अमेरिका के एक प्रभावशाली सांसद ने कहा है कि पाकिस्तान को अपने 600 देवबंदी मदरसों को बंद करने के बारे में गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिकी कांग्रेस और ट्रंप प्रशासन को लगता है कि ऐसे स्कूल आतंकवादियों के पनपने का स्थल हैं.
वाशिंगटन के यूएस कैपिटोल में गुरुवार को नई दिल्ली के थिंक-टैंक ‘विवेकानंद इंटनेशनल फाउंडेशन' की ओर से आयोजित कार्यक्रम में सांसद एड रॉयस ने कहा,
मेरे विचार में, ऐसा मत है कि पाकिस्तान को देवबंदी मदरसों को बंद करने के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए. ऐसे करीब 600 मदरसे हैं जो लोगों को बरगलाते हैं और ये लोग या तो जिहाद के पक्ष में दलीलें देते रहते हैं या जिहाद करते हैं.
हाउस फॉरेन रिलेशंस कमेटी के अध्यक्ष ने कहा, ‘‘पाकिस्तान को लश्कर-ए-तैयबा जैसे समूहों पर कार्रवाई करने के साथ ऐसे परिसरों को भी बंद करने की जरुरत है. पाकिस्तान को यह समझने की आवश्यकता है कि आतंकवादी हमलों के दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाए’’.
भारत के साथ इन बातों पर हो रहा विचार
एक विचार तो भारत और अमेरिका के बीच 500 अरब डॉलर के कारोबार का है. इस दिशा में हम नीतियों को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं... इसलिए हमें भारत के साथ एक प्रभावी द्विपक्षीय कारोबारी समझौते की जरुरत है. हम कारोबार को और उदार कर रहे हैं.अमेरिकी सांसद एड रॉयस
उन्होंने कहा, ‘‘साथ ही, यह बताते हुए खुशी हो रही है कि अमेरिका में रह रहे भारतीय अमेरिकी आबादी की आधी संख्या पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री रखती है और हम जानते हैं कि भारतीय-अमेरिकी लोगों का भविष्य बेहद उज्ज्वल है.''
उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका को ‘‘कानून के नियम, लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की आजादी और अपने धर्म का पालने करने की आजादी के बुनियादी मूल्यों'' पर अपनी नीतियां बनानी चाहिए.
रॉयस ने बताया कि भारत अमेरिका का नौंवा सबसे बड़ा कारोबारी सहयोगी है और बीते कई वर्षों में आतंकवाद-रोधी सहयोग बढ़ा है.
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