नवरात्र के आठवें दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा की जाती है. हिंदू पुराणों के मुताबिक, मां गौरी को 8 साल की उम्र में ही अपने पूर्व जन्म की घटनाओं का आभास हो गया था. इसलिए उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए 8 साल से ही तप करना शुरू का दिया था. इसलिए अष्टमी के दिन महागौरी की विधि-विधान से पूजा की जाती है.
मां महागौरी को शिवा भी कहा जाता है. इनके एक हाथ में दुर्गा शक्ति का प्रतीक त्रिशूल है, तो दूसरे हाथ में भगवान का शिव का प्रतीक डमरू, तीसरे हाथ मां का वरमुद्रा में है और चौथा हाथ एक गृहस्थ महिला की शक्ति को दर्शाता है. महागौरी को संगीत और गायन बेहद पसंद है. ऐसी मान्यता है कि महागौरी की पूजा से धन, वैभव और सुख-शांति की प्राप्ति होती है. अगर आप भी दुर्गा अष्टमी पर माता महागौरी की पूजा का समय और विधि जानना चाहते हैं, तो नीचे हम आपको विस्तार से बता रहे हैं.
Durga Ashtami Date and Time: जानिए समय और तारीख
नवरात्र के नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. चैत्र नवरात्र के आठवें दिन को दुर्गा अष्टमी भी कहा जाता है. इस बार दुर्गा अष्टमी 1 अप्रैल (बुधवार) को पड़ रही है.
दुर्गाष्टमी के दिन कन्या पूजन का समय
अमृत काल- 9 बजे से 10 बजकर 50 मिनट तक
अशुभ राहु काल- दोपहर 12:27 से 2 बजे तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 2: 32 से 3:22 तक
शुभ रंग
महागौरी की पूजा करते समय गुलाबी रंग के वस्त्र पहनना उत्तम माना गया है.
पूजा विधि
मां शक्ति के इस स्वरूप की पूजा में नारियल, हलवा, पूड़ी और सब्जी का भोग लगाया जाता है. आज के दिन काले चने का प्रसाद विशेषरूप से बनाया जाता है.
पूजन के बाद कन्या भोग
पूजन के बाद कुंवारी कन्याओं को भोजन कराने और उनका पूजन करने से मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है. महागौरी माता अन्नपूर्णा स्वरूप भी हैं. इसलिए पूजा के बाद कन्या भोग खिलाना उत्तम माना गया है.
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)