अमेरिकी महिला सिंथिया रिची को कुछ दिन पहले तक शायद बहुत कम लोग जानते होंगे. पिछले दस साल में सिंथिया ज्यादातर पाकिस्तान में ही रहीं. फिलहाल, इस ट्रेवल ब्लॉगर की हर जगह चर्चा है, क्योंकि उन्होंने एक वीडियो जारी किया और फिर कई ट्वीट किए, जिसमें उन्होंने 2011 में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) सरकार में गृह मंत्री रहमान मलिक, प्रधानमंत्री युसूफ रजा गिलानी और पूर्व केंद्रीय मंत्री मखदूम शाहबुद्दीन पर रेप और मारपीट के इल्जाम लगाए.
आरोप बेहद गंभीर हैं और इनकी जांच भी होनी चाहिए. मगर, ये भी पता लगाया जाना बेहद जरूरी है कि सिंथिया का अतीत और वर्तमान पाकिस्तान में क्या और कैसा रहा. इन आरोपों के बाद पूरे देश में इसी की चर्चा होने लगी. यह मुद्दा उठने से बाकी मुद्दे कुछ हद तक कमजोर हो गए हैं. शक्कर और आटे के दाम आसमान पर हैं, पेट्रोल की किल्लत, निगेटिव जीडीपी ग्रोथ और कोरोना संकट, लेकिन सब भुला दिए गए.
कयास लगाए गए, साजिश की थ्योरी निकाली गई कि क्या ये मुद्दा इसलिए उछाला गया ताकि PPP पर 18वें संविधान संशोधन और NFC अवॉर्ड्स (यह सेंटर में बैठी सरकार को आर्थिक मनमानी की छूट देते हैं. इमरान सरकार इन्हें वापस लेना चाहती है, लेकिन PPP इसके खिलाफ है) को वापस लेने के लिए दबाव बनाया जा सके, या फिर ये दरअसल जनता के मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश थी या वजह कुछ और थी?
साजिश की थ्योरी पर ही बात करें तो कहा ये भी जा रहा है कि सिंथिया अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA की एजेंट थी, जिसने सियासी गलियारों और फौज में घुसपैठ कर ली थी.
क्यों गलत हैं ये कयास
मेरी नजर में, इस घटना की लिंक और टाइमिंग आम तौर पर एक सच की तरफ इशारा करते हैं. ऐसा सोचना भी बेवकूफी होगी कि PPP के संरक्षक आसिफ अली जरदारी एक सेक्स स्कैंडल की वजह से अपनी राजनीतिक विरासत (18वां संविधान संशोधन) का बलिदान कर देंगे. वो भी तब जबकि, उनका व्यक्तिगत तौर पर इस पचड़े से कोई लेना-देना नहीं है. बदकिस्मती से पाकिस्तान की सियासत में ऐसी चीजें आती-जाती रही हैं. और जहां तक मुद्दों से भटकाने की बात है तो पाकिस्तान की 20 करोड़ की आवाम सिर्फ एक सैक्स स्कैंडल के लिए अपनी भूख और बीमारियों को नहीं भूल सकती.
सिंथिया के मामले को अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA से जोड़ना भी सही नहीं होगा. इसके कई कारण हैं. सबसे बड़ा तो सिंथिया की रणनीति ही मान सकते हैं. वह सार्वजनिक तौर पर जिस तरह की बयानबाजी कर रही हैं, उसमें CIA की झलक नहीं मिलती. इसकी एक वजह यह है कि CIA कभी अपने लोगों या एजेंट्स को पब्लिक फिगर नहीं बनाती. न ही उसके लोग किसी नेता, पत्रकार या मानवाधिकार कार्यकर्ता पर बयानबाजी करते. सिंथिया यही कर रही हैं और करना चाहती हैं.
एक सेक्स स्कैंडल, जिसने पाकिस्तानी फौज को मुश्किल में डाला
सिंथिया के हिला देने वाले आरोपों से पहले की बात है. बीते दिनों पाकिस्तान के न्यूज चैनलों और सोशल मीडिया पर एक स्कैंडल सामने आया, जिसे अब लोग भूल चुके हैं. कुछ वायरल वीडियोज में दिखा था कि पाकिस्तान के प्रॉपर्टी किंगपिन मलिक रियाज की बेटियों ने, अपने दर्जनों गार्ड्स के साथ एक स्थानीय मॉडल उज्मा खान और उसकी बहन के घर पर हमला कर दिया. उन्होंने लड़कियों के साथ बदसलूकी की और उनके घर में तोड़फोड़ की. इसके अलावा मलिक रियाज की बेटियां अपने गार्ड्स को उन लड़कियों का रेप करने के लिए उकसाती हुई देखी गईं. साथ ही वो फोन पर बिलाल नाम के शख्स को कह रही थीं कि ISI से कहकर इन दोनों लड़कियों को अगवा करवा दो. ये मामला इतना गरम हुआ कि ये पाकिस्तान में ठंडा ही नहीं हो रहा था.
