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पिछले कुछ महीनों में दुनिया भर में सोने की कीमतें लगातार नीचे आई हैं. अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतें इस वक्त 1200 डॉलर प्रति औंस के करीब चल रही हैं. पिछले साल इसी समय ये कीमतें 1312 डॉलर प्रति औंस के करीब थीं, यानी पिछले साल भर में अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना साढ़े आठ परसेंट सस्ता हो चुका है. लेकिन ये कमी आपको भारतीय बाजारों में देखने को नहीं मिलेगी. उल्टा पिछले साल इस वक्त के मुकाबले सोने की कीमत में इजाफा ही हुआ है. इस वक्त भारतीय बाजारों में 10 ग्राम सोने की कीमत 28,000 के करीब है, जो पिछले साल 18 सितंबर को 2700 रुपए के करीब थी. ऐसा डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत में तेज गिरावट की वजह से हुआ है, जो हमें पिछले साल भर के दौरान देखने को मिली है.
दरअसल, सोने में निवेश तभी बढ़ता है, जब ग्लोबल मार्केट में अनिश्चितता या अस्थिरता का खतरा बढ़ने लगता है. ऐसे समय में इन्वेस्टर सोने को ‘सेफ हैवन’ मानकर अपनी पूंजी वहां डालते हैं, लेकिन ना तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और ना ही घरेलू स्तर पर सोने में इन्वेस्टमेंट डिमांड बढ़ी है. भारत में तो गोल्ड डिमांड में कमी ही आई है.
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में जहां ज्वेलरी डिमांड 8 फीसदी घटी, वहीं इन्वेस्टमेंट डिमांड में 5 फीसदी की कमी आई. इसके लिए काफी हद तक जिम्मेदार कमजोर होता रुपया रहा, जिसकी वजह से भारत में सोने की कीमतें ऊंची बनी रहीं.
अगर आप अपने शौक के लिए, शादी-विवाह जैसी जरूरतों के लिए या फिर शगुन के लिए सोना खरीदना चाहते हैं तो आप कभी भी खरीद सकते हैं. लेकिन निवेश के लिए गोल्ड में पैसे लगाने के पहले इन तीन बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है.
जब गोल्ड और सिल्वर का रेश्यो कम हो- गोल्ड और सिल्वर के रेश्यो का मतलब है कि दस ग्राम गोल्ड खरीदने के लिए कितने ग्राम सिल्वर की जरूरत होती है. अगर ये रेश्यो कम है तो इसका मतलब है कि चांदी के मुकाबले गोल्ड सस्ता है और आप इसमें खरीद कर सकते हैं. लेकिन अगर गोल्ड-सिल्वर रेश्यो ऊंचा है तो इसका मतलब है कि गोल्ड ओवरवैल्यूड है और अब इसमें अपनी पोजिशन हल्की करने का वक्त आ गया है.
क्या इस वक्त सोने में निवेश करना चाहिए, इस सवाल का जवाब कमोडिटी बाजार के जानकार सावधानी के साथ ही दे रहे हैं. जहां तक मौजूदा हालातों की बात है तो अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर, डॉलर-रुपए एक्सचेंज रेट और ब्याज दरों पर यूएस फेड के फैसले, इन तीनों पर आपको नजर रखनी होगी. अगर यूएस फेड फिर से ब्याज दरें बढ़ाने का फैसला करता है तो गोल्ड की इंटरनेशनल कीमतों में उछाल की संभावना घट जाएगी.
हालांकि अक्टूबर के बाद से देश में फेस्टिव सीजन की शुरुआत हो जाएगी और सोने की फेस्टिवल डिमांड में तेजी आएगी. इसका नतीजा सोने की कीमत में थोड़ी बढ़ोतरी के रूप में दिख सकता है. और, अगर डॉलर के मुकाबले रुपए में मजबूती आती है तो इसका फायदा भी भारत में गोल्ड इन्वेस्टर्स को होगा. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने भी अगस्त में अपनी रिपोर्ट में उम्मीद जताई है कि कंज्यूमर डिमांड में बढ़ोतरी के बाद गोल्ड की कीमतों में आने वाले महीनों में सुधार होगा.
(धीरज कुमार जाने-माने जर्नलिस्ट हैं. इस आर्टिकल में छपे विचार उनके अपने हैं. इसमें क्विंट की सहमति होना जरूरी नहीं है)
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