ADVERTISEMENTREMOVE AD

पार्वती - बड़े-बड़े सितारों के सन्नाटे के बीच एक धारदार आवाज

ऐसे समय में जब एक्टर्स अपने नाम के साथ फेमिनिस्ट शब्द लगाने से बचते हैं, उस समाज में पार्वती एक फेमिनिस्ट आइकन हैं

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

मलयालम फिल्मों के सुपरस्टार ममूट्टी के खिलाफ अकेले खड़े रहने वालीं और विजय देवरकोंडा की 'अर्जुन रेड्डी' को सरेआम खराब फिल्म बताने वालीं पार्वती थिरुवोथु ने फिर एक बार साबित कर दिया है कि पुरुषों के वर्चस्व वाली इस इंडस्ट्री में वो अपने घुटने नहीं टेकने वालीं. भले उन्हें अकेला लड़ना पड़े, लेकिन वो लड़ने को तैयार हैं. ऐसे समय में जब कई बड़े एक्टर्स अपने नाम के साथ फेमिनिस्ट शब्द लगाने से बचते हैं, उस समाज में पार्वती एक फेमिनिस्ट आइकन हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

मलयाली एक्टर पार्वती की इन दिनों इतनी चर्चा फिल्म जर्नलिस्ट और क्रिटिक अनुपमा चोपड़ा के एक्टर्स अड्डा चैट शो के कारण हो रही है. पार्वती हाल ही में 7 अन्य एक्टर्स के साथ इस शो में शामिल हुई थीं. इस चैट शो में जहां हर कोई 'पॉलीटिकली करेक्ट' होने की कोशिश कर रहा था, वहां पार्वती ने खुलकर अपनी बात रखी और बताया कि क्यों वो ऐसी फिल्मों में काम करना पसंद नहीं करतीं, जो महिला विरोधी होती हैं और हिंसक व्यवहार को बढ़ावा देती हैं. पार्वती ने बिना झिझके सामने बैठे एक्टर विजय देवरकोंडा के मुंह पर ही उनकी हिट फिल्म 'अर्जुन रेड्डी' की धज्जियां उड़ा दीं.

‘मिसॉजिनी को दिखाना और उसे ग्लोरिफाई करना, दो अलग-अलग चीजें हैं. ये राइटर और डायरेक्टर पर निर्भर करता है कि वो इसे कैसे ग्लोरिफाई करते हैं. अगर कोई आदमी हिंसक हो रहा है, और आप उसे इस तरह से दिखा रहे हैं जिससे ऑडियंस में तालियां बज जाएं, तो वो महिमामंडन करना हुआ. वहीं अगर आप ऑडियंस को ये सोचने पर मजबूर कर दें कि वो सही है या गलत, तब आप ऑडियंस के साथ कनेक्ट कर रहे हैं.’
पार्वती थिरुवोथु, एक्टर

किसी सीन को बेहूदा बनाए बिना भी इमोशन को दिखाया जा सकता है, ये पार्वती ने बड़ी आसानी से बता दिया, लेकिन ये बात हमारी फिल्म इंडस्ट्री या तो समझती नहीं है, या समझना नहीं चाहती.

0

पार्वती की ये जंग पुरानी है

पार्वती थिरुवोथु उन आवाजों में से हैं, जिन्हें दबाया नहीं जा सकता. वो महिला-विरोधी फिल्मों से लेकर अपनी इंडस्ट्री के सुपरस्टार के खिलाफ तक बोल चुकी हैं, बिना डरे, बिना झिझके.

मलयालम सुपरस्टार ममूट्टी की फिल्म ‘कसाबा’ महिला विरोधी डायलॉग्स से भरी हुई है. फिल्म में एक सीन में ममूट्टी एक महिला को उसकी बेल्ट से खींचकर कहते हैं कि उसके लिए एक हफ्ते तक चलना मुश्किल हो जाएगा. वहीं एक दूसरे सीन में वो एक महिला को धमकी देते हुए कहते हैं कि वो उसे उसके पीरियड्स मिस करवा देंगे.

