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केंद्रीय बजट (Union Budget) भारत के वित्त मंत्री द्वारा संसद में पेश किए जाने से पहले, एक सुरक्षित और गोपनीय जगह पर रखा जाता है. इस दौरान सुरक्षा पर इतना ज्यादा ध्यान दिया जाता है कि बजट के कार्यों में लगे हुए वित्त मंत्रालय के 100 अधिकारी लगभग 10 दिनों के लिए एक बेसमेंट में रहते हैं. इसकी पूरी प्रक्रिया हमेशा से चली आ रही एक परंपरा ‘हलवा रस्म’ के साथ शुरू होती है.
हलवा प्रोग्राम के तुरंत बाद अधिकारियों को बजट डॉक्यूमेंटेशन का काम सौंपा जाता है और संबंधित ऑफिसर्स को नॉर्थ ब्लॉक के एक बेसमेंट में बंद कर दिया जाता है. बजट को डाक्यूमेंट का रूप देने के लिए सबसे पहले एक ब्लू शीट तैयार की जाती है. ब्लू शीट पेपर का एक नीला टुकड़ा होता है, जिसमें बजट से संबंधित प्रमुख नंबर्स होते हैं. इसके आधार पर बजट के डॉक्यूमेंट के सैकड़ों पेज तैयार किए जाते हैं.
बता दें कि इस आर्काइव को रखने की इजाजत वित्र मंत्री को भी नहीं होती है. यह सीक्रेट रूप से रखी गई शीट पूरे बजट प्रोसेस की बैकबोन होती है, जिसे नए डेटा के साथ अपडेट किया जाता है.
बजट के सीक्रेट पेपर की कस्टडी संभालने की जिम्मेदारी सिर्फ बजट के ज्वाइंट सेक्रेटरी को दी जाती है. पहली ब्लू शीट ड्राफ्ट बजट पेश करने की तारीख से कुछ हफ्ते पहले तैयार की जाती है. इसमें सरकार की वार्षिक खर्च योजना पर बजट प्रस्ताव शामिल होता है.
साल 1950 तक, बजट पेपर्स की छपाई राष्ट्रपति भवन के अंदर होती थी. साल 1950 के दौरान बजट से संबंधित कुछ सूचनाओं के लीक हो जाने के बाद प्रिंटिंग प्लेस को मिंटो रोड पर स्थित एक सरकारी प्रेस में ट्रांसफर कर दिया गया. सन 1980 के बाद प्रिंटिंग के लिए नॉर्थ ब्लॉक में बेसमेंट डगआउट बनाया गया, जिसमें बजट पेपर्स की प्रिंटिंग पर काम किया जाता है.
जिस जगह पर बजट से संबंधित काम शुरू किया जाता है वहां पर इतनी कड़ी सुरक्षा होती है कि वित्तमंत्री भी अपना मोबाइल फोन नहीं ले जा सकते. इंटेलिजेंस ब्यूरो के दो कर्मियों द्वारा बजट प्रोसेस में शामिल अधिकारियों की चौबीसों घंटे निगरानी की जाती है. इसके अलावा बजट को पूरी तरह से सीक्रेट रखने के लिए तमाम तरह की अन्य व्यवस्थाएं की जाती हैं.
जब तक वित्तमंत्री के द्वारा बजट पेश नहीं किया जाता, तब तक प्रोसेस से जुड़े अधिकारियों के खाने और रहने की व्यवस्था की जाती है.
बेसमेंट में क्वारंटीन किए गए सभी अधिकारियों को लॉक-इन के दौरान अपने परिवार के किसी भी सदस्य या प्रियजन को बुलाने की अनुमति नहीं होती.
इमरजेंसी होने की स्थिति में, संबंधित व्यक्ति को एक कमरे में ले जाया जाता है, जहां एक इंटेलिजेंस ऑफिसर की मौजूदगी में कॉल की जा सकती है.
जिस वक्त बजट पर काम किया जाता है, नॉर्थ ब्लॉक एक किले में बदल जाता है. सिक्योरिटी एजेंसीज इनकमिंग और आउटगोइंग फोन कॉल्स पर कड़ी नजर रखती हैं.
सीक्रेट डॉक्यूमेंट्स से संबंधित किसी भी कम्युनिकेशन के लिए, ब्यूरोक्रेट्स के चैंबर्स में इंस्टॉल किए गए लैंडलाइन टेलीफोन को टैप करने के लिए एक इंटरसेप्टिंग एक्सचेंज सेट-अप किया जाता है.
जैसे-जैसे बजट पेश करने का दिन नजदीक आता है, वित्त मंत्रालय के कंप्यूटर्स पर ई-मेल की सुविधा ब्लॉक कर दी जाती है.
किसी भी साइबर चोरी को रोकने के लिए, प्रेस क्षेत्र के अंदर के कंप्यूटरों को नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) के सर्वर से अलग कर दिया जाता है.
किसी भी इन्फॉर्मेशन को लीक होने से रोकने के लिए, नॉर्थ ब्लॉक के अंदर इलेक्ट्रॉनिक जैमर लगाए गए हैं, जिससे मोबाइल फोन का प्रयोग न किया जा सके.
फाइनेंस सेक्रेटरी और वित्त मंत्रालय के अन्य बड़े अधिकारियों को भी सेक्योरिटी कवर दिया जाता है.
दिल्ली पुलिस वित्त मंत्रालय के अधिकारियों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखते हुए इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) की मदद करती है.
बजट पेश किए जाने से पहले सिर्फ वित्त मंत्रालय के अधिकारियों को बेसमेंट के अंदर नहीं बंद किया जाता, बल्कि कानून मंत्रालय, सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (CBDT) और सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम (CBEC) के कुछ लीगल एक्सपर्ट्स को भी क्वारंटीन किया जाता है.
बजट स्पीच से कुछ दिन पहले, कुछ पीआईबी अधिकारियों को भी प्रेस रिलीज जारी करने के लिए बेसमेंट में भेजा जाता है.
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