ADVERTISEMENTREMOVE AD

देश की जान, हमारी शान हैं ये बेटियां

देश की इन बेटियों ने साबित किया की वह किसी से कम नहीं और मौका मिले तो वह कुछ भी कर सकती हैं.

Published
भारत
3 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

रियो ओलंपिक 2016 में साक्षी मलिक और पीवी सिंधु की जीत ने जहां देश को खुश किया वहीं, देश की महिला खिलाड़ियों के दमखम का परिचय दुनिया को दिया. देश की इन बेटियों ने साबित किया कि वह किसी से कम नहीं और मौका मिले तो वह कुछ भी कर सकती हैं.

नजर डालते हैं भारत की महिला ओलंपिक चैंपियनों पर-

ADVERTISEMENTREMOVE AD

कर्णम मल्लेश्वरी, वेटलिफ्टिंग (ब्रॉन्ज, 2000)



देश की इन बेटियों ने साबित किया की वह किसी से कम नहीं और मौका मिले तो वह कुछ भी कर सकती हैं.
कर्णम मल्लेश्वरी. (फोटो: Reuters)

2000 के सिडनी ओलंपिक में कर्णम मल्लेश्वरी ने मेडल पर कब्जा किया था. इस जीत के साथ वह ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं. उन्होंने महिलाओं के 69 किलोवर्ग की भारोत्तोलन प्रतियोगिता में ब्राॅन्ज मेडल हासिल किया था. उन्होंने 240 किलो वजन के साथ यह पदक जीता.

उनका ये प्रदर्शन भारतीय इतिहास में बेहद खास है. जिसने महिला खिलाड़ियों के प्रति नजरिया ही बदल डाला.

0

एमसी मेरी कॉम, बॅाक्सिंग (ब्रॉन्ज, 2012)



देश की इन बेटियों ने साबित किया की वह किसी से कम नहीं और मौका मिले तो वह कुछ भी कर सकती हैं.
एमसी मेरी कॉम. (फोटो: AP)

मेरी कॉम लंदन ओलंपिक में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बॉक्सर बनीं. 2012 में उन्होंने लंदन ओलंपिक में भारत को बॅाक्सिंग में ब्राॅन्ज मेडल दिलाया था.

दो बच्चों की मां एमसी मेरी कॉम उस समय ओलंपिक क्वालिफाई करने वाली अकेली भारतीय महिला मुक्केबाज थीं. वह पांच बार की विश्व चैंपियन मुुक्केबाज रह चुकी हैं. उन्होंने एशियन चैंपियनशिप में चार बार गोल्ड मेडल और 2014 के एशियन गेम्स में भी गोल्ड मेडल जीता है.

हालांकि, इस बार वह रियो ओलंपिक में नहीं खेल पाईं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

सायना नेहवाल, बैडमिंटन (ब्रॉन्ज, 2012)



देश की इन बेटियों ने साबित किया की वह किसी से कम नहीं और मौका मिले तो वह कुछ भी कर सकती हैं.
सायना नेहवाल. (फोटो: PTI)

सायना नेहवाल ने 2012 ओलंपिक में ब्राॅन्ज मेडल जीता था. सायना प्रकाश पादुकोण के बाद पहली भारतीय और पहली भारतीय महिला हैं, जो दुनिया की नंबर 1 बैडमिंटन खिलाड़ी बनीं. सुपर सीरीज टूर्नामेंट जीतने वाली वो पहली भारतीय भी हैं.

बैडमिंटन में पहला मेडल लाने का श्रेय इन्हें ही जाता है. वह 2010 के दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक भी जीत चुकी हैं. इस बार भी रियो ओलंपिक में उनसे मेडल की उम्‍मीद थी, लेकिन वह जीत नहीं पाई.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

साक्षी मलिक, कुश्ती (ब्रॉन्ज, 2016)



देश की इन बेटियों ने साबित किया की वह किसी से कम नहीं और मौका मिले तो वह कुछ भी कर सकती हैं.
साक्षी मलिक. (फोटो: PTI)

फ्रीस्टाइल महिला पहलवान साक्षी मलिक ने रियो ओलंपिक 2016 में ब्राॅन्ज मेडल जीतकर भारत के पदक के इंतजार को खत्म किया. 23 साल की साक्षी ने किर्गिस्तान की अइसुलू टाइबेकोवा को 58 किलोग्राम वर्ग में हरा कर देश को पदक दिलाया.

ओलंपिक में भारत के लिए साक्षी से पहले कभी किसी महिला पहलवान ने पदक नहीं जीता था. साल 2015 में हुए एशियन चैम्पियनशिप में पोडियम फिनिश करने वाली साक्षी ओलंपिक में कुश्ती में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

पीवी सिंधु, बैडमिंटन (2016)



देश की इन बेटियों ने साबित किया की वह किसी से कम नहीं और मौका मिले तो वह कुछ भी कर सकती हैं.
पीवी सिंधु. (फोटो: Reuters)

बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु देश की नई सनसनी बनकर उभरी हैं. रियो ओलंपिक 2016 में उन्होंने देश के गोल्ड मेडल जीतने के सपने को अभी मरने नहीं दिया है.

सिंधु का फाइनल मुकाबला वर्ल्ड नंबर 1 खिलाड़ी स्पेन की कैरोलीन मरीन से होगा. इसमें वह अगर जीत जाती हैं तो अभिनव बिंद्रा के बाद भारत को दूसरा इंडिविजुअल गोल्ड दिलाएंगी.

इस मुकाबले की हार-जीत से इतर यह तय है कि भारत की यह बेटी सिल्वर मेडल देश के नाम कर के रहेगी.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×