कैमरा: सुमित बडोला
वीडियो एडिटर: विशाल कुमार
क्या नोटबंदी भी मौजूदा आर्थिक मंदी के लिए जिम्मेदार है? क्या बढ़ती बेरोजगारी के पीछे भी कहीं न कहीं नोटबंदी का भी हाथ है? इन दोनों सवालों का जवाब हां हो सकता है.
वरिष्ठ बिजनेस पत्रकार पूजा मेहरा ने 22 अगस्त को ‘द हिंदू’ में एक ओपिनियन पीस में सवाल किया था कि क्या " इनकम टैक्स एक्ट, 1961 को बदलने के लिए एक टास्क फोर्स की रिपोर्ट को दबा दिया गया? क्योंकि अनजाने में उस रिपोर्ट में फॉर्मल कॉरपोरेट सेक्टर पर नोटबंदी के बुरे प्रभाव के आंकड़े सामने आ गए.”
पूजा मेहरा ने क्विंट हिंदी से बातचीत में इस बारे में बताया,
असल में सितंबर 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इनकम टैक्स एक्ट, 1961 को दोबारा से ड्राफ्ट करने की बात कही थी. 22 नवंबर, 2017 को वित्त मंत्रालय ने डायरेक्ट टैक्स को लेकर नए नियम-कानूनों को ड्राफ्ट करने के लिए एक टास्क फोर्स को नियुक्त किया था. 19 अगस्त 2019 को टास्क फोर्स की ये रिपोर्ट वित्त मंत्रालय के सामने पेश की गई.
वित्त मंत्रालय ने टास्क फोर्स की इस रिपोर्ट को अभी तक पब्लिक नहीं किया है.
पूजा का ये मानना है कि देश में इकनॉमिक स्लोडाउन मनमोहन सिंह के कार्यकाल में ही शुरू हो चुका था. हालांकि 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार ने उम्मीदें जगाई थीं. लेकिन जीडीपी की ग्रोथ नहीं हो पाई. इन्वेस्टमेंट रुक गया. फैक्ट्रियां नहीं लग पाईं और नौकरियां नहीं पैदा हो पाईं. ऐसे हालात में इन्वेस्टमेंट स्लोडाउन के साथ-साथ कंजप्शन स्लोडाउन भी देखने को मिल रहा है. उनका मानना है कि नोटबंदी ने असंगठित क्षेत्र से आगे जाकर संगठित क्षेत्र पर भी नकारात्मक प्रभाव डाला. साथ ही जीएसटी जैसे फैसले ने इकऩमी को और झटका दिया.
देश के आर्थिक हालात को लेकर हुई इस खास बातचीत का देखिए पूरा वीडियो.
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