इस साल शारदीय नवरात्रि 29 सितंबर से शुरू होकर 7 अक्टूबर तक है. 8 अक्टूबर को दशहरा (विजयादशमी) का त्योहार मनाया जाएगा. नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है. कलश स्थापना को घट स्थापना भी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि गलत कलश स्थापना करने से मां दुर्गा नाराज हो सकती हैं.
रात के समय और अमावस्या के दिन कलश स्थापना से मनाही है. यदि किसी कारणवश आप शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना नहीं कर पाएं तो अभिजीत मुहूर्त में घट स्थापना की जा सकती है. हर दिन का आठवां मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त होता है. सामान्यता यह 40 मिनट का होता है. हालांकि इस बार के शारदीय नवरात्रि के लिए अभिजीत मुहूर्त नहीं पड़ रहा है.
कलश स्थापना की सामग्री
ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा को लाल रंग पसंद है. ऐसे में लाल रंग का आसन खरीदना उत्तम माना जाता है. कलश स्थापना के लिए मिट्टी का पात्र, जौ, मौली, इलायची, कपूर, लौंग, साबुत, सुपारी, सिक्के, आम के पत्ते, सूखा नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल, फूल, फूलों की माला और श्रृंगार का सामान चाहिए होता है.
कैसे करें कलश स्थापना-
- नवरात्रि के पहले दिन यानी कि प्रतिपदा को सुबह स्नान कर लें.
- मंदिर की सफाई करने के बाद सबसे पहले भगवान गणेश का नाम लें और फिर मां दुर्गा के सामने अखंड ज्योत जलाएं.
- कलश स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर जौ के बीज बोएं.
- अब तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं और लौटे के ऊपरी हिस्से पर लाल कपड़े में मौली बांधें.
- अब इस लोटे में पानी भरकर कुछ गंगाजल की बूंदें भी मिलाएं. फिर उसमें सवा रुपए, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें.
- इसके बाद कलश में आम के पांच पत्ते लगाएं. आम के पत्ते न होने पर आप अशोक के पत्ते भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
- अब नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर उसे मौली से अच्छी तरह से बांध दें. इसके बाद नारियल को कलश के ऊपर रखें.
- अब कलश को मिट्टी के इस पात्र के बीच में रख दें जिसमें जौ बोएं हैं.
- कलश स्थापना या घट स्थापना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्प लिया जाता है
- कलश स्थापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्योति जलाई जा सकती है.
कलश स्थापना की तारीख और शुभ मुहूर्त
शारदीय नवरात्रि के कलश स्थापना की तारीख 29 सितंबर 2019 है. वहीं शुभ मुहूर्त 29 सितंबर को सुबह 6 बजकर 16 मिनट से 7 बजकर 40 मिनट तक है.
अवधि: 1 घंटा 24 मिनट.
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