Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Budget Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019कहां गए बजट के 1.7 लाख करोड़ रुपये? इस गड़बड़ी की क्या है वजह? 

कहां गए बजट के 1.7 लाख करोड़ रुपये? इस गड़बड़ी की क्या है वजह? 

बजट के बाद इसके आंकड़ों में एक बड़ी गड़बड़ी अब चर्चा का विषय बनी हुई है.

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आम बजट 2022
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बजट के आंकड़ों में अंतर चर्चा का विषय बना 
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बजट के आंकड़ों में अंतर चर्चा का विषय बना 
(फोटो : रॉयटर्स) 

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बजट के बाद इसके आंकड़ों में एक बड़ी गड़बड़ी अब चर्चा का विषय बनी हुई है. आंकड़ों की यह विसंगति 1.7 लाख करोड़ रुपये की है. आंकड़ों की इस गड़बड़ी की ओर किसी और ने नहीं बल्कि प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य रथिन रॉय ने इशारा किया है.

बिजनेस स्टैंडर्ड में लिखे एक लेख में उन्हें दिखाया कि सरकार की ओर से 2018-19 के इकनॉमिक सर्वे और 2019 के बजट में राजस्व आकलन से जुड़े जो आंकड़े दिए गए हैं वे अलग-अलग हैं. और यह अंतर कोई मामूली नहीं बल्कि एक पर्सेंटेज प्वाइंट यानी 1.7 लाख करोड़ रुपये का है.

क्या है राजस्व आकलन और क्या है यह आंकड़ा?

राजस्व आकलन का मतलब उस राशि से है जो सरकार ने किसी वित्त वर्ष ने कमाए हैं. अब आंकड़ों पर नजर. बजट दस्तावेजों के मुताबिक 2018-19 में सरकार ने 17.3 लाख करोड़ रुपये कमाए हैं, जबकि इकनॉमिक सर्वे में कमाई 15.6 लाख करोड़ रुपये बताई गई है.

फीसदी के तौर पर देखें तो बजट में राजस्व आकलन जीडीपी का 9.2 फीसदी बताया गया है. जबकि इकनॉमिक सर्वे में इसे 8.2 बताया गया है.

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आंकड़ों में इस विसंगति का असर सरकार के खर्च पर पड़ा होगा. अगर ऐसा नहीं होगा तो बैलेंस शीट में भी आंकड़ों का मिलान नहीं होगा. बजट में 2018-19 के दौरान खर्च 24.6 लाख करोड़ रुपये दिखाया गया है. जबकि इकनॉमिक सर्वे में खर्च 23.1 लाख करोड़ रुपये दिखाया गया है. यानी 1.5 लाख करोड़ रुपये का अंतर.

इकनॉमिक सर्वे और केंद्रीय बजट को पढ़ने पर पता चलता है कि रेवेन्यू आंकड़ों की यह विसंगति इसलिए आई क्योंकि दोनों दस्तावेज में ये आंकड़े अलग-अलग थे. खास कर टैक्स रेवेन्यू के मामले में. बजट के मुताबिक सरकार ने पिछले साल टैक्स से 14.8 लाख करोड़ की आय का अनुमान लगाया था. लेकिन इकनॉमिक सर्वे के आंकड़े बताते हैं सरकार ने सिर्फ 13.2 लाख करोड़ रुपये कमाए.

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