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इधर रेप पीड़िता कुचली गई, उधर आत्मदाह: ये कौन सी दुनिया है?

हर जगह ‘उन्नाव’ - जयपुर, गोंडा, फतेहपुर से लेकर रुड़की तक

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हर इक जिस्म घायल
हर इक रूह प्यासी
निगाहों में उलझन
दिलों में उदासी
ये दुनिया है या आलम-ए-बदहवासी
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है

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आज फिल्म ‘प्यासा’ का ये गीत याद आ रहा है. आखिर क्यों चाहिए ऐसी दुनिया जहां एक नाबालिग लड़की का अपने रहनुमा के पास फरियाद लेकर जाना अजाब बन जाता है? जहां वो अपनी अस्मत कुचले जाने की शिकायत करती है तो उसके पूरे परिवार को कुचल दिया जाता है? जहां एक कमजोर आवाज उठाता है तो पूरी 'कायनात' उससे अदावत कर लेती है.

जहां एक रेप पीड़िता थाने में खुद को आग लगा लेती है. इंसाफ न मिलने के गुस्से और दर्द में दुनिया छोड़ जाती है. उसे भी नहीं चाहिए थी ये दुनिया.

ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है

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MLA के खिलाफ जाने की सजा?

कहानी शुरू होती है जून 2017 से. एक नाबालिग लड़की उन्नाव में बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर के पास नौकरी मांगने गई थी. लड़की पुलिस में शिकायत करती है कि अपने ही घर में विधायक ने उसका रेप किया. इसके बाद विधायक का भाई उसके बाप को पीट-पीटकर मार डालता है. हताशा में लड़की सीएम आवास के बाहर आत्मदाह की कोशिश करती है. इससे पहले पुलिस विधायक के भाई पर एक्शन लेने के बजाय लड़की के  पिता को ही गिरफ्तार कर जेल भेजती है. इस हत्या के गवाह की भी मौत हो जाती है. उसे बिना पोस्टमॉर्टम दफना दिया जाता है. बवाल मचता है तो सीबीआई जांच होती है. विधायक गिरफ्तार होता है. लेकिन सत्ता का रसूख, शर्मनाक हिमाकत देखिए कि चुनाव जीतने के बाद एक सांसद रेप के आरोपी इस विधायक को थैंक्स बोलने खुद जेल जाते हैं.

दो साल बाद रेप पीड़िता के परिवार की कार को एक ट्रक कुचल देता है. पीड़िता की मौसी और चाची की जान चली जाती है. खुद पीड़िता और उसका वकील ICU पहुंच जाते हैं. एक बार फिर विधायक पर हत्या का मामला दर्ज होता है.

जब सवाल उठता है कि ये हादसा है या साजिश तो यूपी पुलिस के आला अफसर प्रेस के सामने क्या कहते हैं वो भी देख लीजिए

निश्चित तौर पर यह घटना एक्सीडेंट थी, एक्सीडेंट के पीछे कोई षड़यंत्र था या नहीं, इस बात की जांच चल रही है.
राजीव कृष्णा, ADG, लखनऊ जोन
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सर जी जब आपने तय ही कर लिया है कि  'निश्चित तौर' पर ये हादसा था तो जांच के नतीजे का अंदाजा लगाया जा सकता है. आपने हादसे से जुड़े हर बड़े सवाल का भी जवाब दे दिया है. पीड़िता की सुरक्षा में लगाए गए गनर हादसे के वक्त क्यों गायब थे? आपने बताया क्योंकि खुद लड़की के परिवार ने उसे साथ न आने को कहा था.

आखिर गनर किसकी सुन रहा था, अपने महकमे की, अपने अफसरों की या पीड़िता की?

जिस ट्रक ने पीड़िता की कार को टक्कर मारी, उसके नंबर प्लेट पर कालिख क्यों पुती थी? आपने जवाब दिया - ‘’ट्रक के मालिक का कहना है कि उसने ये गाड़ी फाइनेंस करा रखी थी. उसने जिन लोगों से फाइनेंस कराया था, उनको पैसे नहीं दिए थे. इसलिए नंबर छिपा रखे थे.’’

कमाल है एक ट्रक बिना साफ नंबर प्लेट के राज्य में घूमता रहा और हर नाके पर मुस्तैदी का दावा करने वाली पुलिस आंखें मूंदे रही?

पीड़िता के चाचा ने इस मामले में FIR दर्ज कराई है. जो पुलिस इस मामले में खुद को पाक साफ बताने की कोशिश कर रही है, उसके चरित्र के बारे में FIR में जो लिखा है, वो डरावना है.

