ADVERTISEMENTREMOVE AD

मुंबई की एक लड़की की नजर से फिल्‍मी दुनिया की बोल्‍ड ‘क्‍वींस'

जेंडर इक्वलिटी को लेकर फिल्मों में गंभीर सोच दिखने लगी है.

Published
भारत
3 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

फिल्म इंडस्ट्री में महिला किरदारों को उनकी सही जगह और पहचान पाने के लिए काफी लंबा सफर तय करना पड़ा है. लेकिन धीरे-धीरे इसमें बदलाव आने शुरू हुए हैं. फिल्म इंडस्ट्री ने पर्दे पर एक्ट्रेस को बोल्ड और दमदार रूप में आने का मौका देना शुरू कर दिया है. जेंडर इक्वलिटी को लेकर फिल्मों में गंभीर सोच दिखने लगी है.

शिवानी गोर्ले मुंबई की एक 21 साल की लड़की. शिवानी ने अपनी इसी सोच को कला के जरिए सोशल मीडिया फेसबुक और इंस्टाग्राम पर लाना शुरू किया. शिवानी का मानना है कि फिल्म जगत में फेमिनिज्म को लेकर एक लहर चली है.

‘क्वीन्स आॅन स्क्रीन’ नाम से उन्होंने डिजिटल इलस्ट्रेशन की एक सीरीज शुरू की. इस सीरीज में उन्होंने बाॅलीवुड और हाॅलीवुड फिल्मों में दमदार किरदार निभाने वाली महिला कलाकारों की तस्‍वीरों को शामिल किया है.

शिवानी बिना किसी पेशेवर ट्रेनिंग के एडोब इलस्ट्रेटर का उपयोग कर तस्वीरों को बनाती हैं. उनके इलस्ट्रेशन में फिल्म के किरदार का सबसे बोल्ड डायलाॅग का भी उन्होंने इस्तेमाल किया है.

अपने काम के माध्यम से शिवानी यह बताना जाहती हैं कि फिल्में अब सिर्फ मनोरंजन का साधन ही नहीं बल्कि सामाजिक बदलाव का साधन बन चुकी हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

'मैं अपने हनीमून पर अकेले आई हूं'



जेंडर इक्वलिटी को लेकर फिल्मों में गंभीर सोच दिखने लगी है.
फिल्म क्वीन (2013) में रानी के किरदार में कंगना रनोट
0

'मैं अपनी फेवरेट हूं'



जेंडर इक्वलिटी को लेकर फिल्मों में गंभीर सोच दिखने लगी है.
फिल्म जब वी मेट (2007) में गीत के किरदार में करीना कपूर
ADVERTISEMENTREMOVE AD

'थैंक यू फाॅर टीचींग मी हाऊ टू लव माईसेल्फ'

शुक्रिया मुझे खुद से प्यार करना सीखाने के लिए.



जेंडर इक्वलिटी को लेकर फिल्मों में गंभीर सोच दिखने लगी है.
फिल्म इंग्लिश-विंग्लिश (2007) में शशि के किरदार में श्रीदेवी.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

'मस्तानी अपनी तकदीर खुद लिखती है'



जेंडर इक्वलिटी को लेकर फिल्मों में गंभीर सोच दिखने लगी है.
फिल्म बाजीराव-मस्तानी (2015) में मस्तानी के किरदार में दीपिका पादुकोण.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

'जब जिंदगी एक बार मिलती है तो दो बार क्यूं सोचे'



जेंडर इक्वलिटी को लेकर फिल्मों में गंभीर सोच दिखने लगी है.
फिल्म डर्टी पिक्चर (2011) में सिल्क के किरदार में विद्या बालन.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

'ललुआ नहीं हैं हम, हाॅकी चैंपियन'



जेंडर इक्वलिटी को लेकर फिल्मों में गंभीर सोच दिखने लगी है.
फिल्म उड़ता पंजाब (2016) में कुमारी के किरदार में आलिया भट्ट.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

'एनीवन कैन कुक आलू-गोभी, बट हू कैन बेंड बाॅल लाइक बेकहम?'

आलू-गोभी तो कोई भी बना सकता है, लेकिन है कोई जो बेकहम की तरह गेंद मोड़ सके?



जेंडर इक्वलिटी को लेकर फिल्मों में गंभीर सोच दिखने लगी है.
फिल्म बेन्ड इट लाइक बेकहम (20O2) में जेस के किरदार में परमिंदर नागरा.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

'इट्स नाॅट अप टू यू टू सेव मी, जैक'

मुझे बचाने के लिए तुम नहीं हो, जैक!



जेंडर इक्वलिटी को लेकर फिल्मों में गंभीर सोच दिखने लगी है.
फिल्म टाइटेनिक (1997) में रोज के किरदार में केट विंसलेट.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

'आई एम गिविंग यू द गिफ्ट आॅफ लाइफ'

मैं तुम्हें जिंदगी का तोहफा दे रही हूं



जेंडर इक्वलिटी को लेकर फिल्मों में गंभीर सोच दिखने लगी है.
फिल्म जूनो (2007) में जूनो के किरदार में एलेन पेज.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

'मडब्लड, एंड प्राउड आॅफ इट'



जेंडर इक्वलिटी को लेकर फिल्मों में गंभीर सोच दिखने लगी है.
फिल्म हैरी पाॅटर (2011) में हरमाईनी के किरदार में एम्मा वाॅटसन.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

'आइ जस्ट वांट टू बी परफेक्ट'

मैं सिर्फ परफेक्ट होना चाहती हूं.



जेंडर इक्वलिटी को लेकर फिल्मों में गंभीर सोच दिखने लगी है.
फिल्म ब्लैक स्वान (2010) में नीना के किरदार में नतालिया पोर्टमैन.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×