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मोदी सरकार 1 फरवरी 2023 को वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आम बजट (Budget 2023) पेश करेंगी. लेकिन क्या आप जानते हैं भारत का एक ऐसा बजट भी गुजरा है, जब ये फैसला हुआ था कि भारत और पाकिस्तान दोनों एक ही करेंसी यानी मुद्रा का इस्तेमाल करेंगे. क्या आपने ब्लैक बजट के बारे में सुना है. चलिए तो भारतीय बजट से जुड़े ऐसे ही रोचक फैक्टस आपको बताते हैं.
भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ और आजादी के बाद देश का पहला बजट तत्कालीन फाइनैंस मिनिस्टर आर.के. शानमुखम शेट्टी ने 26 नवंबर, 1947 को पेश किया था. यह बजट करीब साढ़े 7 महीने के लिए यानी 31 मार्च, 1948 तक के लिए पेश किया गया था. इस बजट में टैक्स को लेकिर प्रस्ताव नहीं था.
जब बजट भाषण होता है, तो वित्त मंत्री को देशभर के लोग सुन रहे होते हैं. शिक्षा से लेकर सुरक्षा में खर्च होने वाले पैसे के बारे में बताया जाता है. कुल मिलाकर बजट भाषण लंबा तो होता है, लेकिन सवाल है कि भारत में अबतक सबसे ज्यादा देर तक किसने बजट भाषण दिया है.
वहीं 1977 में हिरूभाई एम पटेल ने अंतरिम बजट पेश करते हुए 800 शब्दों का सबसे छोटा बजट भाषण दिया था.
आजादी के बाद करीब 8 साल बजट की कॉपी को सिर्फ अंग्रेजी भाषा में ही छापा जाता था. लेकिन भारत के तीसरे वित्त मंत्री सी डी देशमुख ने बजट में एक बड़ा बदलाव किया. उनके कार्यकाल में साल 1955 में पहली बार बजट को हिंदी में भी छापा गया. वो 1951 से 1957 तक वित्त मंत्री रहे.
देश के पहले बजट में रेवेन्यू जुटाने का लक्ष्य 171.85 करोड़ रुपये रखा गया था. वहीं राजकोषीय घाटे का लक्ष्य तब 24.59 करोड़ रुपये था. मतलब अगर आज की बात करें तो दिल्ली और मुंबई जैसे मेट्रो शहर में पॉश इलाके में इतनी कीमत में एक बंगला मिलता है.
भले ही 1947 में भारत का बंटवारा हो गया था और पाकिस्तान बना, लेकिन पहले केंद्रीय बजट में ये फैसला हुआ था कि भारत और पाकिस्तान दोनों एक ही करेंसी यानी मुद्रा का इस्तेमाल करेंगे. फैसले में कहा गया कि सितंबर 1948 तक दोनों देश एक ही मुद्रा का इस्तेमाल करेंगे.
भारत में एक ऐसा बजट भी पेश किया गया था जिसे ब्लैक बजट कहा जाता है. दरअसल, बात है 1973-74 के बजट की. 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद देश आर्थिक संकट से जूझ रहा था. इसके अलावा खराब मॉनसून का भी असर था. जिस वजह से सरकार का खर्च उसकी कमाई से कहीं ज्यादा हो गया था. तब यशवंत राव बी चव्हाण देश के वित्त मंत्री थी. 28 फरवरी 1973 को चव्हाण ने बजट पेश किया, बजट पेश करते हुए खुद वित्त मंत्री ने कहा था कि वो ब्लैक बजट पेश करने को मजबूर हैं. साल 1973 का बजट 550 करोड़ घाटे का बजट था.
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