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देश का आजकल है ये हाल कि मुन्नाभाई गांधीगिरी ही भूल गया!

मुन्नाभाई के नाम ये खत - 10 साल में भारत कितना बदल चुका है

Published
भारत
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10 साल के इंतजार के बाद मुन्नाभाई, आपके लौटने की खबर आई है.

पर भाई आपको बता दूं, आप जिन लोगों को गांधीगिरी सिखा के गए थे, वो काफी बदल गए हैं. इनफैक्ट पूरा देश एकदम बदल गएला है.

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हिंसा, असहिष्णुता

आप शॉक ना हों, इसलिए मैं पहले ही बता रहा हूं कि बापू गांधीगिरी की वाट लगेली है, विनम्रता गयी तेल लेने... हिंसा तो देश का हिस्सा बन गई है.

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हर बात पे अपने लोग हिंसा शुरू कर देते हैं. पेशेंट ठीक नहीं हुआ, तो डॉक्टर को धो देते हैं. फिल्म बनाई, तो तोड़-फोड़ करते हैं और भारत माता की जय नहीं बोला, तो तो पक्का पीट देते हैं.

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कायदा अब सबके हाथ में है

बापू के आंदोलन की भी वाट लगा देते हैं. पुलिस जेल में भर लेती है, पर उधर भी सेफ्टी नहीं... साला वकील लोग भी कोर्ट में ही धो डालते हैं. सब लोग कायदा हाथ में लेकर घूम रहे हैं.

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कॉलेज में पढ़ाई करना भी आसान नहीं रहा. कॉलेज में आंदोलन करो, तो स्टूडेंट्स को पुलिस पकड़कर ले जाती है, देशद्रोही करार दिया जाता है. पर सुसाइड कर ले या कोई गायब हो जाए, तो पुलिस इन्वेस्टिगेशन ही करती रहती है.

कानून को हाथ में लेने वालों से सवाल किया, तो पत्रकारों को भी फोड़ देते हैं.

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विनम्रता को भूल गए

आपको बापू ने बोला था ना कि विनम्रता से सच का साथ दो, सब ठीक हो जाएगा. पर इधर तो साला सच बोलने का मौका भी नहीं दिया जाता. सोशल मीडिया पर अपनी बात रखो, तो उस पर भी बवाल हो जाता है.

आपने जब बापू के साथ रेडियो पर शो किया, तभी कितने सारे लोगों ने दिल से आपसे एकदम मस्त बात की थी. पर आज टीवी पे आप न्यूज चैनल देख लो, तो सब लोग चिल्लाता रहता है. आम आदमी की आवाज की कोई कीमत नहीं रही.

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हिस्‍ट्री बदला जा रहा है, कायदे और कानून जरूरत के हिसाब से फायदे के लिए बनाए जा रहे हैं. कब कौन-सा फैसला सुना दिया जाए, जो आपकी जिंदगी बदल दे, इसकी कोई गारंटी नहीं.
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एंटी नेशनल Vs नेशनल, देशभक्त Vs देशद्रोही

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ये नेशनल, एंटी नेशनल का नया लफड़ा भी है. नेशनल बोले तो एकदम देशभक्त पब्लिक, जो देश के लिए खून भी बहा सकती है, अपना नहीं, दूसरों का. और अभी एंटी नेशनल बोले तो देश के दुश्मन, जैसे बापू के टाइम पे अंग्रेज लोग थे ना, वैसे ही. बस ये अपने ही देश की पब्लिक है, इनकी देशभक्ति में थोड़ा लोचा है.

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आज बिजली और पानी है, पर उस पे जात-पांत की राजनीति की जाती है. रास्ते हैं, पर गड्ढों की जगह टोलबूथ खड़े हो चुके हैं, जहा उनकी कीमत चुकानी पड़ती है.

देश में बुलेट ट्रेन आ रही है, पर आज भी ट्रेन के टिकट मिलना आसान नहीं, तत्काल के लिए दिन-रात और इंटरनेट एक करना पड़ता है.

आतंकवाद से लड़ने के लिए बापू की फोटो वाली नोट को ही साला बदल गया, इसको देख बुरा मत मानना.

अपने नेता लोग फोन पे ब्लू फिल्म देखता है, संसद में सोता है, जबकि अक्खा देश रोता है, बाबा लोग ही देश चला रहा है.

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आपने बोला था ‘अगर बापू होता, तो बोलता - देश तो अपना हो गया, पर लोग पराए हो गए हैं’

पर हम अभी बदले नहीं.

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