एक सुपरस्टार की फिल्म में इस तरह के डायलॉग्स देख पार्वती ने कहा था, 'मैं इतने शानदार एक्टर को इस तरह के डायलॉग बोलता देख निराश थी. ये सिर्फ अपमानजनक नहीं, बल्कि निराश करने वाला था. कई लोग कहते हैं कि सिनेमा समाज का आईना है, लेकिन ये तय करना होगा कि इस तरह के हीरो को ग्लोरिफाई करना है या नहीं.' सुपरस्टार के खिलाफ बोलने पर पार्वती को साइबर बुलिंग का शिकार होना पड़ा था. उन्हें रेप तक की धमकियां मिली थीं, लेकिन इन धमकियों ने भी पार्वती को कभी सही के साथ खड़े होने से नहीं रोका.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
पार्वती थिरुवोथु मलयालम फिल्म इंडस्ट्री का जाना-माना नाम हैं. 2006 में ‘आउट ऑफ सिलेबस’ फिल्म से अपने करियर की शुरुआत करने वालीं पार्वती के नाम कई क्रिटिकली एक्लेम्ड फिल्में हैं. 2018 में आई पार्वती की ‘उयरे’ और ‘वायरस’ को खूब पसंद किया गया था. ‘उयरे’ में उन्होंने एक एसिड अटैक सर्वाइवर का रोल प्ले किया था. वहीं ‘वायरस’ निपाह वायरस आउटब्रेक पर आधारित थी. उन्होंने इरफान खान के साथ ‘करीब करीब सिंगल’ फिल्म भी की है.

एसोसिएशन ऑफ मलयालम मूवी आर्टिस्ट (AMMA) ने जब एक्टर दिलीप (जिनपर एक्ट्रेस के किडनैपिंग और उत्पीड़न का आरोप है) को वापस एसोसिशन में लिया था, तब भी पार्वती ने खुले तौर पर उसकी आलोचना की थी. केरल के इस बड़े एसोसिएशन के खिलाफ बोलते हुए पार्वती ने कहा था, 'AMMA ने इस पूरे मामले में दोहरा चरित्र दिखाया है. सही के साथ खड़े रहने की बजाय, उन्होंने अपने अंदर दबी पितृसत्ता सोच को दिखा दिया.'

ADVERTISEMENTREMOVE AD

पार्वती से सीखने की जरूरत

अनुपमा चोपड़ा के इस चैट शो में जहां पार्वती ने समाज के लिए एक्टर और फिल्मों की जिम्मेदारी को समझा, तो वहां बैठे मनोज वाजपेयी और विजय देवरकोंडा ने इससे किनारा कर लिया. वाजपेयी को फिल्म के मैसेज से कोई फर्क नहीं पड़ता, वहीं देवरकोंडा का कहना था कि दुनिया तो वैसे भी बर्बाद हो रही है, कौन सा वो एक अच्छी फिल्म बनाकर इसे बचा लेंगे.

देवरकोंडा का ये बयान एकदम वैसा है कि कौन सा मेरे सड़क पर कचरा नहीं फेंकने से सड़क साफ रहेगी.

देवरकोंडा अपने किरदारों की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहते. और ऐसे वो इकलौते सितारे नहीं हैं. गिनने आ जाएं तो बॉलीवुड में भी ऐसे कई बड़े नाम निकल आएंगे, जिन्हें इससे बिल्कुल फर्क नहीं पड़ता कि उनके किरदार समाज को क्या मैसेज दे रहे हैं.

फिल्में सालों से बनती आई हैं और बनेंगी, लेकिन अगर पार्वती से सीख लेकर एक्टर्स इसे अपनी जिम्मेदारी समझने लग जाएं, तो शायद 'अर्जुन रेड्डी', 'कसाबा' और 'कबीर सिंह' जैसी फिल्मों में कमी आ जाए. जैसे इसी शो में दीपिका ने कहा था, 'भारत में सिनेमा के पास प्रभाव डालने की पावर है.'

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें