अफगानिस्तान (Afghanistan) के उत्तरी बगलान प्रांत (Baghlan Province) के पोल-ए-हेसर जिले में सशस्त्र विद्रोही समूहों ने हमला किया और इलाके को तालिबान (Taliban) से मुक्त करा लिया. 15 अगस्त को जब से तालिबान ने पंजशीर प्रांत को छोड़कर सभी जगहों पर अपना कब्जा जमा लिया था, तभी से लड़ाके अपने पहले सशस्त्र संघर्ष में लगे हुए हैं. अफगान मीडिया ने बताया कि स्थानीय निवासियों का दावा है कि दो अन्य जिलों - देह सलाह और कसान को भी तालिबान से वापस ले लिया गया है.
पूर्व कार्यवाहक रक्षा मंत्री बिस्मिल्लाह मुहम्मदी ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा है कि 'लोगों के विद्रोह ने बगलान प्रांत के पोल-ए-हेसर, बानो और देह सलाह जिलों पर फिर से कब्जा कर लिया है.' मुहम्मदी अब पंजशीर प्रांत में रह रहे हैं.
स्थानीय निवासियों ने भी 40 तालिबान लड़ाकों को मारने और 15 अन्य को घायल करने का दावा किया है. हालांकि, तालिबान ने अभी तक संघर्ष पर कोई टिप्पणी नहीं की है.
ये घटनाक्रम तब सामने आया है, जब तालिबान अफगानिस्तान की राजधानी सहित पूरे अफगानिस्तान पर नियंत्रण कर रहा है, लेकिन छह दिनों के बाद अब तक राजनीतिक शून्य को नहीं भर पाया है.
नॉर्दर्न अलायन्स फिर से खड़ा हुआ?
तालिबान के खिलाफ विद्रोह के लिए मैदान में उतरे पहले उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह और अहमद शाह मसूद के बेटे ने तालिबान का विरोध करने का संकल्प लिया है और कहा है कि वो कभी भी आत्मसमर्पण नहीं करेंगे. उन्होंने पहले कहा था कि प्रतिरोध पंजशीर प्रांत से शुरू किया जाएगा और एएनडीएसएफ के विदेशी सदस्यों को उनके साथ शामिल होने के लिए कहा है.
सालेह और अहमद मसूद नॉर्दर्न अलायन्स को फिर से खड़ा कर रहे हैं. मसूद के करीबियों का कहना है कि आर्मी और स्पेशल फोर्सेस यूनिट के बचे हुए लोगों समेत 6000 लड़ाके विद्रोह के लिए तैयार हैं. उनका कहना है कि उनके पास कुछ हेलीकॉप्टर और सैन्य वाहन भी हैं.
तालिबान ने अभी तक पंजशीर में घुसने की कोशिश नहीं की है. पंजशीर ताजिक गुरिल्ला नेता अहमद शाह मसूद का गढ़ हुआ करता था और अभी भी मसूद की इस इलाके में बहुत इज्जत और प्रभाव है. उनकी मौत के बाद बेटे अहमद मसूद ने पंजशीर में अपने मिलिशिया की मौजूदगी बनाई रखी है.
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)