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Budget 2022: 6 महीने पहले से होती है तैयारी, जानें पूरी प्रक्रिया

बजट पेश करने से पहले हलवा सेरेमनी खास मानी जाती है.

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भारत
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भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी 2022 को संसद में देश का केन्द्रीय बजट (Budget) पेश करेंगी. इस दौरान सरकार के द्वारा एक साल के आय-व्यय का लेखा-जोखा पेश किया जाता है, जिसे अगले एक साल का राजकोषीय रोडमैप भी कहा जाता है. उम्मीद जताई जा रही है कि पिछले साल की तरह इस साल भी पेपरलेस बजट पेश किया जाएगा. 2021 में आजाद भारत में पहली बार पेपरलेस बजट पेश किया गया था.

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भारत में बजट पेश करने की शुरुआत कब से हुई और इसका पूरा प्रोसेस क्या है?

भारत का पहला बजट

देश का पहला बजट साल 1860 में 18 फरवरी को वायसराय की परिषद में जेम्स विल्सन ने पेश किया था. जेम्स विल्सन भारतीय वायसराय को सलाह देने वाली परिषद के वित्त सदस्य थे. अगर आजाद भारत के पहले बजट की बात की जाए तो स्वतंत्र भारत का पहला बजट 26 नवंबर 1947 को तत्कालीन वित्तमंत्री आर.के.शनमुखम चेट्टी ने पेश किया था.

भारत को आजादी मिलने के बाद से अब तक कुल 73 वार्षिक बजट, 14 अंतरिम बजट और चार विशेष बजट पेश किए जा चुके हैं.
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बजट तैयार करने की प्रक्रिया

भारतीय बजट को वित्त मंत्रालय द्वारा नीति आयोग और इससे संबंधित अन्य मंत्रालयों के सहयोग से तैयार किया जाता है. कई एडवाइजर और ब्यूरोक्रेट्स की मदद से वित्त मंत्री द्वारा बजट तैयार किया जाता है. वित्त मंत्रालय का डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स (DEA) बजट तैयार करने की नोडल बॉडी है. बजट को किस तरह से बनाया जाना है, क्या शामिल करना है, ये प्रक्रिया लगभग 6 महीने पहले यानी अगस्त-सितंबर में ही शुरू हो जाती है. केन्द्रीय बजट को फाइनेंसियल ईयर यानी 1 अप्रैल से पहले संसद के दोनों सदनों से पारित कराना होता है.

भारतीय बजट के कुल चार स्टेज होते हैं...

खर्च और रेवेन्यू का अनुमान

बजट की प्रक्रिया विभिन्न मंत्रालयों के द्वारा योजना और गैर-योजना खर्च के प्रारंभिक अनुमान के साथ शुरू होती है. मंत्रालय योजना आयोग के साथ आने वाले खर्च पर चर्चा करते हैं. योजना आयोग निरंतर कार्यक्रमों के लिए संसाधनों का निर्धारण करता है और नए प्रोग्राम्स पर फैसला लेता है, जो कि एक अस्थायी अनुमान या उपलब्ध संसाधनों के आधार पर शुरू किया जा सकता है.

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मंत्रालयों के वित्तीय सलाहकार गैर-योजनागत खर्च तैयार करते हैं. व्यय सचिव उन्हें मैनेज करता है और वित्तीय सलाहकारों के साथ एक बेहतर चर्चा के बाद, आगामी वित्तीय वर्ष के लिए बजट अनुमान निर्धारित किए जाते हैं. गैर-योजनागत खर्च का ज्यादातर हिस्सा ब्याज भुगतान, सब्सिडी (मुख्य रूप से भोजन और उर्वरकों पर) और कर्मचारियों को वेतन भुगतान के कारण होता है.

खर्च का अंदाजा लगाने के अलावा, सरकारी खजाने में आने वाले संभावित रेवेन्यू का आकलन किया जाता है.

टैक्स रवेन्यू के रूप में प्राप्त होने वाले अमाउंट का अनुमान टैक्सेशन की मौजूदा दरों के आधार पर और आगामी फाइनेंसियल ईयर में संभावित वृद्धि और मंहगाई दर को ध्यान में रखते हुए लगाया जाता है.

