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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार 2.0 का पहला बजट 5 जुलाई को पेश किया. इस बजट में टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया. ऐसे में क्या आम टैक्स पेयर इससे खुश है? यही समझने के लिए क्विंट ने टैक्स एक्सपर्ट सुधीर कपाड़िया से खास बातचीत की.
क्या इस बजट ने आम टैक्स-पेयर को निराश किया है?
स्मॉल टैक्सपेयर को जो राहत देनी थी वो अंतरिम बजट में दे दी गई थी. इसलिए फिलहाल सरकार इससे ज्यादा देने की हालत में नहीं थी. इसलिए ज्यादा उमीद करना बेमानी है. कॉर्पोरेट टैक्स को 25% करने का प्लान कई साल से था, वो आज सरकार अमल में लाई है लेकिन केवल 400 करोड़ टर्नओवर वाली कंपनियों को इसका फायदा मिलेगा. बड़ी कंपनियों को इसका कोई लाभ नहीं मिलेगा. अगर बड़े कॉर्पोरेट को भी इसमें शामिल करते तो कॉर्पोरेट के पास पैसा बचता. उस पैसे का वो निवेश कर सकते थे. इससे इकोनॉमी को फायदा होता.
अमीरों पर टैक्स लगाने से क्या निवेश पर असर पड़ेगा?
जो एक्सट्रा टैक्स आएगा वो सरकार को जाएगा. फिर सरकार ही तय करेगी कि इसे कैसे खर्च करना है. अगर वो पैसा कंपनियों के पास होता तो वे फैसला करते की उन्हें कहां निवेश करना है. टैक्स रेट बढ़ने से कंपनियों को दूसरे देश अपने तरफ खींच सकते हैं.
रिटेल निवेशकों को सरकारी बॉन्ड में निवेश का मौका कितना असरदार होगा?
भारत में म्यूचुअल फंड और शेयर में भागीदारी बढ़ रही है. पहले 3% थी जो 8% हो गई है. अमेरिका में ये दर 45% है. सोना और जमीन की बजाए भारत में बॉन्ड, शेयर, म्यूचुअल फंड में निवेश का ये अच्छा मौका है. इससे इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने में फायदा होगा.
पैन कार्ड के बिना आधार से भी टैक्स भरा जा सकता है. इससे क्या फायदा होगा?
आधार से रिटर्न भरने का फैसला बहुत अच्छा है, इससे ज्यादा लोग रिटर्न भर सकेंगे. डेटा पहले से ही भर कर देने की भी सरकार की योजना है जैसे प्रोपर्टी टैक्स में होता है. इससे टैक्स भरना बहुत आसान हो जाएगा.
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