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होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन से जुड़े एक नियम में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने एक अहम बदलाव किया है. इस बदलाव के बाद 1 अप्रैल 2019 से इन चीजों के लिए बैंक से लोन पर लगने वाले ब्याज दर का नियम भी बदल जाएगा.
मौजूदा समय में फिलहाल बैंक खुद ही तय करते हैं कि ब्याज दर कब बढ़ानी या घटानी है. लेकिन आरबीआई की ओर से रेपो रेट घटाने के बाद 1 अप्रैल से बैंकों को भी अपने ग्राहकों के लिए लोन पर लगने वाली ब्याज दर घटानी होगी. इससे ब्याज दरों में ज्यादा पारदर्शिता आएगी और ग्राहकों की ईएमआई कम होगी. यही नियम छोटे कारोबारियों को दिए जाने वाले कर्ज पर भी लागू होगा.
आरबीआई ने गुरुवार को वित्त वर्ष 2018-19 का छठा द्विमासिक पॉलिसी स्टेटमेंट जारी किया है. यह बयान मंगलवार से गुरुवार तक चली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद जारी किया गया है.
न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक एसकोर्ट सिक्योरिटी के रिसर्च हेड आसिफ इकबाल का कहना है कि रेपो रेट बढ़ने पर तो बैंक लोन की ब्याज दर फौरन बढ़ा देते हैं, लेकिन रेपो रेट कम होने पर वे इसे तत्काल सस्ता नहीं करते. इसी वजह से पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने हर महीने मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) तय करने की व्यवस्था लागू की थी. इसके बाद पूर्व आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने भी कहा था कि बैंक ग्राहकों को पूरा फायदा नहीं दे रहे हैं.
नए नियम के तहत रेपो रेट के आधार पर ब्याज दर भी बदल जाएगी. रेपो रेट घटने पर बैंकों को तुरंत प्रभाव से ब्याज दर घटाना होगा. अगर वे सरकारी बॉन्ड के आधार पर ब्याज दर तय करते हैं तो भी ग्राहकों को तत्काल फायदा देना होगा, क्योंकि रेपो रेट बदलने का बॉन्ड मार्केट पर तुरंत असर होता है. इस बदलाव के बाद लोन लेने वाले ग्राहकों की EMI दर सस्ती हो जाने के पूरे आसार है.
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