सीरिया में विद्रोहियों पर हुए रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल के बाद अमेरिका ने सीरिया पर हमला किया है. सीरियाई एयर बेसों पर अमेरिका ने 59 टॉम हॉक मिसाइलें दागी हैं. ये पहला मौका था जब अमेरिका ने सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद की सरकार के खिलाफ सैन्य हमला किया.
क्या है सीरिया के हालात ?
सीरिया में पिछले कई सालों से गृहयुद्ध चल रहा है. सीरिया की असद सरकार विद्रोहियों के खिलाफ कड़े कदम उठाती रहती है. राष्ट्रपति असद को रूस का साथ मिला हुआ है. रूस का इस साथ की वजह से अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर असद मजबूत दिखते है.
रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल की तस्वीरें आने के बाद दुनियाभर में असद सरकार के खिलाफ एक गुस्सा दिखा है. अमेरिका ने इस हमले के लिए असद सरकार को जिम्मेदार ठहराया है जिसमें 70 लोगों की मौत हो गई थी.
परिणाम यह हुआ कि अमेरिका की ट्रंप सरकार ने सीरिया पर मिसाइलें दाग दीं.
डोनाल्ड ट्रंप ने क्या कहा?
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने इस हमले की पुष्टि की. ट्रंप ने कहा-
अमेरिका के लिए इस तरह के घातक रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल को रोकना जरूरी है, सभी सभ्य देशों को भी सीरिया में रक्तपात रोकने के लिए काम करना चाहिए.
ट्रंप ने कहा, "असद के व्यवहार को बदलने के लिए सालों के प्रयास बुरी तरह से असफल रहे हैं."
ट्रंप के विदेश सचिव रेक्स टिलरसन ने कहा कि इस बात पर हमें कोई संदेह नहीं कि इस खौफनाक हमले के लिए राष्ट्रपति असद के नेतृत्व वाली सीरिया सरकार जिम्मेदार है.
हमले पर बंटे हैं देश- रूस की चेतावनी, इजराइल का स्वागत
सीरिया पर हमले के बाद रूस ने चेतावनी दी है कि इससे रूस-अमेरिका के संबंध और बिगड़ेंगे. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि यह हमला एक संप्रभु देश पर आक्रमण और अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन है. रूस ने ये भी कहा है कि सीरिया का एयर डिफेंस सिस्टम मजबूत किया जाएगा.
बता दें कि रूस ने मिसाइल दागे जाने से कुछ मिनट पहले ही अमेरिका को सीरिया पर सैन्य हमले के 'नकारात्मक परिणाम भुगतने' की चेतावनी दी थी.
इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतान्याहू ने अमेरिका के हमले का समर्थन किया है. एक बयान में कहा है, ‘’कथनी और करनी के जरिए ट्रंप ने यह सख्त संदेश दिया है कि रासायनिक हथियारों के प्रसार और इस्तेमाल को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. यह संदेश सिर्फ दमिश्क (सीरिया) के लिए नहीं बल्कि तेहरान (ईरान), प्योंगयांग (उत्तर कोरिया) के लिए भी प्रभावी होगा.’’
बाजार पर क्या होगा असर ?
- दुनियाभर में कच्चे तेल के दामों में इजाफा
अमेरिका के हमले के बाद कच्चे तेल के दामों में 2 फीसदी तक का इजाफा हुआ है. आगे आने वाले दिनों में ये इजाफा और भी बढ़ सकता है. कच्चे तेल के उत्पादन के लिए मशहूर खाड़ी देशों में राजनीतिक अस्थिरता के कारण ये इजाफा देखने को मिला है.
- सोने की खरीदारी बढ़ी है
सोना और डॉलर दो ऐसी चीजें हैं जो सुरक्षित निवेश (सेफ हेवेन बायिंग) के लिए जानी जाती हैं. सीरिया पर हमले के बाद फैली अस्थिरता के हालात में निवेशकों ने सोने पर भरोसा जताया है जिससे सोने की खरीदारी बढ़ी है.
- शेयर बाजार धड़ाम
अमेरिका के हमले का दुनियाभर के शेयर बाजार पर भी असर दिखा है. देश का शेयर बाजार भी इससे अछूता नहीं रहा. सेंसेक्स 221 अंक (.79%) की गिरावट के साथ बंद हुआ वहीं निफ्टी में 0 .69 फीसदी की गिरावट देखने को मिली.
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