advertisement
1 फरवरी को फाइनेंशियल ईयर 2020-21 के लिए बजट पेश होने वाला है. बाजार, कंज्यूमर, टैक्सपेयर्स, आम आदमी और अलग-अलग सेक्टर में काम करने वालों की बजट से कई तरह की उम्मीदें है. फाइनेंशियल मामलों में सलाह देने वाली कंपनी नोवा ध्रुवा ने भी बजट 2020 को लेकर उम्मीदें बताईं है. नोवा ध्रुवा का मानना है कि टैक्स रेट में सुधार और कटौती की सभी को उम्मीद है. सरकार के सामने भी चुनौती है कि वो इकनॉमी को मंदी से बाहर निकाले साथ में अपना वित्तीय अनुशासन भी बनाए रखे.
नोवा ध्रुवा की बजट 2020 से ये उम्मीदें हैं-
सरकारी खर्च से इकनॉमी को बूस्ट मिलेगा. सरकार के टैक्स घटाने की हालात में नहीं है. सरकार को अपना राजस्व अपने एसेट्स बेचकर जुटाना होगा. सरकार को विनिवेश या प्राइवेटाइजेशन करना होगा या फिर फ्लोटिंग ईटीएफ जारी करके पैसे जुटाने की कोशिश करना चाहिए.
हालांकि सरकार की पाइपलाइन में बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट हैं. लेकिन इसके लिए बड़े कमर्शियल बैंक फाइनेंस करने से बच रहे हैं. इसकी फंडिंग जुटाने के लिए सरकार कॉरपोरेट बॉन्ड मार्केट का इस्तेमाल कर सकती है. इसके लिए सरकार कैपिटल एनहांसमेंट इंस्टीट्यूट का गठन करने पर विचार कर सकती है.
जैसा सरकार ने पिछले बजट में किया था इस बजट में भी सरकार सोवरेन बॉन्ड जारी कर विदेशी बाजारों से पैसा जुटा सकती है.
फरवरी 2018 को जारी किए गए बजट में सरकार ने 14 साल बाद शेयर बाजार पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगा दिया था. इससे बाजार में कन्फ्यूजन बढ़ा, दूसरी तरफ इससे सरकार को कोई खास फायदा नहीं हुआ टैक्स कलेक्शन में भी खास फायदा नहीं हुआ. LTCG और STT ये दोहरा टैक्स निवेशकों को बाजार से दूर रख रहा है. आने वाले बजट में इस मुद्दे का सरकार को हल निकालना चाहिए
अगर भारत को दुनिया में प्रतिस्पर्धी बनना है. तो डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स की जगह क्लासिक शेयरहोल्डर टैक्स सिस्टम लाया जाना चाहिए.
नोवा ध्रुवा का मानना है बजट 2020 में सरकार को इंश्योरेंस कंपनियों में विदेशी निवेश की छूट बढ़ानी चाहिए.
कैपिटल मार्केट में आसाना एंट्री और एग्जिट बनाने के लिए सरकार को डिलिस्टिंग गाइडलाइन्स को आसाना बनाना चाहिए. ये ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की दिशा में एक अच्छा कदम होगा.
कॉरपोरेट रीस्ट्रक्चरिंग की कोर्ट में बहुत जटिल प्रक्रिया है. सरकार ये सारी प्रक्रिया को सिंगल विंडो के जरिए हल किए जाने की प्रक्रिया की दिशा में कदम उठाना चाहिए.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)