इन लड़कियों पर हमला क्यों हुआ? दरअसल, रियाज की एक भांजी है. उसने वीडियो जारी कर कहा कि उसके पति के इन लड़कियों से नाजायज रिश्ते हैं. इसमें उसने इस्लाम का हवाला देकर अपनी शादीशुदा जिंदगी बचाने की गुहार लगाई थी.
पाकिस्तानी फौज के लिए यह मामला बदकिस्मती वाला रहा. चर्चा मलिक रियाज और उसकी सरपरस्त फौज पर होने लगी.
फौज की आंखों का तारा क्यों है मलिक?
मलिक रियाज की बेटियों की वहशियाना हरकतें सोशल मीडिया पर सामने आईं तो लोगों का गुस्सा भड़क गया. खासतौर पर वो जिस अंदाज में मॉडल्स को ISI के हाथों अगवा कराने की बात कह रही थीं. यानी आर्मी उनकी जूती की नोंक पर है.
सच्चाई भी यही है. रियाज को फौज हाथ भी नहीं लगा सकती. कई दशक गुजरे. कितनी ही सरकारें आईं और गईं. हुकूमत चाहे फौज की हो या फौज की सरपरस्ती वाली जम्हूरियत. मलिक का प्रॉपर्टी बिजनेस बदस्तूर फलता-फूलता रहा.
हाल ही में यूके की नेशनल क्राइम एजेंसी ने रियाज की प्रॉपर्टी को सीज कर लिया और 190 मिलियन पाउंड कैश को पाकिस्तानी सरकार के हवाले कर दिया. लेकिन PTI की हुकूमत और पाकिस्तान की अदालत ने रियाज को उसका पैसा वापस कर दिया. वो करोड़ों-अरबों की जमीन हड़पने वाले वाला माफिया है. और बड़े आराम से इस तरह के मामलों से बरी हो जाता है. दर्जनों जनरल और ब्रिगेडियर्स के अलावा दूसरे आला अफसरान से उसके करीबी रिश्ते हैं. रियाज ने न जाने कितनी जमीनें हड़पीं और देश के अलग-अलग हिस्सों में बहरीन टाउन खड़े कर दिए. फौज ने उसे खुली छूट दे रखी है. अब जाहिर तौर पर ये मान लेने में कोई दिक्कत नहीं है कि इन मेहरबानियों के बदले फौज और उसके अफसरों को कमीशन के तौर पर मोटी रकम जाती ही होगी.
इसे पाकिस्तान का बिल क्लिंटन स्कैंडल कहिए
जब मलिक रियाज की बेटियों की हरकत के कारण बवाल बढ़ता जा रहा था. फौज को इसके लिए असल गुनहगार बताया जा रहा था तभी सिंथिया, जिसे ट्विटर पर 'सिंथेटिक बाजी' के नाम से जाना जाता है, ने एक ट्वीट किया. उसने कहा कि ये मामला (मलिक रियाज की बेटियों वाला) उन्हें याद दिलाता है कि कैसे जब बेनजीर को किसी महिला से अपने पति के रिश्तों की भनक लगती तो कथित तौर पर वो अपने सिक्योरिटी गार्ड्स से उन महिलाओं का रेप करने को कहती थीं. बस फिर क्या था, सिंथिया पर हर तरफ से हमले होने लगे. जवाब में सिंथिया ने PPP के तीन नेताओं, एक पूर्व प्रधानमंत्री और दो पूर्व केंद्रीय मंत्रियों पर यौन हिंसा का आरोप लगा दिया. बस, लोग मलिक रियाज और फौज को भूल गए. अब सिर्फ सिंथिया, सेक्स, अश्लीलता और PPP की बात होने लगी.
मगर जैसे मीडिया में जीत सिंथिया के लिए काफी नहीं थी, PPP ने जब सिंथिया की शिकायत FIA से की तो जवाब में सिंथिया ने FIA को एक और विस्फोटक बयान दिया. सिंथिया ने कहा- मैं दो साल से पाकिस्तान को तोड़ने की मांग करने वाले पश्तूनों के संगठन PTM और PPP के रिश्तों की जांच कर रही थी. फौज और ISI इसमें मेरी मदद कर रहीं थीं.
