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सुप्रीम कोर्ट-HC के बीच झूलता ‘राजस्थान’, इस सबका मतलब क्या है?

सुप्रीम कोर्ट से हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा राजस्थान का मामला

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राजस्थान का सियासी घमासान अब एक बार फिर हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुका है. ये सियासी ड्रामा सबसे पहले हाईकोर्ट पहुंचा, फिर सुप्रीम कोर्ट और फिर आखिरकार हाईकोर्ट में इस पर फैसला सुनाया गया. अब सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. लेकिन आज जो हाईकोर्ट में हुआ, उसके बारे में बात करते हैं.

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कोर्ट में उलझते जा रहे हैं सवालों के जवाब

कोर्ट में कई सवालों के जवाब लगातार उलझते जा रहे हैं. सवाल उठ रहे हैं कि सचिन पायलट और बागी विधायक बीजेपी में शामिल होंगे या फिर नहीं, क्या वो कांग्रेस सरकार को गिराने की कोशिश कर रहे हैं? इन सवालों पर कोर्ट में लगातार कंफ्यूजन जारी है. राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि जो याचिका सचिन पायलट और विधायकों ने दायर की है, वो उस पर सुनवाई करेंगे. लेकिन पूरी याचिका को नहीं सुनेंगे. वो तीन मुद्दों पर सुनवाई करेंगे, जिनके आधार पर कोर्ट ने 13 सवाल बनाए हैं, जो लीगल इशू हैं.

कोर्ट ने कहा है कि दल बदल कानून के आधार पर हम देख सकते हैं कि विधायक सवाल उठाने पर और विरोध करने पर अयोग्य घोषित हो सकते हैं. वहीं दूसरी तरफ इसके आधार पर ये भी देखा जाएगा, जैसा कि सचिन पायलट कह रहे हैं कि वो कांग्रेस नहीं छोड़ना चाहते हैं और उन्हें गहलोत से दिक्कत है, वो पार्टी में बदलाव चाहते हैं. ऐसे में हाईकोर्ट ने कहा कि इस तरह के हालात में जब कोई विरोध करता है या फिर सवाल उठाता है वो दल बदल कानून में नहीं आना चाहिए, क्योंकि वो उनकी अभिव्यक्ति की आजादी में आता है. हालांकि कोर्ट ने इसे अभी सही नहीं बताया है, लेकिन इस पर बैठकर चर्चा करने की बात जरूर कही है.

दरअसल कोर्ट ये देखेगा कि दल बदल कानून का अभिव्यक्ति की आजादी पर क्या असर पड़ने वाला है, अगर पड़ता है तो इस कानून के इस हिस्से को असंवैधानिक बताकर बदलना चाहिए या फिर नहीं.
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हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब लंबा चलेगा मामला

हालांकि राजस्थान हाईकोर्ट ने ये कहा है कि वो इसे जरूर सुनेंगे, लेकिन पहले सुप्रीम कोर्ट का इस पर फैसला आ जाए. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट भी इसी मामले पर सुनवाई करने जा रहा है. हाईकोर्ट के फैसले से पहले ये माना जा रहा था कि स्थिति कुछ साफ जरूर होगी, लेकिन हाईकोर्ट ने यथास्थिति को बनाए रखने की बात कही है.

इससे ये मामला और लंबा खिंच गया है. क्योंकि अब सुप्रीम कोर्ट में पता नहीं कब तक सुनवाई चलती है, उसके बाद फिर से हाईकोर्ट में मामले को सुना जा सकता है. तो अब मामला काफी लंबा चलने वाला है.

एक तरह से देखा जाए तो ये सब जो चल रहा है वो सुप्रीम कोर्ट के पुराने जजमेंट्स के भी खिलाफ है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने 1992 में अपने एक फैसले में कहा था कि जो एंटी डिफेक्शन लॉ में पैराग्राफ-2 है, जिसमें दो चीजों के आधार पर विधायकों को अयोग्य घोषित किया जा सकता है. पहली कि अगर वो सदन में पार्टी व्हिप के खिलाफ वोट करते हैं और दूसरी कि अगर वो खुद बोलते हैं कि वो पार्टी छोड़ रहे हैं. इसमें कई सारी बाते हैं, क्योंकि अगर आप पार्टी के खिलाफ काम कर रहे हैं तो भी आप इस कानून के तहत आ सकते हैं. अब राजस्थान में ये हो रहा है कि सचिन पायलट और बागी विधायकों को लेकर कहा जा रहा है कि वो मानेसर में बैठे हैं और बीजेपी की मेहमान नवाजी में हैं. इसीलिए उन्होंने पार्टी छोड़ी है. इसीलिए उन्हें अयोग्य घोषित करना चाहिए. लेकिन बागी विधायक कह रहे हैं कि वो विरोध जता रहे हैं और अपनी अभिव्यक्ति की आजादी का इस्तेमाल कर रहे हैं.

अब इस केस में आगे क्या होने वाला है, इसका सही अंदाजा अभी फिलहाल कोई भी नहीं लगा सकता है. सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद ही कुछ हद तक तस्वीर साफ हो पाएगी.

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