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ट्रंप का आरोप- निचले दर्जे तक गिरे ओबामा, कराई थी फोन टेपिंग

ट्रंप ने आरोप लगाते हुए इस कांड की तुलना 1972 में हुए वॉटरगेट स्कैंडल से की है. 

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ओबामा ने चुनावों के पहले ट्रंप टॉवर में फोन टेपिंग करवाई है. यह निक्सन/ वॉटरगेट की तरह है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि 2016 में चुनावों के पहले नवंबर में ओबामा प्रशासन ने उनके न्‍यूयॉर्क ऑफिस की फोन टेपिंग की थी. ट्रंप ने इस कथित टेपिंग की तुलना कुख्यात वॉटरगेट स्कैंडल से की है.

वहीं बराक ओबामा के प्रवक्ता केविन लेविस ने इन आरोपों को निराधार करार दिया है. उन्होंने कहा कि ओबामा प्रशासन ने कभी किसी अमेरिकी नागरिक की फोन टेपिंग नहीं की है.

मुझे पता चला है कि मेरी जीत के पहले ओबामा ने ट्रंप टावर में वायर टेपिंग करवाई थी. क्या किसी राष्ट्रपति के लिए कानूनी है कि वो चुनावों के पहले किसी की टेपिंग करवाए. जबकि इसे पहले कोर्ट भी नकार चुका है. ओबामा, चुनावों के तुरंत पहले अक्टूबर में मेरी फोन टेपिंग करवा रहे थे. मैं शर्त लगाकर कह सकता हूं कि एक वकील इस तथ्य पर काफी मजबूत केस बना सकता है. ओबामा, चुनावों जैसी पवित्र प्रक्रिया के दौरान मेरा फोन टेप करवाकर आप और कितने निचले दर्जे तक गिर सकते हैं. यह निक्सन के काल में हुए वॉटरगेट कांड की तरह है.
डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिकी राष्ट्रपति
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कौन हैं निक्सन और क्या है वॉटरगेट स्कैंडल?

साल 1952. अमेरिका में रिपब्लिकन ड्वाइट डी आइशनहॉवर राष्ट्रपति चुने गए. उन्होंने एक 39 साल के युवा नेता को उपराष्ट्रपति बनाया. अमेरिकी राजनीति के इस उभरते सितारे का नाम था रिचर्ड मिल्हस निक्सन.

1960 में यही निक्सन रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति के लिए चुनाव लड़े. लेकिन जॉन एफ कैनेडी ने उन्हें मात दे दी. निक्सन राजनीति में इंतजार की अहमियत समझते थे. 1968 के चुनावों में एक बार फिर निक्सन ने राष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवारी हासिल कर ली.

इस बार अमेरिका की जनता और किस्मत दोनों ही निक्सन पर मेहरबान थीं. दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र के 35 वें राष्ट्रपति के रूप में जनवरी,1969 में निक्सन की ताजपोशी हो गई.

ट्रंप ने आरोप लगाते हुए इस कांड की तुलना 1972 में हुए वॉटरगेट स्कैंडल से की है. 
1968 -74 के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति रहे रिचर्ड निक्सन जिन्हें वॉटरगेट स्कैंडल के चलते इस्तीफा देना पड़ा था. (फोटो: रॉयटर्स)

फिर आया साल 1972. उस समय निक्सन की विरोधी, डेमोक्रेटिक पार्टी का कार्यालय वाशिंगटन की ‘वॉटरगेट’ नाम की बिल्डिंग में हुआ करता था.17 जून 1972 की सुबह बिल्डिंग में चोरी करने की मंशा से घुसे कुछ चोरों को गिरफ्तार किया गया. लेकिन ये कोई चलते- फिरते चोर नहीं थे.

दरअसल इनका संबंध निक्सन के चुनाव कैंपेन से था. चोरों को ऑफिस में सीक्रेट दस्तावेज चुराने के साथ-साथ वॉयर-टेपिंग करते हुए पकड़ा गया था.

इतिहासकार इस बात पर एकमत नहीं हैं कि क्या निक्सन को इस घटना के बारे में पहले से जानकारी थी या नहीं. लेकिन घटना के बाद निक्सन ने जांच को प्रभावित करने के लिए पूरी ताकत लगा दी. एफबीआई की जांच में अड़ंगा लगाया, चोरों को रिश्वत देने की कोशिश की, सबूतों को मिटाया. वो यहीं नहीं रुके, उन्होंने ऐसे अधिकारियों की छुट्टी कर दी, जो इस लीपापोती में उनका साथ नहीं दे रहे थे.
ट्रंप ने आरोप लगाते हुए इस कांड की तुलना 1972 में हुए वॉटरगेट स्कैंडल से की है. 
निक्सन ने 1971 के युद्ध में पाक की पूरी मदद की. यहां तक की आखिरी छणों में परमाणु शक्ति युक्त अमेरिकी वारशिप ‘एंटरप्राइज’ को बंगाल की खाड़ी में तैनात करवा दिया था. (फोटो: catalog.archives.gov)

वांशिगटन पोस्ट ने मामले को ठंडा नहीं पड़ने दिया. इसके लिए रिपोर्टिंग करने वाले बॉब वुलवर्ड और कार्ल बर्नस्टीन ने व्हाइट हाउस के काले कारनामों को लगातार उजागर करना जारी रखा.

जांच बैठाई गई जिसमें निक्सन दोषी पाए गए. 1974 में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. ऐसा अमेरिकी इतिहास में पहली और अभी तक आखिरी बार ही हुआ है. उनके बाद गेराल्ड फोर्ड राष्ट्रपति बने जिन्होंने निक्सन को उनके गुनाहों के लिए माफी दे दी.

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