यही वो पल था जब टीम पाकिस्तान के लिए जीत हार में बदल गई
सवाल ये था कि सिंथिया किस हैसियत से पाकिस्तान की सियासी पार्टियों और उनकी गतिविधियों की जांच कर रही थीं?
सिंथिया के जवाब ने लोगों को हैरान कर दिया. सवाल सीधे फौज पर थे और वो ही खामोश बैठ गई. हालांकि, इज्जत बचाने की खातिर उसने अपने पिछलग्गू नेताओं, पत्रकारों और कुछ दूसरे लोगों को एक्टिव कर दिया. फौज ने ये संदेश दिया कि उसका इन मामलों से कोई लेना-देना ही नहीं है. साफ था, कि सिंथिया फौज के लिए अब फायदेमंद नहीं रह गई थीं. ये था पाकिस्तान के लिए 'बिल क्लिंटन मोमेंट' (मेरा उस महिला से कोई संबंध नहीं है)
जाहिर है सिंथिया के वजीरिस्तान और बलूचिस्तान के इलाकों में घूमते हुए और साइक्लिंग करते हुए पुराने वीडियो सामने आए. कौन नहीं जानता कि इन इलाकों में फौज की इजाजत के बिना परिंदा भी पर नहीं मार सकता. लिहाजा, फौज के इस रवैये पर किसी को यकीन नहीं हुआ कि 'इस महिला से मेरा कोई संबंध नहीं.'
लेकिन सवाल वही, सिंथिया आखिर कौन हैं?
आखिर कौन हैं सिंथिया? हकीकत तो यह है कि पाकिस्तान आने से पहले कोई उनके गुजरे हुए जमाने को नहीं जानता. सिंथिया की कमाई का जरिया क्या है? प्रधानमंत्री और गृह मंत्री जैसे लोग ही क्यों, मुल्क की फौज के आला अफसरों से उनके कनेक्शन का सीक्रेट क्या है? आप हैरान हो जाएंगे, लेकिन ये हकीकत है कि खुद को सिर्फ ट्रैवल ब्लॉगर बताने वाली सिंथिया एंटी टेरेरिज्म अथॉरिटी की मीटिंग में शामिल होती रहीं, जो काम उन्होंने किए नहीं उसके लिए अवॉर्ड पाती रहीं. उनका दावा है कि वो दुनिया में बदनाम पाकिस्तान की इमेज को बेहतर कर रही थीं, लेकिन सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं कि वो पाकिस्तानी फौज की ‘सफेद ट्रोल गुड़िया’ से ज्यादा और कुछ नहीं हैं. लोग तो यहां तक कह रहे हैं कि पाकिस्तान की फौज ने सिंथिया का इस्तेमाल उस काल्पनिक ऑनलाइन युद्ध में किया, जो उसके मुताबिक दूसरे देशों के एजेंट्स और उनके पैसों पर पलने वाले मुल्क के गद्दारों ने पाकिस्तान के खिलाफ छेड़ रखा है.
सिंथिया पाकिस्तान की पॉजिटिव इमेज पर एक डॉक्युमेंट्री बनाने का दावा करती हैं. लेकिन, इसे कभी-किसी ने देखा नहीं. वो पाकिस्तान की छवि सुधारने के लिए काम करने का दावा करती हैं, लेकिन उसका कोई आर्टिकल इंटरनेशनल प्रेस में नहीं दिखा.
सिंथिया फौज की उन हताशा भरी कोशिशों की प्रतीक बन गईं, जिसमें वो देश को असल मुद्दों से भटकाती है और विरोध की आवाजों को दबाती है. पूर्व DGISPR (पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता) मेजर जनरल आसिफ गफूर के कार्यकाल में सिंथिया ने पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर जमकर हमले किए. ये हमले लगभग वैसे ही थे जैसे खुद आसिफ गफूर पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर किया करते थे. खासकर उन लोगों पर जो फौज के मानवाधिकार उल्लंघनों पर, सियासत में फौज के बेजा दखल और देश के पैसे पर फौज के कब्जे के खिलाफ आवाज उठाते थे.
तो सिंथिया ‘सरकार’ तक पहुंचीं कैसे?
