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पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फेसबुक पोस्ट लिखकर इस बात के संकेत दिए हैं कि भविष्य में 12 और 18 परसेंट जीएसटी स्लैब मर्ज हो कर एक हो सकते हैं. ये पोस्ट अरुण जेटली ने जीएसटी लागू होने की दूसरी सालगिरह पर लिखी है. साथ ही जेटली ने लिखा है कि 20 से ज्यादा राज्यों ने जीएसटी को अपनाया है और जिससे उनका रेवेन्यू बढ़ा है और रेवेन्यू लॉस की भरपाई के लिए केंद्र से मदद की जरूरत नहीं पड़ रही है.
जेटली के मुताबिक, जीएसटी काउंसिल (जिसमें वित्त मंत्री और राज्यों के वित्त मंत्री शामिल हैं) ने बीते दो सालों में टैक्स के दर घटाए हैं. इससे हुआ ये कि 90 हजार करोड़ से ज्यादा का रेवेन्यू का घाटा हुआ है. जेटली ने ये भी लिखा है कि बहुत सारे कंज्यूमर गुड्स भी 18, 12 और 5 परसेंट के टैक्स स्लैब में आए हैं.
साल 2017-18 के दौरान जुलाई से मार्च तक जीएसटी के कारण रेवेन्यू 89,700 करोड़ रुपये प्रति महीना आया. इसके अगले साल 2018-19 में महीने का एवरेज करीब 10 फीसदी बढ़कर 97,100 करोड़ का हो गया. इस बीच राज्यों को इस बात का डर सता रहा है कि पहले पांच साल जो 14 परसेंट की बढ़ोतरी की गारंटी थी उसका पांच साल बाद क्या होगा. हर राज्य को उसके हिस्से का टैक्स मिला है और जहां जरूरी था वहां मुआवजा भी मिला. इन सबके साथ हमने जीएसटी के दो साल पूरे कर लिए.
जेटली ने लिखा, ‘‘पहले 14 राज्यों में जीएसटी के कारण रेवेन्यू कलेक्शन बढ़ा है और उनको तो केंद्र से मुआवजे की जरूरत भी नहीं है.’’
जेटली के मुताबिक सिंगल स्लैब जीएसटी मुमकिन है लेकिन ऐसा तभी हो सकता है जब देश में गरीब न हों. हमारे देश में जहां बहुत बड़ी संख्या में लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं, वहां इसे लागू करना मुश्किल है.
1 जुलाई 2017 को लागू हुए जीएसटी में 17 तरह के टैक्स को समाहित किया गया था. जीएसटी में चार स्लैब हैं, 5, 12 , 18 और 28 परसेंट. 28 परसेंट का स्लैब सिर्फ गाड़ियों और लग्जरी आइटम पर ही लगता है.
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