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हम बिखरे हुए थे मोदी जी, आपने हमें एक कर दिया: हरियाणा का एक छात्र

ब्लॉग: मोदी सरकार ने 2 साल में एक शानदार काम यह किया कि उसने शांत पड़े छात्र जीवन को आंदोलनों का महत्व समझा दिया.

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भारत
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26 मई 2014. यानी 2 साल पहले आज ही का वो दिन, जब ऐतिहासिक बहुमत के घोड़े पर सवार होकर महामना नरेंद्र मोदी दिल्ली पहुंचे थे, तो राजधानी समेत पूरे भारत की जनता ने उनका वैसा ही इस्तकबाल किया था, जैसा ट्रॉय की जनता ने ट्रॉय की विजेता सेना के महानायक हेक्टर का किया था.

हर कोई मोदी की जीत से खुश था. कोई अपनी खुशी का इजहार कर रहा था, तो कोई राजनीतिक या धार्मिक कारणों से उसे जाहिर करने में झिझक रहा था, क्योंकि लगातार हांफते हुए देश को मोदी के अंदर वियाग्रा सी तेजी दिखाई दे रही थी. लोगों की महत्वाकांक्षाएं मोदी से इतनी ज्यादा थीं कि लोगों को लग रहा था कि मोदी के सरकार में आते ही देश खड़े होकर उसेन बोल्ट की तरह रफ्तार पकड़ेगा.

लेकिन विडंबना यह है कि देश आज भी उन्हीं तैयारियों में लगा हुआ है, जिनमें वह मोदी के सरकार में आने से पहले लगा हुआ था. मोदी नाम के हाकिम को जिस मर्ज का इलाज समझा जा रहा था, वह सिर्फ हौसला अफजाई कर रहा है और कह रहा है,

ब्लॉग: मोदी सरकार ने 2  साल में एक शानदार काम यह किया कि उसने शांत पड़े छात्र जीवन को आंदोलनों  का महत्व समझा दिया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो: रॉयटर्स)
“सुनो बीमार लोगों, मैं जानता हूं कि तुम बहुत बीमार हो. तुम्हारी बीमारी का कारण मैं जानता हूं और वो कारण है पुरानी घिसी-पिटी सरकार. तुम्हारा मर्ज बहुत गहरा है. पर तुममें असीम सम्भावनाएं हैं. तुम तो विश्व के नायक हो. तुम्हारे अंदर बल छुपा है. कई हाथियों का. और मेरे पास इलाज है तुम्हारी इस बीमारी का. बस अब तुम घबराना मत” 

अब ऊपर वाले वाक्य में इलाज कहीं नहीं बताया गया है. बस बातें हैं और बातों के इन रसगुल्लों का क्या?

किसान, जवान और मोदी

हरियाणा के संदर्भ में 2 बातें बहुत मशहूर है. एक यहां का किसान और दूसरा यहां का जवान.

पहली घटना किसान से जुड़ी है. यहां के कृषि मंत्री जो मोदी जी के एकदम खासमखास हैं, वो सिरसा जिले के एक गांव में जिला परिषद के एक उम्मीदवार के लिए वोट मांग रहे थे, तो बोले,“मोदी सरकार ने आपके लिए जन धन योजना शुरू की है. किसान कार्ड पर लोन बढ़ाया है. ट्रैक्टर का लोन बढ़ाया है. अब आपके बच्चे किसी भी बैंक से लोन ले सकते है.”

इसी बीच एक बुजर्ग ने स्टेज पर चढ़कर उनसे पूछा कि मंत्री जी, सारी कर्जे देने की स्कीम बनाई हैं. कोई कमाई की भी बता दो. अब जिला परिषद के उम्मीदवार ने उनके हाथों से माइक लेकर मोदी सरकार की खिंचाई कर डाली और विजयी रहे.

हरियाणा के छात्रों को नहीं भूलना चाहिए मोदी को

अब करें जवान की बात, जो कि मेरे अपने विश्वविद्यालय रोहतक से जुड़ी है. जिस वक्त दिल्ली की पुलिस कन्हैया कुमार केस के बाकी आरोपियों के लिए जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के बाहर डेरा जमाए बैठी थी, ठीक उसी वक्त हरियाणा पुलिस ने रात 10 बजे महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी के 2 कॉलेज-होस्टलों में अपना लाठी शौर्य दिखा रही थी और बच्चों को लाठियों से धुन रही थी. इस मामले में 18 बच्चों को गंभीर चोटें आई और रोहतक समेत पूरा उत्तर भारत बंद हो गया.

लेकिन इस पूरे प्रकरण में मैं मोदी सरकार की एक अहम भूमिका समझता हूं. वो यह कि हरियाणा की यूनिवर्सिटियों में पढ़ने वाले जो छात्र राजनीतिक चेतना से दूर हो चले थे और संगठित नहीं रह गए थे, वो छात्र अब आंदोलित हो गए हैं. इनमें सबसे ज्यादा एकजुट हुए हैं गावों के वो छात्र, जो किसी किसान के घर का ही नौजवान है. वो अब दोनों पहलू पर विचार कर रहा है. उसे चिंता होने लगी है अपने घर की और किसानी की. साथ ही वह विचार करने लगा है कि छात्र जीवन में चुप नहीं रहना, बल्कि संगठित छात्र समूह बनाना जरूरी है.
धरातल की बात करें, तो हरियाणा में जवान काम मांग रहा है. किसान दाम मांग रहा है. पर दोनों को ही इस वक्त सिर्फ भाषण मिल रहे हैं.

मोदी सरकार के बारे में हुक्के पर बैठे एक ताऊ ने सही व्याख्या करते हुए कहा, ‘रांड रंडापा काट तो ले, पर ये रंडवे कटण नहीं दें’

मतलब सरकार अपना कार्यकाल अच्छे से पूरा तो कर ले, पर ये बड़बोले ऐसा होने नहीं देंगे.

वियाग्रा का इंतजार करता देश अब अपने हाकिम को ही हांफते हुए देख रहा है. उम्मीद अभी भी बाकी है. शायद कोई चमत्कार हो ही जाए और मोदी अपनी ‘एंग्री यंगमैन’ की जो छवि लेकर आए थे, उसके अनुसार काम कर दें. पर ये उम्मीदे हैं और उम्मीदों का क्या?

(यह लेख हरियाणा के महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के स्टूडेंट एक्टिविस्ट और ब्लॉगर देव लोहान द्वारा लिखा गया है. ये उनके व्यक्तिगत विचार हैं.)

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