घाटे का अनुमान 

रेवेन्यू और खर्च के अनुमान लगाने के बाद, उनका एक साथ मिलान किया जाता है. यह संभावित खर्च को पूरा करने के लिए रेवेन्यू में अपेक्षित कमी का पहला अनुमान प्रदान करता है. तब सरकार चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर के साथ चर्चा करके इस घाटे को पूरा करने के लिए फैसला लेती है.

बाहरी उधार के आंकड़े को सरकार द्वारा बाहरी उधारी के रूप में जाना जाता है, जिसमें बाईलेट्रल और मल्टीलेट्रल सहायता शामिल होती है. डोमेस्टिक बॉरोइंग का स्तर राजकोषीय घाटे के वांछित स्तर पर निर्भर करता है, जिसे सरकार अपने लिए टारगेट करती है. रेवेन्यू पार्ट का एक हिस्सा एड होक ट्रेजरी बिल जारी करने के माध्यम से पूरा करने के लिए अधूरा छोड़ दिया जाता है.

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घाटे को कम करना

राजकोषीय घाटे और बजट घाटे के टारगेट तय होने के बाद, यदि संभव हो तो कर दरों में संशोधन के जरिए किसी भी बची हुई कमी को पूरा किया जाता है. राजकोषीय प्रोत्साहन स्ट्रक्चर को ध्यान में रखते हुए सरकार कई क्षेत्रों में ग्रोथ करने के लिए स्थापित करना चाहती है. शुरुआती योजनाओं के बाद, अगर कोई बदलाव करने की जरूरत है तो खर्च में एडजस्टमेंट किया जाता है. गैर-योजना खर्च में ब्याज भुगतान, सब्सिडी और प्रशासनिक व्यय शामिल हैं.

बजट प्रिंटिंग

बजट पेश किए जाने के कुछ दिनों पहले सरकार के द्वारा हलवा प्रोग्राम आयोजित करवाने की पुरानी परंपरा रही है, जिसका हर साल पालन किया जाता है. हलवा प्रोग्राम बजट दस्तावेजों की प्रिंटिंग या तैयारी का प्रतीक है. हालांकि पिछले साल पेपरलेस बजट पेश किया गया था.

इस प्रोग्राम के लिए एक बड़ी कड़ाही में हलवा बनवाया जाता है और वित्त मंत्रालय के सभी कर्मचारियों को खिलाया जाता है.
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फाइनल बजट

1 अप्रैल से शूरू होने वाले आगामी वित्तीय वर्ष के लिए बजट की पेशकश 1 फरवरी को की जाती है. भारतीय संविधान में वित्तीय मामलों में संसद को सर्वोच्च बनाया है. संविधान के अनुच्छेद 112 के तहत केंद्र सरकार को संसद के दोनों सदनों के समक्ष अनुमानित प्राप्तियों और व्यय का वार्षिक वित्तीय जानकरी रखना जरूरी है.

संविधान के अनुच्छेद 114 के तहत, सरकार संसद की मंजूरी पर ही भारत की संचित निधि से पैसा निकाल सकती है. संविधान का अनुच्छेद 265 सरकार को कानून के अधिकार के बिना कोई टैक्स लेने से रोकता है, इसलिए सरकार वित्त विधेयक लेकर आती है. विधेयक नए टैक्स लगा सकता है, मौजूदा टैक्स स्ट्रक्चर में बदलाव कर सकता है या मौजूदा टैक्स स्ट्रक्चर को संसद द्वारा पहले अनुमोदित अवधि के बाद भी जारी रख सकता है.

बजट में प्रस्ताव 1 अप्रैल से लागू होते हैं. बजट पेश करने और लागू होने की तारीख के बीच 1 महीने का अंतराल होता है, जिसके दौरान लोकसभा सरकार के बजट प्रस्तावों की समीक्षा और संशोधन कर सकती है.

गौरतलब है कि प्रस्तावित बजट को 1 अप्रैल से प्रभावी होना है, इसलिए सरकार आम तौर पर उन खर्चों को पूरा करने के लिए अंतरिम अप्रूवल चाहती है, जिन्हें बजट के अप्रूवल के पेंडिंग में रहने तक का खर्च करना पड़ता है.

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