advertisement
वीडियो एडिटर: दीप्ती रामदास
आपके हर ख्वाब, हर काम के लिए आपके पास हमेशा पूरा पैसा हो ये असंभव है. लेकिन अगर अपने गोल्स के मुताबिक प्लान कर लें बचत करें और पैसा डूबने न दें तो संभव है. और आप ये सब कर पाएं इसलिए प्रियंका संभव है. मैं आपको दूंगी वो टिप्स जो आपका पैसा बचाएंगे, आपको नुकसान से बचाएंगे. ऐसी जानकारियां दूंगी जो रोजमर्रा की जिंदगी से लेकर आपकी लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल प्लानिंग में आपकी मदद करेंगी.
क्विंट हिंदी की इस स्पेशल सीरीज ‘पैसा है तो संभव है’ के दूसरे एपिसोड में समझिए, कि कैसे आप बिना कार खरीदे बन सकते हैं कार मालिक.
कार- यानी मोटा खर्चा. डाउन पेमेंट, कारलोन की किस्त, रोड टैक्स, इंश्योरेंस, रेग्युलर सर्विसिंग, रख-रखाव, लिस्ट लंबी चौड़ी है. और ये सारे ताम-झाम एक ऐसे सामान के लिए जिसकी वैल्यू समय के साथ घटती जाती है. तो डिप्रीशियेट होने वाले इस सामान पर आप कितना खर्च करना चाहेंगे? वैसे कारों की गिरती सेल्स हमें बता रही है कि कार जैसे बिग टिकट एक्सपेंडिचर को इंडियन कंज्यूमर होल्ड कर रहा है इसिलए मोटे खर्चे का तोड़ अब कार कंपनियां हीं लेकर आई हैं.
कार आपकी लेकिन उसकी सर्विसिंग से लेकर देखभाल पराई.
पराई से मतलब ये नहीं कि आपकी कंपनी या आपके पड़ोसी की ये जिम्मेदारी होगी बल्कि कार कंपनी उठाएगी कार के रख-रखाव का जिम्मा. आप कार कंपनियों से किराए पर ले सकते हैं ब्रैंड न्यू कार, जिसे कहते हैं लीजिंग (Leasing).
अपनी पसंद की कार को बिना खरीदे ही आप बन सकते हैं कार के मालिक. कार आपकी रहेगी लेकिन अपनी बनाने की जरूरत नहीं. कार को इस्तेमाल करने की आपको मिलेगी पूरी आजादी. 24 घंटे सातों दिन कार आपके पास रहेगी और आपकी पार्किंग में ही खड़ी भी होगी. हर तीन महीने में रेग्युलर सर्विसिंग भी कार कंपनी करवा कर देगी. अगर कार का एक्सीडेंट हो जाए तो इंश्योरेंस कंपनी से क्लेम लेने के अलावा कार की रिपेयरिंग में आपको पड़ने की कोई जरूरत नहीं.
ठीक जैसे आप घर रेंट पर लेते हैं और हर महीने रेंट अदा करते हैं वैसे ही आपको कार की मंथली रेंट देनी होगी. आप कार की कीमत नहीं बल्कि उसे इस्तेमाल करने की कीमत अदा करेंगे. कार के मॉडल, माईलेज और लीजिंग कॉन्ट्रैक्ट के ड्यूरेशन पर साथ ही में आप कितनी एडिशनल सर्विसेज के लिए कंपनी से टाई-अप करेंगे, मंथली रेंट तय की जाएगी. कार के साईज के मुताबिक 18000 से 50,000 तक की मंथली लीज रेंटल पर कार मिलती है.
आपको किसी भी तरह का डाउन पेमेंट नहीं करना होगा लेकिन एक सिक्योरिटी डिपॉजिट कंपनियां आपसे लेंगी. कार कंपनियां लीजिंग प्लान में किलोमीटर लिमिट डालती हैं तो इसका ख्याल रखना होगा. अगर निर्धारित किलोमीटर से कार ज्यादा चलेगी तो उतनी एडिशनल पेमेंट आपको करनी पड़ेगी.
बेशक ये ट्रेंड भारत में अभी जोर पकड़ रहा है लेकिन नया नहीं है. अभी तक निजी और सरकारी संस्थान अपने सीनियर मैनेजमेंट के लिए या ऑफिस के काम के लिए कॉर्पोरेट हायरिंग करते आए हैं लेकिन अब हमारे और आपके जैसे इंडिविज्युल भी हायर कर सकते हैं. कई कार रेंट कंपनियां सब्सक्रिप्शन मॉडल पर भी कार देती हैं जिसमें छोटे समय के लिए आप कार रेंट पर लेते हैं और फिर वापस कर देते हैं. लेकिन लीजिंग कंपनियां लंबे समय के लिए आपको कार रखने का मौका देती हैं.
मान लीजिए की 10 लाख की ह्युंदई क्रेटा आपको पसंद है तो इसे खरीदने का मतलब है कि दो ढाई लाख का डाउन पेमेंट, साथ ही में लोन की किस्त लगभग 20 हजार रुपये हर महीने लेकिन बगैर डाउन पेमेंट के 17,500 के रेंट पर अगर क्रेटा को आप अपनी बना पाएं तो ये ज्यादा किफायती लग सकता है. हर महीने 20,000 की किस्त के साथ इंट्रेस्ट जोड़कर जब 5 साल बाद आपका कार लोन खत्म होगा तो आप करीब 12 लाख की पेमेंट कर चुके होंगे. कार के खर्चे के अलावा मेंटेनेंस और इंश्योरेंस को फैक्टर इन करना न भूलें, वहीं 17,500 रुपये का मंथली रेंट के साथ सर्विसिंग आपकी जेब पर ज्यादा आसान लग सकता है.
लेकिन...ये भी ध्यान रखिए!
इन सब तोल-मोल के बाद आप इस सवाल का जवाब बेहतर दे पाएंगे कि आपकी अगली गाड़ी लीज पर आएगी या खरीदेगें. तो प्रक्टिकैलिटी और फ्लेक्सिबिलिटी के पैमाने पर दोनों ऑप्शन को टेस्ट करें. 5 साल तक कार से जुड़े खर्चे देने के बाद आप कार को अपना कहने की चाहत रखते हैं तो कार खरीदिए लेकिन अगर आपकी नौकरी ऐसी है जहां हर 2-3 साल में शहर बदलना पड़ता है या आप नौकरी बदलते रहते हैं और गाड़ी आपके लिए महज पॉइंट 'ए' से पॉइंट 'बी' तक जाने का माध्यम है और आपको अपने हिसाब से गाड़ी के मॉडिफिकेशन का शौक नहीं है तो कार लीज पर लेना बेहतर पैकेज है.
रोजाना की ड्राइव बहुत ज्यादा न हो तो सस्ते और आसान रखरखाव के लिए लीज की कार लेना बेहतर विकल्प हो सकता है, खासतौर पर उन मिलेनियल्स के लिए जो सुविधाएं तो चाहते हैं लेकिन लायबिलिटी नहीं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)