अब, जब सरकार ने जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस ले लिया है और 80 लाख कश्मीरियों को लॉकडाउन के अंदर रख दिया है, तो हालात और खराब हैं.
मैं 25 सितंबर से 27 सितंबर के बीच श्रीनगर के पास अंचार में रही. वहां लोग हताश लेकिन डटे हुए हैं. हताश इसलिए क्योंकि उन्हें पूरी दुनिया से काट दिया गया है. वो छापेमारी, कर्फ्यू की शक्ल में हिंसा से गुजर रहे हैं; डटे इसलिए हैं क्योंकि उन्हें डर है कि उन्हें कहीं से कोई मदद नहीं मिलेगी, तो वो अपनी किस्मत को अपने हाथों में ले रहे हैं.
सेना से खुद को बचाने के लिए आसपास के लोग नाका बना रहे हैं. लोग गहरे गड्ढे खोद रहे हैं ताकि सरकारी गाड़ियों को अपने घरों में घुसने से रोक सकें. और जब कर्फ्यू हट रहा है, जैसा कि तब हटा था जब मैं वहां गई थी, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र महासभा की मीटिंग होनी थी, तब कश्मीरी सड़कों पर उतरकर आजादी की मांग कर रहे हैं.
5 अगस्त से पहले भी कश्मीरी इज्जत की जिंदगी और समान्य हालात के लिए तरस रहे थे, लेकिन आज उनमें ये भावना और जोर पकड़ रही है
देखिए इन 11 तस्वीरों में छिपी कश्मीर की कहानियां-
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