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दलाई लामा के दौरे से बौखलाया चीन, भारत के राजदूत को तलब किया

चीन ने धमकी दी है कि वो अपनेे हितों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएगा

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तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा के अरुणाचल प्रदेश के दौरे से भारत-चीन के संबंधों में खटास और बढ़ गई है. दलाई लामा के दौरे को लेकर चीन ने बीजिंग में भारतीय राजदूत विजय गोखले को बुलाकर विरोध दर्ज कराया है.

चीन ने कहा है कि भारत ने दलाई लामा को ‘विवादित हिस्सों’ में दौरे की इजाजत दी है, जिससे दोनों देशों के रिश्तों को गंभीर नुकसान पहुंचा है. चीन ने धमकी दी है कि वो अपनेे हितों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएगा.

चीन के सरकारी मीडिया ने कहा कि भारत चीन के संयम की सीमा को चुनौती देने के लिये दलाई लामा का कूटनीतिक इस्तेमाल कर रहा है.

चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा-

भारत ने चीन की उपेक्षा करते हुए भारत-चीन सीमा के विवादित पूर्वी क्षेत्र में दलाई लामा की यात्रा का इंतजाम किया, जिससे चीन के हितों और भारत-चीन संबंधों को भारी नुकसान पहुंचा है.
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वहीं दलाई लामा ने अरुणाचल प्रदेश के बोमडिला में कहा कि भारत ने चीन के खिलाफ कभी भी उनका इस्तेमाल नहीं किया है.

भारत ने मंगलावर को ही साफ कर दिया था कि दलाई लामा के दौरे का कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं है. भारत ने कहा है कि बीजिंग भारत के आंतरिक मामलों में दखल न दे.

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि दलाई लामा के दौरे को कोई राजनीतिक रंग न दिया जाए. उन्होंने कहा-

भारत हमेशा से अपने पड़ोसियों के आंतरिक मामलों में दखलंदाजी नहीं करने का दृष्टिकोण अपनाता रहै. हम पड़ोसियों से भी यही उम्मीद करते हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि चीन को दलाई लामा के दौरे को राजनीतिक रंग नहीं देना चाहिए.

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चीन दौरे का क्यों कर रहा है विरोध ?

भारत और चीन के बीच अरुणाचल प्रदेश के एक हिस्से को लेकर विवाद है. अरुणाचल को तिब्बत से अलग करने वाली मैकमोहन रेखा को चीन नहीं मानता है, पिछले कई सालों से चीन अरुणाचल के तवांग को अपना हिस्सा बताता आ रहा है. ऐसे में दलाई लामा जो तिब्बत के धार्मिक गुरु हैं, उनके दौरे पर चीन की नजर है.

बता दें कि साल 2009 में भी दलाई लामा अरुणाचल प्रदेश की यात्रा पर आए थे. अब वो 8 साल बाद फिर अरुणाचल प्रदेश पहुंचे हैं.

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