डियर मैडम चीफ मिनिस्टर महबूबा मुफ्ती, आपने हाल ही में ये दावा किया कि कश्मीर एक सुरक्षित राज्य है क्योंकि वहां महिलाओं के साथ चलती कार में रेप नहीं होता. क्या आप पूरी तरह से सहमत हैं कि कश्मीर महिलाओं के लिए दिल्ली से ज्यादा सुरक्षित है?
मैं एक कश्मीरी हूं जो पिछले 20 साल से दिल्ली में पत्रकार हूं.
इसमें कोई शक नहीं कि क्राइम, खासकर रिपोर्ट की गई वारदातों के मामले में दिल्ली कश्मीर से काफी आगे है. लेकिन क्या आपने कश्मीर के बारे में पूरा सच बताया? या फिर आप जमीनी हकीकत से वाकिफ ही नहीं हैं.
मंगलवार की शाम को दिल्ली के इवेंट में, आपने टूरिज्म और कश्मीर पर बात की. मेरा दिल जरा जोर से धड़का जब आपने ये कहा कि कश्मीर में महिलाएं सबसे ज्यादा सुरक्षित हैं. आपने कश्मीर में पर्यटन के बढ़ावे के लिए इस लाइन का इस्तेमाल किया.
आपने किस सोच या अवधारणा की बात की थी जब आप कश्मीर को महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित राज्य घोषित कर रही थीं.?
मैडम मुफ्ती, मैं काफी लंबे से समय से आपको टॉर्चर, अत्याचार, शोषण के बारे में बताना चाहती थी जो कश्मीरी महिलाएं रोजाना झेलती हैं. दरअसल, ये हर जगह होता है और आपके शासन में भी हो रहा है. कश्मीरी महिलाएं इस बारे में बात नहीं करतीं इसका मतलब ये नहीं है कि वो धरती के स्वर्ग में रहती हैं.
आपने कहा था कि कश्मीर में चलती गाड़ी में महिलाओं का रेप नहीं होता.
मुझे नहीं लगता कि खुद एक औरत होकर आप ये मानती होंगी कि सुरक्षित महसूस करने का मतलब रेप का शिकार नहीं होना होता है. क्या आप जानती हैं कि महिलाओं के लिए बस की सवारी, सड़कों पर निकलना और ट्यूशन क्लास में जाना कितना सुरक्षित है?
रोजगार के सिलसिले में दिल्ली आने से पहले मैं श्रीनगर के एक सरकारी कॉलेज की स्टूडेंट थी. प्लीज मुझसे पूछिए, मेरे दोस्तों से पूछिए या फिर किसी भी कश्मीरी लड़की से पूछिए- उस गंदे सच के बारे में जिसके बारे में कोई बात नहीं करना चाहता.
प्लीज हमसे पूछिए कैसे मर्द हमें छूते थे, हमें प्रताड़ित करते थे. क्या ये सब छेड़छाड़ नहीं? पूछिए मुझसे, कैसी घुटन होती है. काश मैं बता पाती कि कैसे ये सब हमारी आत्मा को चीर कर रख देता है.
मैडम मुफ्ती, महिलाएं जो मानसिक और शारिरिक टॉर्चर झेलती हैं उसके लिए मैं आपको जिम्मेदार नहीं ठहरा रही. मैं बस ये समझाने की कोशिश कर रही हूं कि कैसे अाप सुरक्षित शब्द को बलात्कार नहीं होने के बराबर रखती हैं.
लेकिन कश्मीर सिर्फ शारिरिक शोषण और छेड़छाड़ के मामलों तक ही सीमित नहीं है.
क्या मैं आपको याद दिला सकती हूं कि 2007 में 13 साल की ताबिंदा गनी की बलात्कार करने के बाद हत्या कर दी गई थी? क्या मैं आपको याद दिला सकती हूं कि घरेलू हिंसा में कितनी तेजी से घाटी में बढ़ोतरी हो रही है?
मुझे यकीन है क्योंकि आप गृहमंत्री के रूप में पुलिस विभाग की प्रमुख भी रह चुकी हैं, आपको इस बारे में जरुर पता होगा कि पुलिसिया रिकाॅर्ड के मुताबिक साल 2013 और 2015 में घरेलू हिंसा के करीब 1,000 मामले दर्ज हुए थे. इनमें से 15 दहेज हत्या थी.
क्या आप महिलाओं के साथ कुनन और पोशपोरा में हुए सामूहिक बलात्कार के बारे में भूल गई हैं? 2009 में शोपियां में दो जुड़वा बहनों आसिया और नीलोफर के साथ हुए रेप और कत्ल को आप कैसे भूल सकती हैं? आपने खुद भी तो दो कश्मीरी महिलाओं जिनकी रहस्यमयी तरीके से हुई मौत के बाद एक नदी में लाशें मिली थी, को न्याय दिलाने के लिए लड़ाई लड़ी थी.
और हाल ही में, इंशा, एक 14 साल की लड़की जो डाॅक्टर बनना चाहती थी, उसने सुरक्षा बलों के पैलेट गन के कारण दोनों आंखें खो दी. इंशा जैसी और भी कई लड़कियों ने आपके शासन में रहते अपनी आंखों की रोशनी खोई है.
कश्मीर की महिलाओं के लिए खुले तौर पर उनके खिलाफ हो रहे अपराधों के बारे में बात करना आसान नहीं है. कृपा कर क्या आप कश्मीर को महिलाओं के लिए सुरक्षित बता कर उसकी ब्रांडिंग करने से पहले इन मुद्दों के जड़ पर बात करना चाहेंगी?
(इस आर्टिकल की लेखिका दिल्ली बेस्ड पत्रकार रुवा शाह हैं. यह उनके निजी विचार हैं. आप उनसे उनके ट्विटर हैंडल ruwa.s@ians.in. के जरिए कांटैक्ट कर सकते हैं. द क्विंट लेखक के विचारों से कोई इत्तेफाक नहीं रखता.)
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