Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Budget Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019थोड़ा धार्मिक और राजनीतिक भी है आर्थिक सर्वे 2018-19

थोड़ा धार्मिक और राजनीतिक भी है आर्थिक सर्वे 2018-19

भारतीयों से टैक्स निकलवाने के लिए धार्मिक उपाय करने के सुझाव

संतोष कुमार
आम बजट 2022
Updated:
4 जुलाई को बजट 2019-20 फाइनल करने के बाद वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर और अफसरों के साथ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
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4 जुलाई को बजट 2019-20 फाइनल करने के बाद वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर और अफसरों के साथ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
(फोटो: PTI)

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आर्थिक सर्वे होता है इकनॉमी का हाल बताने के लिए और आगे का रास्ता सुझाने के लिए. प्योर पॉलिसी और पैसा. लेकिन आर्थिक सर्वे 2018-19 न सिर्फ धार्मिक है बल्कि राजनीतिक भी है. ये कहता है कि धर्म की मदद से टैक्स चोरी रोकी जा सकती है. एक दूसरी योजना के नाम से लेकर उसे समझाने के लिए भी धार्मिक नोट्स का सहारा लिया गया है.

टैक्स के लिए धम्म शरणं गच्छामि

आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि भारतीय संस्कृति में धर्म के महत्व को देखते हुए इसे इकनॉमी से जोड़े जाने की जरूरत है, ताकि टैक्स नहीं देने के रवैये में कमी आए.

हिंदू धर्म में उधार न चुकाना पाप और अपराध माना जाता है. शास्त्र बताते हैं कि यदि किसी व्यक्ति का बिना कर्ज चुकाए देहांत हो जाता है तो उसकी आत्मा को बुरे नतीजों का सामना करना पड़ता है, इसलिए बच्चों का भी फर्ज है कि वो मां-बाप को इस तरह की बुराइयों से बचाएं.
आर्थिक सर्वे 2018-19 से

और ये बात समझाने के लिए सिर्फ हिंदू धर्म ही नहीं बाकी धर्मों का भी सहारा लिया गया है.

इस्लाम में कहा गया है - या अल्लाह ताला, मैं पाप और भारी कर्ज से बचने के लिए तुम्हारी पनाह में आना चाहता हूं. कोई भी व्यक्ति जन्नत में तबतक प्रवेश नहीं कर सकता, जबतक उसका कर्ज चुकता नहीं हो जाता है. अगर वो कर्ज न चुका पाए तो उसके वारिस ऐसा कर सकते हैं.
आर्थिक सर्वे 2018-19 से
बाइबिल में कहा गया है कि किसी भी प्रकार का कर्ज बाकी न रहने दें. दुष्ट उधार लेता है और चुकाता नहीं है, लेकिन धर्म पर चलने वाला दया दिखाता है और देता है.
आर्थिक सर्वे 2018-19 से
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धन लक्ष्मी, विजय लक्ष्मी

इकनॉमिक सर्वे में ये साफ कोशिश दिखती है कि भारतीय देवी-देवताओं और माइथोलॉजी के जरिए आम जनता तक संदेश पहुंचाई जाए. इकनॉमिक सर्वे में 'बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ' योजना का नाम बदलकर BADLAV करने का प्रस्ताव है. फुल फॉर्म है - बेटी आपकी धन लक्ष्मी और विजय लक्ष्मी.

आर्थिक सर्वे में ऋग्वेद से लेकर शास्त्रों और वैदिक काल की किरदार गार्गी तक का जिक्र है, जिन्होंने हर चीज के अस्तित्व पर सवाल उठाया था. इसी तरह विदुषी मैत्रेयी का भी जिक्र है जिन्होंने आध्यात्मिक ज्ञान के लिए अपने पति की संपत्ति को भी ठुकरा दिया था. 

‘‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:’’

अथर्ववेद की इस प्रसिद्ध लाइन को कोट करते हुए सर्वे में कहा गया है कि चूंकि वेद-पुराणों में जेंडर इक्वालिटी पर काफी अच्छी बातें हैं इसलिए इनका इस्तेमाल BADLAV जैसी योजना को और असरदार बनाने में किया जा सकता है. इसमें कहा गया है कि BADLAV योजना में धन लक्ष्मी और विजय लक्ष्मी के जिक्र से लड़कियों को लक्ष्मी की तरह मानने का संदेश जाएगा.

सर्वे में धार्मिक बातें शुद्ध आर्थिक कारणों से हैं या फिर इसमें सियासी रंग की भी मिलावट है, ये तो पता नहीं लेकिन इसकी चर्चा जरूर हो रही है. आर्थिक सर्वे लोगों की आदतों के मुताबिक, नीतियां बनाने की भी पैरवी करता है. जैसे मनोविज्ञान के उपायों का सहारा लेकर लोगों को हेल्थ बीमा लेने या सेविंग करने के लिए प्रेरित करना.

आर्थिक बातों के बीच राजनीति

  • सर्वे में स्वच्छ भारत और आयुष्मान भारत से अब सुंदर भारत की ओर जाने की चर्चा है. कहीं न कहीं ये स्वच्छ भारत और आयुष्मान भारत की तारीफ भी है.
  • सियासतदानों से कहा गया है कि वो नीति निर्धारण असमंजस की स्थिति न रहने दें. सर्वे का आकलन है कि पिछले दस सालों में इसमें कमी आई है. इज ऑफ डुइंग बिजनेस के मोर्चे पर सरकार भी अक्सर अपनी पीठ ठोंकती रही है.
  • सर्वे में सस्ते, भरोसेमंद और टिकाऊ ऊर्जा के जरिए सबके साथ और सबके विकास की भी बात कही गई है.

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Published: 04 Jul 2019,10:33 PM IST

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