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Chhath Puja 2020: जानें छठ पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि 

Chhath Puja Muhurat: कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से शुरू होकर यानि 18 नवंबर से 20 नवंबर तक छठ का महापर्व मनाया जाता है.

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Chhath Puja 2020: दिवाली के छह दिनों के बाद छठ मनाया जाता है. इस त्योहार में सूर्य देवता की उपासना की जाती है. यह त्योहार सबसे ज्यादा उत्तर भारत में मनाया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, छठ को सूर्य देवता की बहन माना जाता है. छठ पूजा करने से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है. इस साल छठ का त्योहार 20 नवंबर को पड़ा है.

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कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से शुरू होकर यानि 18 नवंबर से 20 नवंबर तक छठ का महापर्व मनाया जाता है. नहाय खाय के साथ शुरू होने वाले इस पर्व में सूर्य भगवान की विशेष उपासना की जाती है. इसमें उगते और डूबते सूर्य की पूजा की जाती है.

Chhath Puja 2020: छठ पूजा का शुभ मुहूर्त

  • छठ पूजा सूर्योदय – 06 बजकर 48 मिनट तक.
  • छठ पूजा सूर्यास्त – 5:26 तक
  • षष्ठी तिथि आरंभ – 9:58 (नवंबर 19)
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छठ पूजा के लिए कुछ चीजों की जरूरत पड़ती है. प्रसाद रखने के लिए बांस की दो तीन बड़ी टोकरी, बांस या पीतल के बने तीन सूप, लोटा, थाली, दूध और जल के लिए ग्लास, नए वस्त्र साड़ी-कुर्ता पजामा, चावल, लाल सिंदूर, धूप और बड़ा दीपक, पानी वाला नारियल, गन्ना जिसमें पत्ता लगा हो, सुथनी और शकरकंदी, हल्दी और अदरक का पौधा, नाशपाती और बड़ा वाला मीठा नींबू, जिसे टाब भी कहते हैं, शहद की डिब्बी, पान और साबुत सुपारी, कैराव, कपूर, कुमकुम, चन्दन, और कई तरह की मिठाई.

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बिहार में सबसे ज्यादा प्रचलित

छठ पर्व बिहार का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है. यह मुख्य रूप से बिहारवासियों का त्योहार है. इस पर्व के शुरुआत के पीछे की वजह अंगराज कर्ण से माना जाता है. अंगप्रदेश जो कि वर्तमान में भागलपुर (बिहार) में है. अंगराज कर्ण को लेकर एक कहानी है कि यह पांडवों की माता कुंती और सूर्य देवकी संतान हैं. कर्ण सूर्य को अपना अराध्य देव मानते थे. अपने राजा की सूर्य भक्ति से प्रभावित होकर अंगदेश के लोग सूर्यदेव की उपासना करने लगे. धीरे-धीरे यह पूरे बिहार में प्रचलित हो गया.

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