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चीन,पाक, तालिबान के नियंत्रण वाला अफगानिस्तान भारत के लिए चिंता:चिदंबरम

चिदंबरम ने सरकार को आगाह करते हुए कहा कि खुद को बधाई देना जल्दबाजी होगी.

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भारत
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तालिबान (Taliban) द्वारा दोहा में भारत के साथ बातचीत शुरू करने के बाद, पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम (P. Chidambaram) ने बुधवार को अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव पर सरकार को आगाह किया है. चिदंबरम ने ट्वीट किया,

सरकार अफगानिस्तान पर कल पारित यूएनएससी प्रस्ताव के लिए खुद को बधाई दे रही है. 'संकल्प' के दो अर्थ हैं. पहला यह है कि इस मुद्दे को 'हल' कर दिया गया है और भारत की संतुष्टि के लिए सुलझाया गया है. यूएनएससी में ऐसा नहीं हुआ है."
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उन्होंने आगे कहा, "दूसरा अर्थ यह है कि हमने अपनी इच्छाओं को कागज पर रख दिया है और कुछ अन्य लोगों को उस कागज पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा है, कल यूएनएससी में यही हुआ था."

चिदंबरम ने सरकार को आगाह करते हुए कहा कि खुद को बधाई देना जल्दबाजी होगी. चीन, पाकिस्तान और तालिबान के नियंत्रण वाले अफगानिस्तान की संभावित धुरी चिंता का कारण है.

30 अगस्त को, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अफगानिस्तान पर एक प्रस्ताव अपनाया, जिसका उद्देश्य किसी भी देश के खिलाफ आतंकवादी संगठनों द्वारा अफगान भूमि के उपयोग को रोकना है. प्रस्ताव को 13 मतों के साथ अपनाया गया जबकि रूस और चीन ने इससे परहेज किया.

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इस बीच पहली बार भारत ने तालिबान के साथ हुई बैठक को सार्वजनिक किया है. सरकार ने कहा है कि कतर में भारत के राजदूत दीपक मित्तल ने दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई से मुलाकात की. मंत्रालय ने कहा कि यह बैठक तालिबान पक्ष के अनुरोध पर भारतीय दूतावास, दोहा में हुई. चर्चा अफगानिस्तान में फंसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और जल्द वापसी पर केंद्रित थी.

राजदूत मित्तल ने चिंता जताई कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी भी तरह से भारत विरोधी गतिविधियों और आतंकवाद के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

स्टैनेकजई ने राजदूत को आश्वासन दिया कि इन मुद्दों को सकारात्मक रूप से संबोधित किया जाएगा. 1982 में भारतीय सैन्य अकादमी में प्रशिक्षित, शेरू के रूप में जाने जाने वाले स्टेनकजई तालिबान शासन के दौरान उप स्वास्थ्य मंत्री के पद तक पहुंचे, और बाद में दोहा में एक मुख्य शांति वातार्कार के रूप में कार्य किया.

वह तालिबान शासन के विदेश मामलों के उप मंत्री भी थे. 58 वर्षीय पश्तून स्टेनकजई कबीले से आते हैं. वह पांच भाषाएं बोल सकते है और उसने 2015-2019 के बीच तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख के रूप में कार्य किया है.

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