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महिला दिवस पर PM मोदी के सोशल मीडिया त्याग में क्या पॉलिटिक्स है?

फर्ज कीजिए कि किसी दिन अमिताभ बच्चन या अल पचीनो ये कहें कि वो सिनेमा से संन्यास लेने की सोच रहे हैं तो क्या होगा?

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फर्ज कीजिए कि किसी दिन अमिताभ बच्चन या अल पचीनो ये कहें कि वो सिनेमा से संन्यास लेने की सोच रहे हैं तो क्या होगा? उनके प्रशंसकों में हड़कंप मच जाएगा. बस कुछ इसी अंदाज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कह दिया कि वो सोशल मीडिया छोड़ने के बारे में सोच रहे हैं. बस फिर क्या था- हर तरफ एक सवाल कि पीएम मोदी ऐसा क्यों कर रहे हैं? लेकिन 15 घंटे के भीतर पीएम कुछ यूं राज खोला कि बड़े से बड़े मार्केटिंग गुरु ने दांतो तले उंगली दबा ली.

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अकाउंट पीएम का, कहानियां महिलाओं की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुलासा किया है कि वो 8 मार्च यानी महिला दिवस के दिन अपने तमाम सोशल मीडिया अकाउंट उन महिलाओं के नाम कर देंगे जिनकी जिंदगी और काम हमें प्रेरित करते हैं. इससे लाखों लोगों में उत्साह जगेगा.

अब ये एक अनोखा आइडिया है जो पहले कम से कम किसी राजनेता तो नहीं किया होगा और ये भी मोदी जी ने सीधा नहीं किया. एक मार्केटिंग गुरु की तरह उन्होंने एक दिन पहले टीजर फेंका, जिसमें उन्होंने लिखा कि इस रविवार को वो अपने फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यू-ट्यूब अकाउंट छोड़ने के बारे में सोच रहे हैं.

पीएम मोदी सोशल मीडिया के कोई आम यूजर नहीं हैं. ये कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि सोशल मीडिया मोदी से है, मोदी सोशल मीडिया से नहीं.
फर्ज कीजिए कि किसी दिन अमिताभ बच्चन या अल पचीनो ये कहें कि वो सिनेमा से संन्यास लेने की सोच रहे हैं तो क्या होगा?
ट्विटर पर पीएम मोदी की फॉलोइंग 5 करोड़ 30 लाख से ज्यादा है. सोशल मीडिया के आंकड़ों पर नजर रहने वाली वेबसाइट सोशल ब्लेड के मुताबिक, अगर उन्होंने ट्विटर को अलविदा नहीं कहा तो अगले पांच साल में 2 करोड़ 30 लाख से ज्यादा और फॉलोअर उनके साथ जुड़ सकते हैं.

यही हाल इंस्टाग्राम का है. तस्वीरों पर चलने वाले इस मीडियम में पीएम मोदी के फॉलोअर्स साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा है. ये संख्या विराट कोहली और प्रियंका चोपड़ा जैसे सितारों से भले कम हो लेकिन कोई राजनेता इंस्टाग्राम पर मोदी से पार नहीं पा पाया है.

फेसबुक पर फॉलोअर्स की तादाद है करीब साढ़े चार करोड़. इस मीडियम पर उनके डिजिटल कैंपेंस खासे असरदार रहे हैं.

अक्टूबर 2007 में शुरु हुए नरेंद्र मोदी का यू-ट्यूब चैनल को 45 लाख से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं. 12 हजार से ज्यादा वीडियो अपलोड्स हैं जिन्हें 3 मार्च, 2020 तक 53 करोड़ से ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं.

तो मोदी जी के इस नए शिगूफे का क्या मतलब है?

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1. फॉलोअर्स बढ़ाने की कवायद

‘सोशल ब्लेड’ पर नजर डालें तो दिलचस्प आंकड़े नजर आते हैं.

फर्ज कीजिए कि किसी दिन अमिताभ बच्चन या अल पचीनो ये कहें कि वो सिनेमा से संन्यास लेने की सोच रहे हैं तो क्या होगा?

साल 2020 के पहले हफ्ते यानी दिसंबर 30, 2019 से लेकर जनवरी 06, 2020 तक में पीएम मोदी के ट्विटर अकाउंट पर हर हफ्ते बढ़ने वाले फॉलोअर्स (weekly followers gained) की तादाद थी- 150,998.

ये संख्या फरवरी के आखिरी हफ्ते तक लगातार गिरी. फरवरी 17, 2020 से फरवरी 24, 2020 वाले हफ्ते में ये संख्या थी 78,978 यानी साल के पहले हफ्ते से लगभग आधी.

हालांकि, फरवरी 24, 2020- मार्च 03, 2020 वाले हफ्ते में ये तादाद फिर से बढ़कर 143,929 हो गई.

महिला दिवस पर पीएम मोदी के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर महिलाओं की प्रेरक कहानियां शेयर करने में एक सकारात्मक संदेश तो है ही लेकिन जाहिर तौर पर फॉलोअर्स, खासतौर पर महिला फॉलोअर्स, की संख्या बढ़ाने की कवायद भी है.
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2. ध्यान बांटने की कोशिश

23 फरवरी को शुरू हुई दिल्ली हिंसा की वजह से मोदी सरकार निशाने पर है. पीएम मोदी ने तो तीन दिन बाद एक ट्वीट कर हिंसा पर रोष जताया था लेकिन गृह मंत्री लगातार विपक्ष और मीडिया के निशाने पर हैं. सरकार पर माहौल को ना संभाल पाने की नहीं बलकि खुद माहौल बिगाड़ने के आरोप लग रहे हैं. ऐसे में महिलाओं की भागेदारी के इस अनोखे आइडिया के जरिये पीएम मोदी ने ध्यान बंटाने की कोशिश की है.

सोशल मीडिया पर मोदी जी के तमाम फॉलोअर्स को जोड़कर अगर एक देश बना दिया जाए तो वो दुनिया का दसवां सबसे बड़ा देश होगा.

मोदी पिछले दस साल से सोशल मीडिया के अलग-अलग माध्यम का बेहतरीन इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्होंने अपनी पार्टी, कार्यकर्ताओं से लेकर देश के लाखों लोगों को सोशल मीडिया का आदी बनाया है. महिला दिवस के अनोखे कैंपेन से प्रधानमंत्री मोदी ने फिर साबित किया है कि मुद्दों को अपने हिसाब से चलाने और सुर्खियां बनाने में उनका कोई सानी नहीं है.

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