रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने ताजा मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की है. इसके साथ ही रेपो रेट 6.50 फीसदी से घटकर 6.25 फीसदी पर आ गया है. इस कटौती से रिवर्स रेपो रेट 6 फीसदी पर आ गया है.
रेपो रेट में कटौती से हो सकते हैं ये फायदे
रेपो रेट में कटौती से बैंकों के लिए रिजर्व बैंक से कर्ज लेना सस्ता हो जाएगा. बैंक इसका फायदा होम लोन और पर्सनल लोन ग्राहकों को दे सकते हैं. अगर बैंकों ने इसका फायदा ग्राहकों को दिया तो होम लोन की ईएमआई सस्ती हो सकती है. दिसंबर 2018 में अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों को नहीं बदला था, लेकिन उसने कहा था कि अगर महंगाई दरें नहीं बढ़तीं तो वह रेपो रेट में कटौती कर सकता है.
आरबीआई ने गुरुवार को वित्त वर्ष 2018-19 का छठा द्विमासिक पॉलिसी स्टेटमेंट जारी किया है. यह स्टेटमेंट मंगलवार से गुरुवार तक चली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद जारी किया गया है.
केंद्रीय बैंक ने अपने पॉलिसी स्टेटमेंट में कहा है, ''वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जीडीपी वृद्धि दर के 7.4 फीसदी रहने का अनुमान है. पहली छमाही में इसके 7.2-7.4 फीसदी और तीसरे तिमाही में 7.5 फीसदी रहने का अनुमान है.''
एमपीसी बैठक की बड़ी बातें
- वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जीडीपी वृद्धि दर 7.4 रहने का अनुमान
- खुदरा महंगाई दर के जनवरी-मार्च में 2.4 फीसदी और अप्रैल-सितंबर में 3.2-3.4 फीसदी रहने का अनुमान
- बिना गारंटी के कृषि लोन की सीमा बढ़कर 1.6 लाख रुपये होगी
क्या होता है रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर रिजर्व बैंक कमर्शियल बैंकों को पैसा उधार देता है. जबकि रिवर्स रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर केंद्रीय बैंक कमर्शियल बैंकों से पैसा उधार लेता है.
क्या था पिछला मॉनेटरी पॉलिसी स्टेटमेंट?
अब तक आरबीआई का रेपो रेट 6.50 फीसदी था. आरबीआई ने 1 अगस्त 2018 को रेपो रेट को 0.25 फीसदी बढ़ाकर 6.50 फीसदी किया था. बता दें कि केंद्रीय बैंक ने पिछली तीन मौद्रिक समिति बैठक में नीतिगत दरों को बदला नहीं था.
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