Home Business ऐसी है इकनॉमी की दशा और दिशा, इकनॉमिक सर्वे के बड़े हाइलाइट्स
ऐसी है इकनॉमी की दशा और दिशा, इकनॉमिक सर्वे के बड़े हाइलाइट्स
जनवरी से मार्च के बीच भारत में स्लो ग्रोथ का कारण चुनाव थे.
क्विंट हिंदी
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(फोटोः Altered By Quint Hindi)
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मोदी सरकार ने संसद में आर्थिक सर्वे पेश कर दिया है. आर्थिक सर्वे में देश की अर्थव्यवस्था के पिछले एक साल की तस्वीर पेश की गई, साथ ही अगले वित्त वर्ष के लिए भी नीतिगत संकेत दिए गए. 5 जुलाई को बजट पेश किया जाना है. 2019-20 में जीडीपी दर के 7% रहने का अनुमान है.
इकनॉमिक सर्वे के बड़े हाइलाइट्स-
इकनॉमिक सर्वे के मुताबिक वित्त वर्ष 2020 में जीडीपी ग्रोथ 7% रहने का अनुमान है.
अगर भारत को FY25 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की इकनॉमी बनना है तो हर साल 8% जीडीपी ग्रोथ चाहिए होगी.
आर्थिक विकास के लिए सरकार को निवेश पर फोकस करना होगा. निवेश को बढ़ाकर ही 8 परसेंट ग्रोथ का लक्ष्य हासिल हो पाएगा.
मांग बढ़ाने, रोजगार पैदा करने, एक्सपोर्ट बढ़ाने, प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए भारी निवेश ही एक विकल्प है. भारत में निवेश बढ़ने के संकेत दिख भी रहे हैं.
साल 2018 के मध्य से ग्रामीण मजदूरी में बढ़ोतरी दिख रही है.
राजनीतिक स्थायित्व से इकनॉमी को फायदा होने की उम्मीद है.
झगड़े सुलझाने में अड़चन और कॉन्ट्रेक्ट को सही तरीके से लागू करना अभी भी बड़ी समस्या बना हुआ है. आर्थिक मुद्दों का तेजी से न्यायिक निपटारा सरकार की प्राथमिकता होना चाहिए,
सेविंग और ग्रोथ आपस में जुड़े हुए हैं. सेविंग बढ़ने से निवेश को भी बल मिलेगा.
स्वभाव में बदलाव ही कई सामाजिक समस्याओं का हल है.
रियल टाइम डाटा के आधार पर सिस्टम में तेजी से बदलाव होने चाहिए. डाटा सभी को उपल्बध होना चाहिए. ‘लोगों का, लोगों के द्वारा, लोगों के लिए’
ग्राफिक्स: क्विंट हिंदी
देश के नीति निर्माताओं को कुछ बातों का ध्यान रखना होगा. 1. विजन साफ होना चाहिए. 2. रणनीति का साफ खाका होना चाहिए. 3. लगातार सुधार के लिए कोशिश करते रहनी होगी.
मनरेगा की सफलता से ये साफ है कि टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से सरकारी योजनाएं जमीनी स्तर पर बड़ा बदलाव ला सकती हैं.
गरीबों के लिए न्यूनतम मजदूरी की नीति से इकनॉमी में मांग बढ़ी है और ये मिडिल क्लास को भी बड़ी तादाद में मदद पहुंचा रही है.
भारत के MSME सेक्टर को पुरान बंधनों से मुक्त करना पड़ेगा. कानूनी स्तर पर कई सुधार लाने होंगे. MSME के प्रति नजरिया बदल कर उसे इनोवेशन, ग्रोथ और रोजगार के सुनहरे उपकरण के तौर पर देखना होगा.
सरकार की नीति को ये सुनिश्चित करना होगा कि MSME का ज्यादा से ज्यादा विकास हो, जिससे उनका मुनाफा बढ़े. इससे रोजगार को बढ़ावा मिले और बाजार में उत्पादन को भी बूस्ट मिले.
भारत को अपनी प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत बढ़ानी होगी. इसी से प्रति व्यक्ति जीडीपी $5000 तक पहुंचेगी.
अगले वित्त वर्ष में तेल की कीमतें गिरने का अनुमान है.
भारत स्वच्छ भारत से स्वस्थ और सुंदर भारत की दिशा में बढ़ रहा है.
सरकार पुराने फिस्कल कंसोलिडेशन के रास्ते पर ही है.
जनवरी से मार्च के बीच भारत में स्लो ग्रोथ का कारण चुनाव थे.
NBFC संकट धीमी ग्रोथ के पीछे बड़ा कारण रहा.
FY18 में फिस्कल डेफिसिट 5.8 परसेंट रहा.
वित्त वर्ष 2020 में मांग बढ़ने से निवेश को भी बूस्ट मिलेगा
भारत की मॉनेटरी पॉलिसी ने महंगाई पर अच्छे से लगाम लगाई है.