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फेसबुक फिर से सोचे, क्‍या दिखाया जाना जरूरी है, क्‍या नहीं

वीडियो में महिला नहीं, बल्कि एक मर्द को अपने चेस्ट को एग्जामिन करते दिखाया गया है.

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सोशल मीडिया फेसबुक को अवेयरनेस फैलाने का एक दमदार जरिया माना जाता है. लेकिन दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण माध्यम की आजादी को बढ़ाने के बजाय इसे सीमित किया जा रहा है. न्यूडिटी का हवाला देकर फेसबुक कई जरूरी और उपयोगी पोस्ट को सेंसर कर देता है, यानी पोस्ट करने की इजाजत नहीं देता.

लेकिन अर्जेंटीना की एक चैरिटी संस्था मैक्मा ने इससे बचने का एक अजीब तरीका निकाला.

उन्होंने स्‍पेनिश और इंग्लिश में एक वीडियो बनाया. ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस को लेकर बनाए गए इस वीडियो में बताया गया है कि महिला अपने स्तनों की जांच कर कैसे ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण को पहचान सकती है. लेकिन इसके लिए वीडियो में महिला नहीं, बल्कि एक मर्द को अपने चेस्ट को एग्जामिन करते दिखाया गया है.

वीडियो देखें:

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दरअसल, अक्टूबर में स्वीडन की कैंसर चैरिटी 'कैंसरफॉन्डन' ने कहा था कि फेसबुक ने उसका वह वीडियो हटा दिया, जिसमें ऐनिमेटेड फिगर्स के जरिए यह बताया गया था कि महिलाओं को संदिग्ध गांठों की जांच कैसे करनी चाहिए. इस कैंपेन को कुछ यूजर्स ने ऑफेंसिव फ्लैग किया था. फेसबुक ने बाद में इस कैंपेन को हटाए जाने को एक 'गलती' करार दिया था.

इसलिए मैक्मा ने ये अजीबोगरीब प्रयोग किया. इससे जहां एक ओर सेंसरशिप से बचना है, वहीं दूसरी ओर सिर्फ महिलाओं के अंग विशेष को लेकर फेसबुक की ओर से किए जा रहे भेदभाव का जवाब दिया है.

इससे पहले फेसबुक को सितंबर में भी वियतनाम युद्ध की चर्चित तस्वीर को हटाने को लेकर विवाद में था. इसमें वियतनाम की एक बच्ची बमबारी के दौरान झुलसी हुई अवस्था में बिना कपड़ों के रोते हुए भाग रही थी. इस तस्वीर को नॉर्वे की पीएम एर्ना सोलबर्ग ने शेयर किया था.



वीडियो में महिला नहीं, बल्कि एक मर्द को अपने चेस्ट को एग्जामिन करते दिखाया गया है.

फोटोग्राफर निक उट की इस फोटो को पुलित्जर सम्मान भी मिल चुका है.

फेसबुक की ओर से जारी किए गए नोटिस में कहा गया था कि कोई भी फोटो, जिसमें नग्न महिला के ब्रेस्ट अथवा यौन अंगों को दिखाया जा रहा होगा, उसे फेसबुक से हटा दिया जाएगा. आखिरकार विवाद गहराता देख फेसबुक ने अपना फैसला बदल लिया है और वियतनाम युद्ध की आइकॉनिक तस्वीर लगी रहने को हरी झंडी दे दी.

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ऐसे कारनामों के लिए माफी मांग चुके फेसबुक को नए सिरे से सोचना चाहिए. फेसबुक को सेंसरशिप को लेकर अपने स्टैंडर्ड में थोड़े बदलाव लाने की जरूरत है.

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