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बाइकिंग क्वीन्स: लड़कियां जो दे रही हैं बेटियों को बचाने का संदेश

अभियान के जरिए लिंग भेद को खत्म करना है इन बाइकिंग क्वीन्स का मकसद.

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भारत
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चार लड़कियां है. ये पिछले 40 दिनों से 10 एशियाई देशों में बाइक पर घूम रही हैं. मन में एक धुन है कि लोगों को कन्या भ्रूण हत्या के बारे में जागरुक करना है.

बाइकिंग क्वीन्स ऑफ सूरत नाम वाले इस ग्रुप में डॉ. सारिका मेहता, युग्मा देसाई, ख्याति देसाई और दुर्रिया टापिया शामिल हैं.

इस ग्रुप ने 10,000 किलोमीटर बाइक चलाकर भूटान, म्यांमार, थाईलैंड, लाओस, कंबोडिया, वियतनाम और मलेशिया से होते हुए 15 जुलाई को सिंगापुर में अपनी यात्रा खत्म की है.

सिंगापुर में इन चारों लड़कियों ने भारतीय उच्चायुक्त विजय ठाकुर सिंह से मुलाकात भी की.

इस बाइक जर्नी को लीड करने वाली गुजरात की सारिका मेहता एक साइकोलाॅजिस्ट हैं.

इस ग्रुप में हैं:-

  • साइकोलाॅजिस्ट सारिका मेहता (40)
  • इंटीरियर डिजाइनर युग्मा देसाई (27)
  • ट्रैवल एजेंट दुर्रिया टापिया (36)
  • एचआर एक्जीक्यूटिव ख्याति देसाई (31)
अभियान के जरिए लिंग भेद को खत्म करना है इन बाइकिंग क्वीन्स का मकसद.
भारतीय उच्चायुक्त विजय ठाकुर सिंह के साथ बाइकिंग क्वींस. (फोटो: Facebook/Biking Queens)
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लिंग भेद को खत्म करने के लिए अभियान

बाइक चलाकर एशियाई देशों में घूमती हुई ये लड़कियां कई स्कूलों और यूनिवर्सिटियों और गैर-सरकारी संस्थानों के साथ मिली हैं. इन मीटिंग्स में इन्होंने शिक्षा के जरिए लिंग भेद को खत्म करने के बारे में लोगों को समझाने की कोशिश की है.

कन्या भ्रूण हत्या की समस्या भारत में बहुत बड़ी है, हमें लगता है कि यह एक ग्लोबल समस्या भी है जो कहीं भी हो सकती है.
सारिका मेहता, बाइकिंग क्वींस ऑफ सूरत ग्रुप की फाउंडर

भारत में कन्या भ्रूण हत्या के कारण लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या कम हो गई है. 2001 में, 1000 लड़कों पर 927 लड़कियां थीं, 2011 में यह आंकड़ा गिर कर 919 लड़कियों पर पहुंच गया था.

इस तरह के एक बेहद निराशाजनक स्थिति में ये बाइकर क्वींस लोगों के लिए एक प्रेरणा बन रही हैं.

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