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बंगाल चुनाव 2021: एक बार फिर एग्जिट पोल का बज गया ढोल,समझिए क्यों?

2004 आम चुनाव से 2020 बिहार विधानसभा चुनाव तक,कई ऐसे उदाहरण हैं जहां एग्जिट पोल गच्चा खा गया

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पश्चिम बंगाल के चुनाव नतीजों ने एक बार फिर साबित कर दिया कि एग्जिट पोल हर बार सटीक नहीं होते हैं. या यूं कहें कि ज्यादातर बार एग्जिट पोल गलत ही साबित होते हैं. इस बार भी तमाम एग्जिट पोल बंगाल में कांटे की टक्कर बता रहे थे, कुछ तो बीजेपी की जीत का भी दावा कर रहे थे. लेकिन ममता बनर्जी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज कर एग्जिट पोल्स का भी 'खेला होबे' कर दिया.

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292 विधानसभा सीटों वाले पश्चिम बंगाल चुनाव में TMC का 213 सीटों पर कब्जा दरअसल एग्जिट पोल कराने वाले मीडिया हाउस और पॉलिटिकल साइंस के विशेषज्ञों के लिए सीख है कि आपने अभी भी 'जनता का मूड' ट्रैक करने की शत-प्रतिशत सही तकनीक इजाद नहीं की है.

 2004 आम चुनाव से 2020 बिहार विधानसभा चुनाव तक,कई ऐसे उदाहरण हैं जहां एग्जिट पोल गच्चा खा गया

अधिकतर एग्जिट पोलों ने बंगाल में कांटे की टक्कर बताया था 

तमिलनाडु ,असम, केरल और पुडुचेरी में एग्जिट पोलों द्वारा लहर का रुख सही बताने के बावजूद 2004 आम चुनाव से 2020 बिहार विधानसभा चुनाव तक कई ऐसे उदाहरण हैं जहां एग्जिट पोल गच्चा खा गया.

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एग्जिट पोल हर बार ऐक्जैक्ट पोल नहीं

  • एग्जिट पोल ने 2004 आम चुनाव में अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व में एनडीए को 230 से 275 सीटें जीतने का अनुमान लगाया था लेकिन चुनाव के बाद कांग्रेस ने बाजी मारते हुए UPA-1 की सरकार बनाई जबकि एनडीए को मात्र 187 सीटें ही मिली.
  • 2009 के आम चुनाव में एग्जिट पोलों ने UPA के वापस सत्ता में आने पर संदेह व्यक्त किया था और उसे मात्र 199 सीटें जीतने का अनुमान लगाया था. चुनाव के बाद परिणाम UPA के पक्ष में रहा और उसने 262 सीटों पर जीत दर्ज की.
  • 2015 बिहार विधानसभा चुनाव में एग्जिट पोलों के अनुसार 93 से 155 सीटों को जीतकर बीजेपी राजद-जदयु के गठबंधन को हरायेगी और आसानी से सरकार बनाएगी. जबकि इस चुनाव में बीजेपी मात्र 53 सीटों पर सिमट कर रह गई.
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  • 2017 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में एग्जिट पोलों ने एसपी और बीएसपी के गठबंधन को 228 से 230 सीट जीतने और बीजेपी के 161 से 170 सीटों पर जीत दर्ज करने का अनुमान लगाया था. चुनाव के बाद बीजेपी ने 312 सीटों का प्रचंड बहुमत पाया और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनी.
  • 2018 छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में एग्जिट पोलों ने बीजेपी को 40 और कांग्रेस को 44 सीटों पर जीतने का अनुमान लगाया था .लेकिन मतगणना के बाद बीजेपी को मात्र 15 जबकि कांग्रेस को 68 सीटों पर जीत मिली .
  • 2020 में 243 विधानसभा सीटों वाली बिहार विधानसभा चुनाव में एग्जिट पोलों ने तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन को 134 सीट जबकि नितीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए को 101 सीटें मिलने का अनुमान लगाया था. मतगणना के बाद एनडीए ने हरेक एग्जिट पोल को गलत साबित करते हुए 125 सीटें जीतकर बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया जबकि महागठबंधन 110 सीटों पर सिमट कर रह गई.
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एग्जिट पोल से इस चूक का कारण

एग्जिट पोल इस तथ्य पर काम करता है कि पोलिंग बूथ से बाहर आया मतदाता सच बोले क्योंकि एक बार वोट देने के बाद उसके छुपाने से कोई विशेष फायदा नहीं है. लेकिन मतदाता का सच बोलना उसका अपने आप को सुरक्षित महसूस करने पर निर्भर करता है. यह तभी संभव है जब कानून व्यवस्था अच्छी हो और वहां लोकतांत्रिक इच्छाओं का सम्मान होता हो.

वोटों को सीट में बदलते समय कई बार एक्जिट पोल कराने वाली संस्था सामान्य गणित का उपयोग करने की चूक करने लगती है. बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-राजद के महागठबंधन के बाद सामान्य गणित के अनुसार उम्मीद यह थी कि जहां जहां कांग्रेस का नेता महागठबंधन का उम्मीदवार है वहां का आरजेडी का सारा वोट कांग्रेस को चला जाएगा. लेकिन ‘ट्रांसफर और वोट’ का गणित ऐसे काम नहीं करता.
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एग्जिट पोल में एक चूक महिलाओं का 'अंडर रिप्रेजेंटेशन' का है .मतदाता के लगभग 50% हिस्से को अगर आप अपने आंकड़ों में दर्ज नहीं करते हैं तो स्वभाविक है कि आप की भविष्यवाणी शत प्रतिशत सही नहीं होगी.

सबसे अंतिम बात है कि एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो पॉलिटिकल सही होने के चक्कर में सच नहीं बोलता और उसके वोटों को एग्जिट पोल में सही जगह नहीं मिलती.

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