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Ganesh Ji Ki Aarti: गणपति बप्पा की स्थापना के समय पढ़ें यें मंत्र व आरती

Ganesh Chaturthi 2021: गणेश जी की पूजा के समय मंत्र व आरती का पाठ किया जाता है.

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Ganpati Aarti and Mantra: गणेश चतुर्थी के दिन शुभ मूहुर्त में बप्पा की मूर्ती स्थापित कर विधि-विधान से पूजा-आरती की जाएगी. भगवान गणेश की पूजा के समय मंत्रों व प्रसाद का विशेष महत्व होता है. गणेश जी की पूजा के समय मंत्र व आरती का पाठ किया जाता है.

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मान्यता है भगवान गणेश जी के मंत्र व आरती करने वाले भक्तों की मनोकामना पूर्ण हो जाती है. इस साल गणेश चतुर्थी का यें आयोजन 10 सितंबर से शुरू होकर 19 सितंबर को समाप्त होगा. यहां हम भगवान गणेश से जुड़े कुछ मंत्र बता रहें हैं, जिनका उच्चारण पूजा के दौरान किया जा सकता है.

Ganesh Ji Ki Aarti: श्री गणेश जी की आरती

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।

माथे सिंदूर सोहे,मूसे की सवारी॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।

लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।

बांझन को पुत्र देत,निर्धन को माया॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।

माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।

कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

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हम आपकों भगवान गणेश के कुछ मंत्र बता रहें हैं, जिनका उच्चारण पूजा के दौरान किया जाता है.

गणेश चतुर्थी : मंत्र

  • ऊं एकदंताय विधामहे, वक्रतुंडाय धिमही, तन्नो दंति प्रचोदयात्

  • ऊं वक्रतुंडायक नृत्यस्त्रय क्लिंग हिंग श्रृंग गण गणपतये वर वरदा सर्वजनं मे वाशमनय स्वाहा

  • वक्रतुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभः निर्विघ्नम कुरुमेदेव सर्व कार्येषु सर्वदा

गणेश गायत्री मंत्र

ऊं एकदंताय विधामहे, वक्रतुंडाय धिमही, तन्नो दंति प्रचोदयात्

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शक्तिविनायक मंत्र

ऊं ह्रीं ग्रीं ह्रीं

गणेश मूल मंत्र

ऊं श्रीं ह्रीं क्लें ग्लौम गं गणपतये वर वरद सर्वजन जनमय वाशमनये स्वाहा तत्पुरुषाय विद्महे वक्रतुंडाय धिमहि तन्नो दंति प्रचोदयत ओम शांति शांति शांतिः

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