हालांकि आसिफ गफूर ने अपने कार्यकाल (दिसंबर 2016-फरवरी 2020) तक सिंथिया का इस्तेमाल अपने प्रोपगेंडा के लिए किया लेकिन दरअसल उससे पहले के DGISPR असिम सलीम बाजवा ने सिंथिया को PTI और PPP से हथियाया था, ताकि उनको पाकिस्तान की अच्छी छवि बनाने के एजेंडे पर लगाया जा सके. उन्हीं के कार्यकाल (2012-2016) में सिंथिया के वो वीडियो जारी हुए, जिनमें वह पश्चिमी पाकिस्तान की वादियों में घूमती नजर आती थीं.
इमरान की पार्टी के एक सांसद हैं आजम स्वाती. इनकी बेटी का नाम है फरहाना स्वाती. टेक्सस में रहने वाली फरहाना ने पहली बार 2008 में सिंथिया का परिचय अमेरिका में रहने वाले पाकिस्तानी-अमेरिकी डॉक्टर्स एसोसिएशन के जरिए पाकिस्तान से कराया. फरहाना एक एनजीओ भी चलाती हैं. नाम है ह्यूमनिटी होप. सिंथिया ने इसी NGO के जरिए अमेरिका में रह रहे असरदार पाकिस्तानी अमेरिकी डॉक्टरों तक अपनी पहुंच बनाई.
सिंथिया का दावा है कि वह 2010 में एक फंड कलेक्शन इवेंट में इमरान खान से मिल चुकी हैं, और अब भी उनके संपर्क में हैं. 2011 में आजम स्वाति पाकिस्तान की सरकार में मंत्री थे. स्वाति ने ही सिंथिया को स्वास्थ्य विभाग में नौकरी दिलाई. इस विभाग के मुखिया यानी स्वास्थ्य मंत्री थे स्वाति के अच्छे दोस्त मखदूम शहाबुद्दीन, वही जिन पर अब सिंथिया ने यौन शोषण और मारपीट का मामला दर्ज कराया है.
2015 में आजम स्वाती इमरान यानी PTI के साथ चले गए. तब शाहबुद्दीन ही सिंथिया के लिए PPP में बड़े राजनेताओं तक पहुंच का जरिया बने. सिंथिया का दावा है कि वो PTI के लिए भी काम करती रही थीं और इस्लामाबाद की हाई सोसायटी का हिस्सा भी बन गईं. वह दावा करती हैं कि PTI के लिए उन्होंने कुछ समय तक काम किया, खासतौर पर सोशल मीडिया टीम में.
बहरहाल PTI और फौज के करीबी रिश्ते हैं. कई बार एक की सोशल मीडिया टीम दूसरे के लिए काम करती है. कोई ताज्जुब की बात नहीं थी कि सिंथिया तरक्की करते हुए ISPR (इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशन्स-फौज की मीडिया विंग) तक पहुंच गईं.
सिंथिया ने कहा- मेरी झोली खाली, दान दें पाकिस्तानी
अब वर्तमान की बात करते हैं. पाकिस्तानी मीडिया इसे 'सिंथिया गेट' बता रहा है. सिंथिया ने कहा- मैंने अपना बैंक अकाउंट नंबर दिया है. मेरी मदद करें. मैं PPP के खिलाफ कानूनी जंग लड़ना चाहती हूं. इसे विडंबना, धृष्टता और ज्यादातर मूर्खता ही कहा जा सकता है.
क्या उनको वाकई लग रहा था कि पाकिस्तानी उन्हें चंदा देंगे. एक ऐसी महिला, जो उनके नेताओं और लोकतंत्र की छवि को धूमिल कर रही हो?
सिंथिया ने अपना पेपाल अकाउंट भी दिया. उनको उम्मीद थी कि विदेश में बसे पाकिस्तानी उनकी डॉलर्स में मदद करेंगे. लेकिन फिर सवाल उठने लगे और इस बात की छानबीन की संभावना जगने लगी कि जिस सिंथिया का वीजा भी खत्म हो चुका है उन्होंने ये चंदा पाने के लिए पाकिस्तान में बैंक अकाउंट कैसे खुलवा लिया. जिसके बाद सिंथिया ने चंदा मांगने वाले अपने ट्वीट हटा लिए. मुझे लगता है इसका अंत अच्छा नहीं होगा.
(गुल बुखारी एक पाकिस्तानी पत्रकार हैं. इस लेख में दिए गए विचार उनके अपने हैं, क्विंट का उनसे सहमत होना जरूरी नहीं.)
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