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सुरैया-देवानंद की मोहब्बत,जिसे मजहबी दीवारों ने एक नहीं होने दिया 

जब भी सुरैया का जिक्र होता है, तो सदाबहार अभिनेता देवानंद का नाम जहन में आता है

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ये कहानी आजादी के 5 साल पहले ही है, 1942 में ऑल इंडिया रेडियो पर एक बच्ची की सुरीली आवाज सुनकर महान संगीतकार नौशाद कायल हो गए. नौशाद को उस बच्ची की आवाज इतनी पसंद आई कि उन्होंने उससे अपनी फिल्म में गाना गवाया. ये बच्ची थी सुरैया. जिसे बॉलीवुड की पहली ग्लैमर गर्ल भी कहा जाता है.

सुरैया के फिल्मों में एंट्री की कहानी भी बेहद दिलचस्प है. दरअसल सुरैया के मामा फिल्मों में विलेन का रोल किया करते थे. एक बार वो शूटिंग देखने सेट पर गईं. वहां उनकी मुलाकात फिल्म के निर्देशक नानु भाई वकील से हुई, उन्हें सुरैया में फिल्म इंडस्ट्री का नया सितारा नजर आया. नानु भाई ने अपनी फिल्म मुमताज महल में मुमताज के बचपन के रोल के लिए चुन लिया.

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जब भी सुरैया का जिक्र होता है, तो सदाबहार अभिनेता देवानंद का नाम जहन में आता है. सुरैया की प्रेम कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. इस कहानी में भी प्यार हुआ इजहार हुआ और दोनों के बीच में मजहब की दीवारें आईं और दो प्रेमी हमेशा के लिए जुदा हो गए. दोनों कि मुलाकात उस दौर में हुई जब सुरैया एक बड़ी स्टार हुआ करती थीं वो एक बेहतरीन सिंगर भी थीं, जो अपने गाने खुद ही गाया करती थीं. वहीं देवानंद अपने करियर की शुरुआत कर रहे थे.
जब भी सुरैया का जिक्र होता है, तो सदाबहार अभिनेता देवानंद का नाम जहन में आता है

देवानंद और सुरैया की वो पहली मुलाकात

सुरैया और देवानंद की पहली मुलाकात फिल्म विद्या की शूटिंग के दौरान हुई थी. फिल्म का एक सीन शूट हो रहा था, जिसमें सुरैया नाव पर बैठी शूटिंग कर रही थीं, तभी उनकी नाव पलट गई, देवानंद ने तैरकर उनकी जान बचाई. इस घटना के कई सालों बाद एक मैग्जीन को गिए इंटरव्यू ने सुरैया ने बताया था-

जब देवानंद ने मेरी जान बचाई तो मैंने उनका शुक्रिया अदा करते हुआ कहा था कि आज तुम नहीं होते तो मेरी जान चली जाती. तो उन्होंने जवाब दिया अगर तुम्हारी जिंदगी खत्म हो जाती तो मैं भी जिंदा नहीं रहता. यही वो पल था, जब हम दोनों को एक दूसरे से मोहब्बत हो गई. 
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इस घटना के बाद देवानंद और सुरैया की मुलाकातें होने लगीं, देवानंद अक्सर सुरैया के घर जाया करते थे. सुरैया और देवानंद एक दूसरे से बेइंतहां मोहब्बत करते थे, लेकिन दोनों के बीच मजहब की दीवार आ गई. उस दौर में दो अलग-अलग धर्म के लोगों का शादी करना नामुमकिन था.

सुरैया की नानी को ये हरगिज मंजूर नहीं था कि उनकी नातिन की शादी एक हिंदू लड़के से हो. नानी की जिद के आगे सुरैया को झुकना पड़ा और उन्होंने देवानंद से शादी नहीं की. सुरैया से अलग होने के बाद देवानंद ने तो शादी कर ली, लेकिन सुरैया ने कभी शादी नहीं की. 31 जनवरी 2004 को सुरैया ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.

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