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वीडियो एडिटर: पूर्णेन्दू प्रीतम
केंद्रीय बजट 2020 संसद में 1 फरवरी को पेश होगा और सरकार का ये बहीखाता तय करेगा कि आपकी जेब में खर्च करने के लिए कितने पैसे होंगे. टैक्सपेयर्स, कंज्यूमर, कारोबार, निवेशक सब बजट में क्या हो सकता है ये जानने के लिए बेकरार है. इस सरकार को इकनॉमी की हालत सुधारने के लिए क्या करना चाहिए और शेयर बाजार की दुनिया को सरकार से क्या उम्मीदें हैं, दिग्गज मार्केट एक्सपर्ट बसंत माहेश्वरी ने यहां समझाने की कोशिश की है.
बसंत माहेश्वरी से बातचीत -
आम तौर पर हर बजट में हमारे जैसे कमेंटेटर कहते हैं कि ये मेक और ब्रेक बजट साबित हो सकता है. हालांकि ये घिसी पीटी लाइन है लेकिन इस बार के लिए ये लाइन सही में सटीक बैठती है. अगर राजनीति में अपनी दावेदारी साबित करनी है तो इकनॉमी में सुधार इसका एक जरिया बन सकता है. 2024 की बात करें तो हमें दो से ढाई साल इकनॉमी को पटरी पर लाने के लिए लग जाएंगे.
अब वो जमाना नहीं रहा कि हमारा फिस्कल डेफिसिट 3.3 रहे या फिर 3.4 रहे. तो आईएमएफ ये कहेगा या वर्ल्ड बैंक ये बोलेगा. अमेरिका जिसने दुनिया में सबसे ज्यादा अर्थशास्त्री दिए हैं. वो फिस्कल डेफिसिटी की चिंता कभी नहीं करता है. क्यों कि डॉलर इंटरनेशनल करेंसी है.
आम आदमी जो 24 घंटे मेहनत करता है. वो सोचता है कि जिस कंपनी के लिए मैं काम कर रहा हूं वो 25 परसेंट टैक्स दे और मैं यहां काम कर रहा हूं मैं उससे ज्यादा टैक्स दे रहा हूं. ये तो होना ही चाहिए, बाजार भी इसकी उम्मीद लगाए हुए है.
दूसरा मोर्चा है LTCG टैक्स. ये लगाने के दो साल बाद तक सरकार को इससे कोई खासा फायदा नहीं हुआ, उलटा इससे मार्केट की वेल्थ खराब हुई है. अगर मेरा पोर्टपोलिया 20 लाख से घटकर 15 लाख हो जाता है. तो मैं अपनी जेब से ज्यादा खर्च नहीं करता हूं. मुझे लगता है मैं पैसे गंवा रहा हूं. लोगों का अगर निवेश किया हुआ पैसा अच्छा रहेगा तो लोग खर्च करना शुरू करेंगे.
डीडीटी मतलब डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स. आजकल कंपनियां डीडीटी के डर से डिविडेंड ही नहीं देती हैं. ऐसा पैसा कंपनियों में ब्लॉक पड़ा है. इस पर सरकार को गौर करना चाहिए.
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