रेप पीड़िता की सुरक्षा में तैनात एक पुलिसकर्मी ने ही परिवार के रायबरेली जाने की जानकारी विधायक को दी थी, इसलिए गनर साथ नहीं आए.  
FIR में दर्ज शिकायतकर्ता के बयान का हिस्सा
कुलदीप, मनोज, (विधायक का भाई) समेत गांव के 15-20 लोग उन्हें बार-बार धमकी देते कि विधायक से सुलह कर लो, नहीं तो तुम लोगों को घूमते फिरते मरवा दिया जाएगा.
FIR में दर्ज शिकायतकर्ता के बयान का हिस्सा
जेल में चाचा से मिलना बंद कर दो. उसे हम लोगों ने ही जेल में रखने का प्रोग्राम बनाया है. 10-15 साल बाद जब वो जेल से छूटकर आएगा, तो उसका भी काम करवा दिया जाएगा. विधायक कुलदीप के साथ सरकार खड़ी है. तुम अपने परिवार के जान की सलामती चाहते हो, तो सुलह कर लो, जान बच जाएगी.
FIR में दर्ज शिकायतकर्ता के बयान का हिस्सा
वो कहते, उन्नाव के ASP राम लाल वर्मा को विधायक ने अपने भाई से गोली मारकर मरवा दिया. वो कुछ नहीं कर पाया. तो सोच लो विधायक क्या चीज है.  
FIR में दर्ज शिकायतकर्ता के बयान का हिस्सा

ताज्जुब है कि सीधे सरकार पर गंभीर आरोप लग रहे हैं. संसद से सड़क तक सवाल उठ रहा है कि उन्नाव रेप पीड़िता के साथ हादसा हुआ या साजिश? लेकिन हर छोटी-बड़ी बात पर ट्वीट करने वाले सीएम ने अभी तक कुछ नहीं कहा है. एक ट्वीट भी नहीं.

‘‘सबसे बड़ी चौंकाने वाली बात यह है कि पीड़िता को सुरक्षा के लिए मुहैया कराए गए कर्मी छुट्टी पर थे और जिस ट्रक से दुर्घटना हुई, उसकी नंबर प्लेट पर ग्रीस लगा दिया गया था.’’
राज्यसभा में एसपी नेता रामगोपाल यादव
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निजाम अलग-बदनसीबी एक सी

राजस्थान के वैशाली नगर पुलिस स्टेशन में 5 जून, 2019 को एक महिला ने रेप का केस दर्ज कराया. वो इंसाफ के लिए थाने के चक्कर काटती रही. आखिर 28 जुलाई को उसने थाने में ही खुद को आग लगा ली और फिर उसकी मौत हो गई. पुलिस पर आरोप लग रहे हैं कि उसने महिला की सुनवाई नहीं की. जानते हैं इस पर एडिशनल डीसीपी, जयपुर ने क्या कहा? कहा- उस महिला का पति से तलाक का केस भी चल रहा था, तो हो सकता है वो दुविधा में रही होगी. उसके साथ रेप हुआ था तो हो सकता है उसकी मानसिक स्थिति खराब होगी.

और न जाने कितने ‘उन्नाव’

  1. जुलाई 2019: यूपी के फतेहपुर में एक नाबालिग का रेप हुआ. 9 महीने वो पुलिस से इंसाफ मांगती रही. इस बीच उसे लोगों के तंज घायल करते रहे. आखिर उसने जुलाई में जान दे दी. लड़की की उम्र महज 13 साल थी.
  2. जून 2019: यूपी के बदायूं में गैंगरेप पीड़िता ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. पीड़िता ने अपने सुसाइड नोट में लिखा - मामला दर्ज कराने के लिए थाने के चक्कर काटती रही. थाने में भी कोई सुनता नहीं. एसपी साहब मैं दुनिया छोड़कर जा रही हूं, मुझे इंसाफ दिलाएं, आपकी बड़ी कृपा होगी. आत्महत्या के बाद पुलिस ने केस दर्ज किया.
  3. जून 2019 : कौशांबी में एक रेप पीड़िता अपने परिवार के साथ आरोपी पर एक्शन की मांग लेकर थाने पहुंची तो थानेदार ने ये कहते हुए भगा दिया कि - विधायक जी का फोन आया है, कोई एक्शन नहीं होगा.
  4. अप्रैल 2019 : रुड़की में दुष्कर्म के बाद भी आरोपी गिरफ्तार नहीं हुए. शिकायत के चार दिन बाद लड़की ने खुदकुशी कर ली.
  5. जनवरी 2019: गोंडा की एक महिला ने खुदकुशी कर ली. जब उसे इंसाफ की आस नहीं रही तो उसने ये कदम उठाया. महिला ने जो रेप का केस दर्ज कराया था पुलिस ने कथित जांच के बाद उसे बंद कर दिया था.

कहां है बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ आंदोलन? किसलिए है POCSO? कहां है निर्भया के बाद नाइंसाफी नहीं होने देने के वायदे? कहां हैं बेटियों के साथ हमेशा खड़े होने का दावा करने वाले नेता? वो तो अलग ही दुनिया है. जो दुनिया है, ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है!

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