Change.org से महिलाएं बड़े सामाजिक बदलावों को ला सकती हैं. रेणु का मानना है कि महिलाओं की डिजिटल दुनिया में उपस्थिति को आसान और सुरक्षित बनाना समाज की प्राथमिकता होनी चाहिए

रेणु की मुहिम पर कैसे हुई कार्रवाई

सरकार ने आखिरकार नवंबर 2021 में एक वर्क ऑडर जारी किया, जिससे पेटीशन को जीत मिली और उनका अभियान मंज़िल को पहुंचा. पेटीशन से मुंबई को नया मुर्दाघर दिलाने की जीत के बाद रेणु ने अपने साथ खड़े लोगों को धन्यवाद करते हुए कहा ,

जब लाखों लोग एकजुट होकर आवाज़ उठाते हैं तो सिस्टम सुनता है और सही दिशा में कदम भी उठाता है। नए मुर्दाघर के बनने के बाद उसकी एक तस्वीर आप सभी के साथ शेयर करूंगी.
रेणु कपूर

अगले बदलाव के लिए कदम बढ़ा चुकी हैं रेणु

पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट, रेणु कपूर सामाजिक मुद्दों को लेकर हमेशा से मुखर रही हैं. उन्होंने समय-समय पर कभी डिजिटल प्लेटफॉर्मों की मदद से तो कभी खुद शासन-प्रशासन के दफ्तरों तक पहुंचकर जनता के जरूरी मुद्दों को उठाया है. फिलहाल रेणु मुंबई के ससून डॉक पर कचरा नियंत्रण, साफ-सफाई को लेकर एक दूसरी पेटिशन चला रही हैं, और उम्मीद करती हैं कि इस मुद्दे पर सरकार को मनाने में उन्हें 4 साल नहीं लगेंगे.

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