वो बूढ़ी दादी जादू करती हैं. लोगों की आंखें ठीक कर रही हैं. हजारों लोग अब तक अपनी आंखें ठीक करा चुके हैं.
पीर-फकीर की कहानियां आपने सुनी होंगी. वो जिनके छूते ही मरीज का दर्द छूमंतर हो जाता है. ये कहानी भी कुछ ऐसी ही है. हजारों मील का सफर करके आप तक पहुंची है. ये कहानी है यूरोपीय देश बोसनिया में रहने वाली हवा सेलेविक की. लोग इन्हें ‘नाना हवा’ कहते हैं. बोसनियन भाषा में दादी मां को ‘नाना’ कहा जाता है.
वो काम आती हैं...जब डॉक्टर हार जाते हैं
बोसनिया के ग्रामीण इलाके में रहने वालीं नाना हवा अब तक हजारों लोगों की आंखें ठीक कर चुकी हैं. हवा अपनी जीभ से लोगों की आंखों साफ करती हैं. सीसा, लोहा, कोयला, लकड़ी का बुरादा और कांच निकालती हैं.
लेकिन इससे पहले वे अपनी जीभ को एल्कोहल से साफ करती हैं.
इनके इलाज से अब तक रूस, अमेरिका और अन्य तमाम देशों से 5000 लोगों को फायदा पहुंच चुका है.
फ्री में भी करती हैं इलाज
‘नाना हवा’ अपने मरीजों के इलाज के लिए उनसे 10 यूरो लेती हैं. लेकिन बेरोजगार लोगों का इलाज वे फ्री में करती हैं. ‘नाना हवा’ कहती हैं कि लोग दुनियाभर से इलाज के पारंपरिक तरीकों को ट्राई करने के बाद उनके पास सूजी हुई आंखों के साथ आते हैं. वे कहती हैं उन्होंने इस तरह इलाज का तरीका भी एक महिला से सीखा था जिसे ‘हवा’ कहा जाता था.
लेकिन, दादी के बच्चों को नहीं सुहाता ये तरीका
हवा कहती हैं कि उनके मरने के बाद गांव वाले उनकी जीभ को काटकर रख लेंगे क्योंकि उनके परिवार में कोई भी इलाज का ये तरीका नहीं सीखना चाहता, उन्हें ये बेहद खराब और भद्दा लगता है कि किसी अन्य की आंख अपनी जीभ से साफ की जाए.
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