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14 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों और सरकार को AGR बकाए के पेमेंट में हो रही देरी को लेकर फटकार लगाई. सरकार के टेलीकॉम विभाग ने तुरंत सतर्कता दिखाते हुए सर्कुलर जारी कर दिया कि टेलीकॉम कंपनिया उसी तारीख को 12 बजे अपना AGR बकाया जमा करें. सुप्रीम कोर्ट से सख्ती के बाद टेलीकॉम कंपनियों को सरकार से मदद की उम्मीद थी लेकिन अब तक सरकार ने मदद के लिए कोई हाथ आगे नहीं बढ़ाया. अब हर हालत में टेलीकॉम कंपनियों को अपना AGR बकाया चुकाना ही होगा और कंपनियों ने बकाया चुकाना शुरू भी कर दिया है.
17 फरवरी को AGR मुद्दे पर कुछ खबरें आई हैं-
सुप्रीम कोर्ट की फटकार और फिर सरकार के अल्टीमेटम के बाद आखिरकार टेलीकॉम कंंपनी एयरटेल ने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) बकाए के कुछ हिस्से का भुगतान कर दिया. भारती एयरटेल ने बताया है कि उन्होंने टेलीकॉम विभाग के बकाए में से10,000 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है. एयरटेल ने कहा है कि वो अपने बाकी के बकाए का पेमेंट सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई के पहले कर देंगे. 14 फरवरी को ही एयरटेल ने कहा था कि वो जल्द से जल्द 10 हजार करोड़ रुपये टेलीकॉम विभाग को दे देगी. एयरटेल पर कुल 35,586 करोड़ का बकाया था, जिसमें से अब उसने 10,000 करोड़ रुपये चुका दिया है.
टेलीकॉम विभाग के AGR बकाए मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वोडाफोन का 2,500 करोड़ रुपये और शुक्रवार तक 1,000 करोड़ रुपये बकाया चुकाने का प्रस्ताव ठुकरा दिया. इसके अलावा कोर्ट ने कंपनी के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं किए जाने से उसे राहत भी नहीं दी. मतलब कंपनी पर बकाया न भरने के खिलाफ कार्रवाई भी हो सकती है. अब कंपनी के पास कोई ऑप्शन नहीं बचता है. कंपनी को AGR बकाया चुकाना होगा या सरकार की तरफ से कार्रवाई के लिए तैयार रहना होगा. वकील रोहतगी ने कहा कि कंपनी पर जो भी AGR का बकाया है उसमें से सोमवार को 2,500 करोड़ रुपये तथा शुक्रवार तक 1,000 करोड़ रुपये और चुकाने का प्रस्ताव न्यायालय के समक्ष रखा था. साथ ही कंपनी ने अनुरोध किया कि उसके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई ना की जाए. बता दें कि वोडाफोन-आइडिया को करीब 53,000 करोड़ रुपये का AGR बकाया चुकाना है.
भारत का सेंट्रल बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया भी AGR के मुद्दे पर पैनी नजर बनाए हुए हैं. पीटीआई को दिए इंटरव्यू में AGR पर बात करते हुए शक्तिकांत दास ने कहा कि अब तक हालात काबू से बाहर नहीं गए हैं.
इंडसइंड बैंक, एक्सिस बैंक, स्टेट बैंक जैसे कई बैंकों ने इन टेलीकॉम कंपनियों को कर्ज दिया था. बिजनेस की भाषा में इस कहते हैं कि इन बैंकों का टेलीकॉम कंपनियों में एक्सपोजर है. इसलिए अगर ये कंपनियां AGR बकाया नहीं चुका पातीं हैं और इंसॉल्वेंसी फाइल करती हैं तो बैंकों को नुकसान होने की संभावना है. इसलिए जब 14 फरवकी को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था तो बैंकिंग शेयरों में खासी कमजोरी देखने को मिली थी.
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