advertisement
टेलीकॉम कंपनियों के सामने संकट के काले बाद छाए हुए हैं. कभी देश में टेलीकॉम सेक्टर में दसों कंपनियां कारोबार कर रही थीं. लेकिन अब गिनी चुनी 3 कंपनियां ही रह गई हैं. उसमें से भी वोडाफोन-आइडिया की हालत डामाडोल है. जियो इस सेक्टर उभरती हुई कंपनी है. इंडस्ट्री की इस खस्ताहाली के कई कारण हैं जिसमें से एक अहम कारण है AGR बकाए का पेमेंट.
सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2019 के अपने आदेश में कहा था कि टेलीकॉम कंपनियां अपना 1.47 लाख करोड़ का AGR बकाया 23 जनवरी 2020 तक चुकाएं, लेकिन टेलीकॉम कंपनियों ने अब तक अपना बकाया नहीं चुकाया है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपने ताजा आदेश में टेलीकॉम कंपनियों को फटकार भी लगाई है.
एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू सरकार के संचार मंत्रालय के टेलीकॉम विभाग से ली जाने वाली लाइसेंसिंग फीस और स्पेक्ट्रम चार्जेज हैं. जो कंपनियों को सरकार को बतौर रेवेन्यू शेयर देना होता है. AGR के दो हिस्से होते हैं. एक स्पेक्ट्रम चार्जेज दूसरा लाइसेंसिंग फीस. दोनों को मिलाकर टेलीकॉम कंपनियों को करीब 10% रेवेन्यू सरकार को देना होता है.
AGR के कैलकुलेशन को लेकर टेलीकॉम विभाग और टेलीकॉम कंपनियों के बीच विवाद था. टेलीकॉम विभाग का कहना था कि AGR कंपनी की कुल आय पर लगना चाहिए. मतलब ब्याज से कमाई, एसेट बिक्री से कमाई जैसे नॉन टेलीकॉम आय पर भी टैक्स लगना चाहिए. वहीं टेलीकॉम कंपनियों का कहना था कि AGR का कैलकुलेशन सिर्फ टेलीकॉम सर्विसेज से होने वाली आय के आधार पर होना चाहिए न कि पूरी आय पर. कंपनियों और टेलीकॉम विभाग के बीच ये विवाद 2005 से चला आ रहा है तब टेलीकॉम कंपनियों के संगठन ने टेलीकॉम विभाग के दावे को चुनौती दी थी. इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था.
सुप्रीम कोर्ट ने AGR वाले मामले की सुनवाई करते हुए टेलीकॉम विभाग के दावे को सही माना था और आदेश दिया था कि टेलीकॉम कंपनियां पेंडिंग AGR बकाए को जल्द से जल्द भरें. टेलीकॉम कंपनियों पर फाइन और दूसरे चार्जेज मिलाकर करीब 1.47 लाख करोड़ रुपये का बकाया है. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि टेलीकॉम कंपनिया इस बकाए को 23 जनवरी 2020 तक चुका दें. जनवरी बीत गया लेकिन टेलीकॉम कंपनियों ने ये बकाया नहीं चुकाया.
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का सबसे ज्यादा असर टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन-आइडिया पर पड़ा है. वोडाफोन-आइडिया को करीब 53,000 करोड़ रुपये का AGR बकाया भरना है. वोडाफोन और आइडिया की आर्थिक सेहत पहले से ही ठीक नहीं है दोनों कंपनियों ने पिछले साल मर्जर किया था. इस आदेश के बाद कंपनी के ग्लोबल हेड और इंडिया हेड केएम बिड़ला ने कहा था कि अगर उनको राहत नहीं मिलती है तो कारोबार बंद कर सकते हैं.
दूसरी टेलीकॉम कंपनी भारती एयरटेल को करीब 21,000 रुपये का बकाया देना है. एयरटेल ने कहा है कि वह 20 फरवरी तक 10 हजार करोड़ रुपये तक चुका देगी.एयरटेल ने कहा कि 10 हजार करोड़ 20 फरवरी तक चुकाने के बाद हम बाकी रकम सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई होने से पहले दे देंगे.
टेलीकॉम कंपनियां दिसंबर में पहले ही अपने टैरिफ बढ़ा चुकी हैं. अगर उन्हें पूरा एजीआर ड्यूज चुकाना पड़ा तो आने वाले वक्त में मोबाइल कॉल और डाटा दरें 20 से 25 फीसदी बढ़ सकती हैं. दिसंबर में एयरटेल और रिलायंस ने अपनी डेटा और कॉल दरें बढ़ा दी थीं. बाद में वोडाफोन के भी टैरिफ बढ़ गए थे.
टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन-आइडिया अपने अब तक के सबसे बुरे दौर से गुजर रही हैं. AGR पेमेंट करने के दबाव के चलते कंपनी पर कारोबार ठप होने का खतरा मंडरा रहा है. मिंट के मुताबिक कंपनी ने आनन-फानन में अनौपचारिक रूप से 15 फरवरी को बोर्ड बैठक बुलाई है. इस बैठक में कंपनी के पास अब बचे विकल्पों पर विचा किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट और टेलीकॉम विभाग ने पहले ही एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू को लेकर कंपनियों को सख्त हिदायतें दी हैं.
13 फरवरी को जैसे ही सुप्रीम कोर्ट ने AGR पर अपना फैसला सुनाया और टेलीकॉम कंपनियों को फटकार लगाई. तभी बैंकिंग शेयरों में भी अचानक कमजोरी देखने को मिली. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, इंडसइंड बैंक, एक्सिस बैंक के शेयर 4% तक टूटे. इन बैंकों का वोडाफोन-आइडिया कंपनी में एक्सपोजर है. इसलिए अगर वोडाफोन-आइडिया कंपनी डूबती है तो इन बैंकों को भी नुकसान उठाना होगा. RBI की बोर्ड बैठक के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद गवर्नर शक्तिकांत दास से भी इस पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि वो इस पर आंतरिक चर्चा करेंगे. वहीं SBI के चेयनरमैन रजनीश कुमार ने कहा है कि SBI इस मुद्दे पर हम बात कर रहे हैं. हम हर परस्थिति के लिए तैयार हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)