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मकर संक्रांति:मंगलवार को है त्योहार,क्या है स्नान का शुभ मुहूर्त? 

मकर संक्रांति का संबंध सीधे सूर्य से होता है.

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आम तौर पर मकर संक्रांति का पर्व हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है. लेकिन तीन साल बाद 2019 में ये 15 जनवरी को मनाया जाएगा. हालांकि इससे पहले 2012 और 2016 में भी यह पर्व 15 जनवरी को मनाया गया था.

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मकर संक्रांति देश के प्रमुख त्योहारों में एक है. मकर संक्रांति वाले दिन दान और गंगा स्नान की परंपरा है. माना जाता है ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है.

मकर संक्रांति का सीधा संबंध सूर्य से होता है. इसलिए जब सूर्य गोचर करते हुए मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तभी मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन से सूर्य की उत्तरायण गति की शुरुआत होती है. इसी वजह से इसको 'उत्तरायणी' भी कहते हैं.

शुभ मुहूर्त क्या है

पंचांग के अनुसार, 14 जनवरी को शाम 7:52 बजे सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा. इसी वक्त से मकर संक्रांति की शुरुआत हो जाएगी.

पूर्जा-अर्चना, दान और गंगा स्नान के लिए शुभ मुहूर्त 14 जनवरी दोपहर 1:28 बजे से शुरू होकर 15 जनवरी को सुबह 11:52 बजे तक रहेगा. इस लिहाज से लोग दोनों दिन ही मकर संक्रांति मनाएंगे.

हालांकि उदया तिथ‍ि के मुताबिक इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी को पड़ रही है.

क्‍या है उदया तिथि की मान्‍यता

सबसे पहले हमें ये देखना होगा कि हिंदी महीने की तिथि‍ अंग्रेजी कैलेंडर से अलग है. अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से रात 12 बजे के बाद तारीख बदल जाती है, जबकि हिंदी तिथि इस आधार पर नहीं बदलती.

उदया तिथि की मान्‍यता ये है कि सूर्योदय के समय जो तिथि पड़ रही हो, पूरे दिन (अगले दिन सूर्योदय से पहले तक) वही तिथि मानी जाती है. अगर सूर्योदय अष्‍टमी तिथि को स्‍पर्श कर रहा हो, लेकिन इसके कुछ ही क्षण बाद नवमी तिथि पड़ रही हो, इसके बावजूद पूरे दिन अष्‍टमी तिथि‍ ही मानी जाएगी. साथ ही अगर अगला सूर्योदय दशमी को स्‍पर्श कर रहा हो, तो नवमी तिथि‍ का लोप हो जाता है.

इस साल मकर संक्रांति (15 जनवरी) से प्रयागराज में अर्धकुंभ मेले की भी शुरुआत हो रही है, जो 4 अप्रैल तक चलेगा. कुंभ मेले का हर 12 साल में आयोजन किया जाता है, जबकि अर्धकुंभ का हर छह साल में आयोजन होता है.

मांगलिक कार्यों की शुरुआत

मकर संक्रांति के साथ ही मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है. इससे पहले सूर्य देवता का धनु राशि में प्रवेश करने के बाद धनु पौष मास शुरू होने के कारण सारे शुभ कार्य वर्जित थे. 14 जनवरी शाम को सूर्य देवता धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश कर जाएंगे.

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इसके बाद से विवाह, गृह प्रवेश, व्यापार का शुभारंभ, भूमि पूजन, मुंडन, नए वाहन खरीदना जैसे शुभ कार्य करना लाभकारी होते हैं.

दान का महत्व

मकर संक्रांति वाले दिन लोग गरीबों को तिल, गुड़, रेवड़ी, गजक, खिचड़ी और कपड़ों का दान करते हैं. इसके साथ-साथ देश की प्रमुख गंगा, यमुना, सरस्वती, शिप्रा, नर्मदा आदि नदियों के तटों पर डुबकी लगाते हैं. मंदिरों में जाकर विशेष पूजा-अर्चना भी करते हैं. इसके अलावा इस दिन कई जगहों पर पतंग उड़ाने का भी चलन है.

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