Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Business Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019GST के दो साल: आखिर कितने फायदे में रही सरकार?

GST के दो साल: आखिर कितने फायदे में रही सरकार?

जीएसटी पिछले दो साल के दौरान करीब 500 प्रोडक्ट्स के लिए टैक्स की दरों में कमी भी लाई गई है

क्विंट हिंदी
बिजनेस
Updated:
जीएसटी पिछले दो साल के दौरान करीब 500 प्रोडक्ट्स के लिए टैक्स की दरों में कमी भी लाई गई है
i
जीएसटी पिछले दो साल के दौरान करीब 500 प्रोडक्ट्स के लिए टैक्स की दरों में कमी भी लाई गई है
(फोटो: द क्विंट)

advertisement

1 जुलाई 2019 यानी सोमवार को देश में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स यानी जीएसटी लागू होने के 2 साल पूरे हो गए हैं. ‘एक देश, एक टैक्स’ की अवधारणा के साथ लागू हुआ जीएसटी कई चरणों के बदलाव के बाद देश में इनडायरेक्ट टैक्स वसूली की प्रक्रिया को आसान बनाने में काफी हद तक सफल हुआ है.

पिछले दो साल के दौरान करीब 500 प्रोडक्ट्स के लिए टैक्स की दरों में कमी भी लाई गई है. पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स, इलेक्ट्रिसिटी और एल्कोहल को छोड़कर सारे प्रोडक्ट्स जीएसटी के दायरे में आते हैं.

कितनी रही है जीएसटी की वसूली?

पिछले कुछ महीनों से सरकार की तरफ से जीएसटी की मासिक वसूली के आंकड़े 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रहे हैं. अगर इस कैलेंडर ईयर यानी जनवरी 2019 से जारी आंकड़ों पर नजर डालें तो जनवरी से मई तक के 5 महीनों के दौरान 4 महीनों में जीएसटी का मंथली कलेक्शन 1 लाख करोड़ रुपये को पार करने में सफल रहा है:

जीएसटी का टोटल मंथली कलेक्शन(फोटो: क्विंट हिंदी)
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
जीएसटी के मंथली टोटल कलेक्शन में सीजीएसटी (सेंट्रल जीएसटी), एसजीएसटी (स्टेट जीएसटी), आईजीएसटी (इंटेग्रेटेड जीएसटी) और कंपेनसेशन सेस शामिल होता है. आईजीएसटी के कलेक्शन में से केंद्र सरकार राज्यों को भी हिस्सा देती है, साथ ही इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा कारोबारियों को देने के बाद केंद्र सरकार का जीएसटी से नेट कलेक्शन निकाला जाता है.

बजट डॉक्यूमेंट और कंट्रोलर जनरल ऑफ एकाउंट्स (सीजीए) के आंकड़ों के मुताबिक जुलाई 2017 से जीएसटी लागू होने के बाद केंद्र सरकार का जीएसटी कलेक्शन इस तरह रहा है:

केंद्र सरकार का जीएसटी कलेक्शन(फोटो: क्विंट हिंदी)

अब आगे क्या?

केंद्र सरकार की योजना जीएसटी का दूसरा चरण इस साल 1 अक्टूबर से लागू करने की है. इसके तहत कारोबारियों के लिए टैक्स रिटर्न फाइल करना और आसान बनाया जाएगा और इसका प्रोटोटाइप 1 जुलाई को ही लॉन्च किया जाएगा. जीएसटी-2 के तहत बड़े टैक्सपेयर्स को साल में 12 रिटर्न और छोटे टैक्सपेयर्स को 4 रिटर्न फाइल करने होंगे.

आने वाले दिनों में जीएसटी काउंसिल कुछ और चीजों पर टैक्स की दरें कम कर सकती हैं.

माना जा रहा है कि इनमें सीमेंट और ऑटोमोबाइल शामिल हैं. इन दोनों पर जीएसटी की दर 28 फीसदी है, और एक्सपर्ट्स का मानना है कि इनकी दरें कम करने से ना सिर्फ कंस्ट्रक्शन और ऑटो सेक्टर को फायदा होगा, बल्कि इकोनॉमी की धीमी रफ्तार बढ़ाने में भी मदद मिलेगी.

जानकार मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रिसिटी और पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को भी जीएसटी के दायरे में लाने की मांग कर रहे हैं. ये दोनों ही जीएसटी के तहत नहीं आते और इनकी ऊंची कीमतों की एक वजह ये भी है. हालांकि ये फैसला इस बात पर निर्भर करेगा कि सरकार को इन्हें जीएसटी के दायरे में लाने के बाद राजस्व का कितना नुकसान होता है, और सरकार क्या मौजूदा परिस्थितियों में ऐसा नुकसान बर्दाश्त कर सकती है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 30 Jun 2019,09:57 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT