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वित्त मंत्री के 2020-21 के बजट से जो बड़ी उम्मीदें थीं, वो पूरी नहीं हुईं. 'बिग बैंग' बजट की उम्मीद लगाई जा रही थी लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. जिस इनकम टैक्स राहत को लेकर सबसे ज्यादा उत्सुकता थी, उसे भी उलझा दिया गया है.
सरकार ने टैक्स राहत का ऐलान किया है लेकिन इनकम टैक्स के दो रिजीम बना दिए गए हैं. एक तो पुराना रिजीम है, जिसमें आप डिडक्शन और छूट ले सकते हैं. लेकिन अगर टैक्स देने की नई व्यवस्था में जाएंगे तो पुरानी व्यवस्था में मिल रही छूट को छोड़ना होगा. साफ है कि टैक्स के मामले को जटिल बना दिया गया है. सरकार ने दावा किया है कि वह टैक्स छूट देकर 40 हजार करोड़ रुपये का रेवेन्यू छोड़ रही है. लेकिन यह सरकार की धारणा हो सकती है.
बजट का एक बड़ा ऐलान रहा एलआईसी के लिए आईपीओ. एलआईसी के आईपीओ से एक से दो लाख करोड़ रुपये सरकार के पास में आ सकते हैं. लेकिन सरकार के लिए विनिवेश का यह तरीका एक तरह शॉर्ट-कट है. विनिवेश के लिए सरकार ने जो व्यापक कदम उठाने चाहिए थे वे नहीं उठाए. चूंकि सरकार के पास पैसे की कमी है इसलिए एलआईसी के आईपीओ लाकर वह पैसा जुटा सकती है. हालांकि एक अच्छी बात यह है कि एलआईसी के पूंजी बाजार में आ जाने से इसके कामकाज में पारदर्शिता आ जाएगी.
ग्रामीण और कृषि सेक्टर के लिए कई योजनाएं लाई गई हैं. किसानों की आय को 2022 तक किसानों की आय दोबारा करने का वादा एक बार फिर दोहराया गया है. इसके साथ ही सामाजिक योजनाओं में रकम बढ़ाई गई है. लेकिन ज्यादा नहीं.
सरकार ने रियल एस्टेट सेक्टर के लिए कोई बड़ा कदम नहीं उठाया है. दरअसल रियल एस्टेट इकनॉमी के गले में हड्डी बन गया है. बड़ी तादाद में मकान बने हुए हैं. बिक नहीं रहे हैं. बाजार को इससे काफी निराशा हुई और यह बुरी तरह गिर गई. सरकार को चाहिए था कि वह इस सेक्टर कोई 'बिग बैंग' कदम लेकर आती
बजट में बड़ी घोषणाएं की गई है. लोगों की आकांक्षाएं पूरी करने का ऐलान हुआ है. लेकिन ये घोषणाएं हैं.इकोनॉमी को ठीक करने के लिए जो बड़े वास्तविक कदम उठाने की उम्मीद थी वो पूरी नहीं हुई. जबकि इस वक्त इकनॉमी को लेकर बड़े ग्लोबल चैलेंज भी हैं. यूएस-चीन ट्रेड वॉर से लेकर देश के अंदर सामाजिक तनाव जैसी ऐसी कई समस्याएं हैं, जो इकनॉमी की राह में खड़ी हैं.
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