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नए कारोबारी वर्ष के शुरू हुए करीब 10 दिन बीत चुके हैं. जल्द ही अब शेयर बाजार में निवेशकों की नजर विभिन्न कंपनियों के आखिरी वित्त वर्ष के चौथे तिमाही के नतीजों पर नजर होगी. उम्मीद की जा रही है कि तीसरे तिमाही नतीजों की तरह ही इस बार भी बाजार अच्छे वित्तीय रिजल्ट्स पर झूम सकता है. आइए समझते हैं शेयर बाजार पर इन नतीजों का क्या होगा असर और इस बारे में क्या कहते हैं एक्सपर्ट-
वित्त वर्ष 2019-20 के आखिरी तिमाही में कोरोना के असर की वजह से कम बेस (base) रहा. इस कारण हाल में खत्म हुए वित्त वर्ष 2020-21 की आखिरी तिमाही के कंपनियों के फाइनेंशियल नतीजों में अच्छी तेजी रह सकती है. 30 जनवरी, 2020 को पहला मामला आने के बाद मार्च 2020 तक आर्थिक गतिविधियां कम होने लगी थी.
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के अनुमानों के अनुसार ईयर ऑन ईयर BSE सेंसेक्स पैक की 30 कंपनियों का नेट प्रॉफिट 55% से बढ़ सकता है. वहीं निफ्टी पैक की 50 कंपनियों के नेट प्रॉफिट में 125% की उछाल संभावित है. इसी तरह नोमुरा ने भी आने वाले समय में प्रॉफिट मार्जिन में मजबूती की बात कही है. पेंट-अप (मांग जो काफी दिनों से दबी हुई थी) डिमांड के होने से भी बिक्री और मुनाफे में बड़ी बढ़ोतरी की संभावना दिख रही है.
देश में कोरोना के बढ़ते मामलों से लगातार चिंता बढ़ रही है. 10 अप्रैल को एक दिन में सर्वाधिक मामलों के रिपोर्ट होने के साथ ही भारत में एक्टिव कोविड मामलों की संख्या 10 लाख पार कर गई. कई राज्यों ने नाईट कर्फ्यू समेत अन्य प्रतिबंधों का ऐलान किया है जिससे व्यापार पर असर होगा.
रोचक है कि कोविड के दूसरे दौर के आने के बाद भी शेयर बाजार पर अब तक कोई बड़ा असर नहीं दिखा है. इसकी बड़ी वजह चल रहा वैक्सीनेशन प्रोग्राम है. वैसे वर्तमान दर से भारत को बड़ी आबादी तक वैक्सीन पहुंचाने में काफी समय लगने की आशंका है. यह देखना होगा कि अगर चीजें जल्दी ठीक नहीं हुई तो बाजार कैसी प्रतिक्रिया देगा.
भले ही तिमाही नतीजों के अच्छे आने की उम्मीद है और कोरोना का बाजार पर असर नहीं दिख रहा, बाजार के लिए नए शिखर को हासिल करने का सफर थोड़ा मुश्किल हो सकता है.
पहले ही बाजार काफी ऊंचे स्तरों पर व्यापार कर रहा है. माना जा रहा हैं कि निवेशकों ने अच्छे रिजल्ट की संभावना को पहले ही आधार बनाकर खरीदारी कर ली है. इसके अलावा प्रॉफिट और सेल्स के चढ़ने के बाद भी कोविड से पहले की स्थिति की तुलना में काफी बदलाव की उम्मीद नहीं है.
बाजार में विदेशी निवेशकों का निवेश भी कुछ समय में धीमा हुआ है. इस वजह से बाजार की चाल थोड़ी धीमी हुई है. घरेलू संस्थागत निवेशक भी लगातार संभल कर व्यापार कर रहे हैं.
बढ़ते हुए इनपुट कॉस्ट के कारण भी कंपनियों पर दबाब बढ़ने की संभावना है. इसके अलावा बॉन्ड यील्ड पर भी बाजार की लगातार नजर रहेगी.
जानकर कोविड को लेकर खासतौर पर चिंतित नजर आते हैं.
वैक्सीन प्रोग्राम पर साहिल कहते हैं कि वैक्सीनेशन ड्राइव से मार्केट को काफी उम्मीद मिल रही है और अगर वैक्सीनेशन की रफ्तार जरूरत से कम रही तो इस सेंटीमेंट पर असर पड़ सकता है.
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