Chaitra Navratri 2022 Day 6: नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा का दिन है, हिंदू शास्त्रों के अनुसार, महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया था. इसलिए उन्हें कात्यायनी कहा जाता है. मां कात्यायनी को ब्रज की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है. कहा जाता है कि मां कात्यायनी ने ही अत्याचारी राक्षस महिषाषुर का वध कर तीनों लोकों को उसके आतंक से मुक्त कराया था. मान्यता है जो भी मां कात्यायनी की सच्चे मन से पूजा करता है उसके जीवन में सुख-शांति रहती है.
मां कात्यायनी का स्वरूप
मां कात्यायनी के स्वरूप की बात करें तो मां की चार भुजाएं हैं. ऐसी मान्यता है कि द्वापर युग में गोपियों ने भगवान श्रीकृष्ण को पति के रूप में पाने के लिए मां कात्यायनी की उपासना की थी.
मां कात्यायनी पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं और फिर साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें.
मां की प्रतिमा को शुद्ध जल या गंगाजल से स्नान कराएं.
मां को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें.
मां को स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें.
मां को रोली कुमकुम लगाएं.
मां को पांच प्रकार के फल और मिष्ठान का भोग लगाएं.
मां कात्यायनी को शहद का भोग अवश्य लगाएं.
मां कात्यायनी का अधिक से अधिक ध्यान करें.
मां की आरती भी करें.
मां कात्यायनी के मंत्र
ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
चंद्रहासोज्जवलकरा शार्दूलवर वाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनि।
मां कात्यायनी की आरती
जय जय अम्बे जय कात्यानी
जय जगमाता जग की महारानी
बैजनाथ स्थान तुम्हारा
वहा वरदाती नाम पुकारा
कई नाम है कई धाम है
यह स्थान भी तो सुखधाम है
हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी
कही योगेश्वरी महिमा न्यारी
हर जगह उत्सव होते रहते
हर मंदिर में भगत है कहते
कत्यानी रक्षक काया की
ग्रंथि काटे मोह माया की
झूठे मोह से छुडाने वाली
अपना नाम जपाने वाली
ब्रेह्स्पतिवार को पूजा करिए
ध्यान कात्यानी का धरिये
हर संकट को दूर करेगी
भंडारे भरपूर करेगी
जो भी माँ को 'चमन' पुकारे
कात्यानी सब कष्ट निवारे
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