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बंगाल में 8 फेज लंबे चुनाव का BJP को उठाना पड़ा खामियाजा?

गहराता कोरोना संकट और रैलियों का शोर, कहीं बंगाल की जनता को ये बात अखर तो नहीं गई!

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पश्चिम बंगाल चुनाव में आखिरकार सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी करीब दो तिहाई बहुमत से जीत गई और बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा है. टीएमसी की जीत और बीजेपी की हार के कई सारे कारण बताए जा रहे हैं, जिनमें से एक कारण ये भी है कि चुनाव आयोग का 8 फेज लंबा चुनाव कराने का फैसला बीजेपी के लिए भारी पड़ गया. आखिरी के चरणों में बीजेपी का वोट प्रतिशत तेजी से कम हुआ. कोरोना के गंभीर स्तर पर पहुंचने के साथ चुनाव प्रचार के बढ़ते शोर ने बीजेपी को नुकसान पहुंचाया है.

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चुनाव आयोग के 8 चरण लंबे चुनाव कराने के फैसले का विपक्षी पार्टी टीएमसी ने जमकर विरोध किया था. आरोप लगे थे चुनाव आयोग केंद्र सरकार के इशारे पर इतना लंबा चुनाव करा रहा है और इससे बीजेपी को फायदा होगा.

बता दें कि चुनाव के चरण 27 मार्च से शुरू होकर 29 अप्रैल को खत्म हुए. आखिरी के तीन चरण अप्रैल महीने के अंतिम दिनों में हुए जब कोरोना संक्रमण को लेकर भयंकर हेडलाइन बनने लगी थीं.

आखिर के 3 चरणों में तेजी से गिरा बीजेपी का वोट प्रतिशत

8 फेज के चुनाव में अगर बीजेपी और टीएमसी को मिले वोटों के प्रतिशत की तुलना करके देखें तो खासतौर से आखिरी के तीन फेज में बीजेपी के वोट प्रतिशत में बड़ी गिरावट देखने को मिली है. छठें, सातवें और आठवें फेज में बीजेपी को 38.4%, 32.8%, 32.3% वोट मिले. वहीं टीएमसी को 47.8%, 52%, 52.2% वोट मिले.

शुरुआती 5 फेज में वोट प्रतिशत के मामले में बीजेपी टीएमसी के आसपास ही थी. लेकिन आखिरी के तीन फेज में ये फासला बहुत ज्यादा बढ़ गया.

गहराता कोरोना संकट और रैलियों का शोर, कहीं बंगाल की जनता को ये बात अखर तो नहीं गई!
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बीजेपी लंबी चुनाव प्रक्रिया का फायदा नहीं उठा पाई

चुनाव कवर करने वाले स्थानीय रिपोर्टर बताते हैं कि चुनाव आयोग का 8 चरणों में लंबा चुनाव कराने का बीजेपी कोई फायदा नहीं उठा पाई. टीएमसी ने इतना पुख्ता चुनावी प्रबंधन किया, जिसके सामने बीजेपी टिक नहीं पाई. दूसरा कारण ये भी है कि आखिर में जिन इलाकों में चुनाव हुआ, उन इलाकों में टीएमसी की पकड़ मजबूत मानी जाती है. इसलिए भी बीजेपी इन आखिरी फेज में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई.

अशोका यूनिवर्सिटी में राजनीति पढ़ाने वाले Gilles Verniers ने ट्विटर पर रोचक डेटा शेयर किया है. इस डेटा के मुताबिक जिन इलाकों में 6, 7, 8 फेज के चुनाव हुए, वहां बीजेपी को 2019 लोकसभा चुनाव में तुलनात्मक रूप से कम वोट मिले थे. लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि 2021 विधानसभा चुनाव में ये फर्क कुछ ज्यादा ही बढ़ा हुआ दिखता है.

गहराता कोरोना संकट और रैलियों का शोर, कहीं बंगाल की जनता को ये बात अखर तो नहीं गई!
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गहराता कोरोना संकट और रैलियों का शोर

अप्रैल महीने की शुरुआत से ही महाराष्ट्र से शुरू हुआ कोरोना संकट राष्ट्रीय स्तर पर हेडलाइन बनाने लगा. एक तरफ कोरोना संकट रिकॉर्ड स्तरों पर दूसरी तरफ बंगाल चुनाव के लिए जान लगाती बीजेपी की चुनाव मशीनरी. केंद्र के मंत्री, नेता, प्रधानमंत्री सभी ने बंगाल चुनाव में भर-भर कर रैलिया कीं.

आखिरी चरणों के चुनाव प्रचार के दौरान ये सवाल जोर-शोर से उठने लगे कि जब देश में कोरोना संकट गंभीर स्थिति में पहुंच चुका है तो केंद्र सरकार के दिग्गज बंगाल चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं. इन सवालों से बीच बीजेपी की खूब किरकिरी हुई. आखिरी के तीन फेज में टीएमसी को +5.3%, +13.5%, +11% वोट प्रतिशत का फायदा हुआ. जैसा कि ऊपर हमने बताया कि आखिरी चरणों में जहां चुनाव हुए वहां टीएमसी पहले से ही मजबूत थी लेकिन कोरोना के बीच चुनाव कराने का भी कुछ नुकसान बीजेपी को हुआ हो, ये भी भी संभव है.

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